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दो घंटे ढसा में खड़ी रहकर यही ट्रेन अब वेरावल के लिये चल दी। ढसा से ब्रॉड़गेज की एक लाइन भावनगर जाती है और एक महुवा। ट्रेन चली तो एक कंटेनर ट्रेन महुवा की ओर जाती दिखी। धीरे-धीरे मीटरगेज की ट्रेन सरक रही थी, थोड़ी ही दूरी पर य्यै लंबी कंटेनर ट्रेन। बड़ा शानदार दृश्य था यह। मैं इसमें इतना खो गया कि फोटो लेना भी याद नहीं रहा। हालाँकि एक-दो फोटो जाती-जाती के ले ज़रूर लिये।
अमरेली स्टेशन पर एक सूचना-पट्ट लगा हुआ था, जिस पर पीली बैकग्राउंड में काले अक्षरों में ताज़ा ही लिखा हुआ था - आरक्षण चार्ट। मैं चौंक गया। अरे, यह क्या लिख दिया इन्होने? अमरेली में आरक्षण चार्ट? गिनी चुनी दो तीन पैसेंजर ट्रेनें आती हैं - जनरल डिब्बों वाली। जिसने भी यह काम करवाया है, उसने बीस रूपये का काम कराके हज़ार का बिल बनाया होगा।
फेसबुक पेज पर एक लाइव वीडियो चला दी। यार लोग खुश हो गए। पूछने लगे कहाँ का है, कहाँ का है। उनसे अगर बता देता कि अमरेली का है तो कोई भी यह पता लगाने की ज़हमत नहीं उठाता कि अमरेली है कहाँ। उल्टा मुझसे ही पूछते।
धारी में वेरावल-ढसा पैसेंजर का क्रोसिंग था। ट्रेन आयी तो देखा कि इसमें तो भानुमति का कुनबा जोड़ रखा है। एक डिब्बा नरकटियागंज का, एक समस्तीपुर का, एक लखनऊ का - ऐसे ही करके पूरी ट्रेन बना रखी है। यह सब उधर मीटर गेज बंद हो जाने का चमत्कार है।
भारत की मीटर गेज के इंजन यानी YDM4 की थाईलैंड में बड़ी मांग है। उधर मीटर गेज है और भारत में सिकुड़ते नेटवर्क के कारण YDM4 खाली खड़े रहते हैं, जो थाईलैंड को सस्ते पड़ते हैं। उन पर वह रंग रोगन लगाकर बिलकुल थाई लुक दे देते हैं और अपनी ट्रेनें चलाते हैं।
दोपहर दो बजे भयंकर गर्मी है। गूगल बाबा बता रहे हैं कि बच्चा, 36 डिग्री तापमान है। छाँव में रहना और पानी पीते रहना। दो दिन पहले दिल्ली में 8-10 डिग्री तापमान छोड़कर आया था। सर्दियाँ ही अच्छी होती हैं।
छोटी-छोटी पहाड़ियाँ हैं जो वीसावदर पहुँचते-पहुँचते थोड़ी-सी घनी हो जाती हैं। मानसून में देखने लायक स्थान है। इस समय तो सूरज इतनी आग बरसा रहा है कि घास भी जलकर या तो पीली पड़ गयी है या समाप्त हो गयी है।
वीसावदर के बाद गिर का विश्वप्रसिद्ध जंगल शुरू हो जाता है। और यही वो भाग है, जो इस मार्ग को खूबसूरत बनाता है। आप इंटरनेट पर सर्च करेंगे - भारत की सबसे खूबसूरत रेलवे लाइन। तो कभी भी इस बेचारी लाइन का ज़िक्र नहीं आयेगा। लेकिन हमें इसकी खूबसूरती पता है, आज आपको भी पता चल गयी। गुजरात में गिर जाओ तो इस मार्ग पर भी यात्रा करना। अच्छा लगेगा। अच्छा न लगे तो दोबारा यात्रा करना। क्या पता दोबारा अच्छा लग जाये। दोबारा भी अच्छा न लगे तो तीसरी बार जाना। और तब तक जाते रहना, जब तक कि अच्छा न लगने लगे।
करत करत अभ्यास से, जड़मति होत सुजान।
गिर जंगल में शेर तो नहीं दिखे, लेकिन चीतल, लंगूर और मोर बहुत दिखे। एक बारहसिंगा भी दिखा, जो एक पुल के नीचे छाँव और नमी में बैठा था।
कहते हैं एक बार एक ट्रेन से एक शेर कट गया, तो जंगल विभाग वालों ने उस ट्रेन के ड्राईवर और गार्ड पर केस कर दिया। एक निहायत बेवकूफी भरा केस था। केस रेलवे पर करना चाहिए था, न की ड्राइवर और गार्ड पर। बाद में पता नहीं उस मामले का क्या हुआ। देश भर में नेशनल पार्कों में और भी बहुत से स्थानों पर रेलवे लाइन है। हाथी तक कट जाते हैं। जंगल विभाग या तो इतनी सख्ती दिखाये कि ट्रेन ही बंद हो जाएँ। और अगर इतनी सख्ती नहीं दिखा सकते तो रेलवे के इन बेचारे कर्मचारियों पर उंगली न उठाये।
या फिर जंगल में घुसते ही अपना एक आदमी ट्रेन के इंजन में बैठा दे। अगर उसके बाद भी कोई जानवर कट जाता है तो अपने कर्मचारी को पकड़ें।
भावनगर के निवासी और अहमदाबाद में पढ़ाई करने वाले मित्र नवरोज़ हुड़ा ने बताया कि वे जब भी गिर आते हैं तो महँगा होटल लेने की बजाय स्टेशन के वेटिंग रूम में ही सो जाते हैं। रात में जंगल में ट्रेन नहीं चलती तो कोई डिस्टर्ब भी नहीं करता।
चित्रावड़ पर ट्रेन 16.47 बजे आयी और 16.48 पर चल दी - अपने निर्धारित समय से 4 मिनट पहले। पहली बार ऐसा देखा है कि ट्रेन समय से पहले प्रस्थान कर चुकी हो। सासण गिर पर भी 5 मिनट पहले आ गयी थी, लेकिन तय समय पर ही प्रस्थान किया। इसका मतलब ट्रेन का गार्ड चौकस नहीं है। अपने रिकार्ड में 16.52 दिखा देगा। वैसे भी गार्ड एक बूढा आदमी है।
तालाला जंक्शन पर पहले ही दो ट्रेनें खड़ी थीं - वेरावल-देलवाड़ा पैसेंजर और देलवाड़ा-जूनागढ़ पैसेंजर। अब हमारी ट्रेन भी जा खड़ी हुई। बहुत सारे यात्रियों को इधर से उधर जाने के लिये ट्रेनें बदलनी थीं। सबने आराम से बदली की। इसके बाद सब ट्रेनें तीनों दिशाओं में चली गयीं।
ढसा से वेरावल के बीच में तीन जंक्शन हैं - खीजड़िया, वीसावदर और तालाला। ये जंक्शन इसलिये भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं कि पूरे देश में अब सिर्फ़ चार ही मीटरगेज के जंक्शन स्टेशन बचे हैं। इन तीन के अलावा एक पूर्वोत्तर रेलवे में नानपारा है, बाकी कहीं कोई नहीं। वैसे यहीं बगल में प्राची रोड़ भी है, लेकिन फिलहाल प्राची रोड़ से कोडीनार तक ट्रेन संचालन बंद है - पता नहीं क्यों।
कल मुझे जूनागढ़ से देलवाड़ा की ट्रेन पकड़नी है, इसलिये आज ही जूनागढ़ जाना ज़रूरी था। अगली ट्रेन रात नौ बजे थी, तो बस पकड़कर आठ बजे तक जूनागढ़ पहुँच गया। यहाँ भी विमलेश जी की कृपा से ठहरने का उत्तम इंतज़ाम था।
मीटरगेज की ट्रेन खीजड़िया की ओर जाती हुई और ब्रॉड़गेज की कंटेनर ट्रेन पिपावाव की ओर जाती हुई |
अमरेली परा स्टेशन |
कोई डिब्बा नरकटियागंज का... |
...तो कोई लखनऊ का। |
इस मार्ग पर ट्रेनों में भारी भीड़ यात्रा करती है। |
गिर के जंगल की ओर बढ़ते हुए |
गिर का जंगल |
सासणगिर स्टेशन |
तालाला जंक्शन पर तीन ट्रेनों का क्रॉसिंग |
1. गुजरात मीटरगेज रेल यात्रा: अहमदाबाद से रणुंज
2. गुजरात मीटरगेज रेल यात्रा: जेतलसर से ढसा
3. गिर फोरेस्ट रेलवे: ढसा से वेरावल
4. गुजरात मीटरगेज ट्रेन यात्रा: जूनागढ़ से देलवाड़ा
5. गुजरात मीटरगेज ट्रेन यात्रा: बोटाद से गांधीग्राम
6. आंबलियासन से विजापुर मीटरगेज रेलबस यात्रा
एक मैप की कमी खल रही है गुजरात की कौन कौन से हिस्से से आप गुजरे हैं वह पता चल जाता..
ReplyDeleteमानचित्र लगा दिया है...
Deleteधन्यवाद..
Deleteडबल स्टैक कंटेनर ट्रेन का फोटो और विडियो तो बहुत सुंदर और एकदम खतरनाक लगता है। एक डिब्बा नरकटियागंज का, एक समस्तीपुर का, एक लखनऊ का, स्वाभाविक है ये सब एनईआर से आए हुये हैं। बीकानेर में पीओएच होने जाएंगे। तब शायद बेस बदल कर वेरावल किया जाय। बाद में कभी गिरी अभ्यारण का प्रोग्राम बनाईएगा। वैसे तो मैं भी गिरी अभ्यारण नहीं देखा हूँ।
ReplyDeleteहाँ जी.. ज़रूर... जल्द ही गिर का कार्यक्रम बनाऊँगा... आपका बहुत-बहुत धन्यवाद...
DeleteNeeraj Bhai Jab bhi Gir aana ho July ya Auguest me aana.Janmashthami ke aas pass.
DeleteKash itni hi khali train Delhi Mughal Sarai rout par bhi mil jati....
ReplyDeleteIs rout par to aisa lagta hai ki pura Hindustan ek hi coach me thhoos rakha hai.
दिल्ली-मुगलसराय रूट पर लोकल ट्रेनें अमूमन खाली ही चलती हैं... उनमें ज्यादा भीड़ नहीं होती... हाँ, एक्सप्रेस ट्रेनों के बुरे हाल हैं...
Deleteकाश! हम भी यहाँ घूम पाते....!!
ReplyDeleteबहुत अच्छा वर्णन किया है आपने.
मैप की कमी इस पोस्ट में अवश्य है. वैसे आप्कने तस्वीरें अच्छी पोस्ट की हैं.
धन्यवाद अनिल जी... मानचित्र लगा दिया है...
DeleteBahut sundar, yatra vritant, thanks.
ReplyDeleteNeeraj bhai कोई डिब्बा नरकटियागंज का...ka apne picture laga rakha hai wo Gorakhpur-Narkatiyagan(Bihar)-Siwan par 07-08 saal pahle metergauge par chalne wali train ka hai. broad gauge hone ke baad shayad gujrat bhej di gayi. isi tarah lucknow se sitapur-Pilibhit aur gonda se bahraich track ke badi line mein badlane ke karan inki bhi racks hata li gayi hai. last year 28-12-2016 se 31-12-2016 tak main bhi yahi tha.... anil kumar
हाँ अनिल जी, आपने ठीक बताया है... बहुत बहुत धन्यवाद...
Deleteनीरज भाई अपने काफी सामान्य ज्ञान बढ़ाया है कैसे ये बता के "भारत की मीटर गेज के इंजन यानी YDM4 की थाईलैंड में बड़ी मांग है। उधर मीटर गेज है और भारत में सिकुड़ते नेटवर्क के कारण YDM4 खाली खड़े रहते हैं, जो थाईलैंड को सस्ते पड़ते हैं। उन पर वह रंग रोगन लगाकर बिलकुल थाई लुक दे देते हैं और अपनी ट्रेनें चलाते हैं" साथ ही साथ भारत सरकार को विश्व सहयोग का रास्ता भी बताया है। दुनिया में आज भी कई देश है जहाँ कोई रेल नेटवर्क नहीं है। भारतीय रेल चाहे तो इन देसो से आपसी सहयोग के तहत इन भारत में आउट डेटेड मीटर गेज ट्रेनों को वहाँ चला सकती है इस से दुनिया के उस हिस्से में भारत की पैठ बढ़ेगी साथ ही साथ हमारे इन मीटर गेज नेटवर्क का सही उपयोग भी हो जयेगा। नहीं तो यहाँ खड़े खड़े ये कबाड़ ही बनेंगे बस।।
ReplyDeleteनीरज जी आपका पोस्ट पढ़ कर पुरानी यादें तजा हो गईं, मेने भी गिर फ़ॉरेस्ट में एक वार एन.सी.सी. ट्रेकिंग केम्प के माध्यम से ये पूरा इलाका पैदल घूमा हुआ है!पुनः जाने पर गिरनार पर्वत पर अवस्य चढ़ाई कीजियेगा! बड़ी ही रम्य जगह है!
ReplyDeleteधन्यवाद
गिर के जंगल के अंदर भी कोई स्टेशन है क्या या वहां से ट्रेन थ्रू निकल जाती है ?
ReplyDeleteगिर के जंगल में सासण गिर स्टेशन है...
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