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ताजमहल देखने के बाद अब बारी थी किला देखने की। ताजमहल से करीब दो किलोमीटर दूर आगरा का प्रसिद्ध किला है। सीधी सडक जाती है, हालांकि मुझे एक जगह रास्ता पूछने की जरुरत पडी।
"आगरे का किला भारत के किलों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब सभी मुगल सम्राट यहां रहे और यहीं से सारे देश का शासन हुआ। इस किले में ही राज्य का सबसे बडा खजाना और टकसाल थी। यहां विदेशी राजदूत, यात्री और वे सभी हस्तियां आईं जिन्होंने मध्यकालीन इतिहास के निर्माण में योगदान दिया। भारत के किसी अन्य किले को यह सम्मान प्राप्त नहीं है।"
"यह किला एक प्राचीन दुर्ग है जो ठीक यमुना नदी के तट पर स्थित है। यह ईंटों का दुर्ग था और चौहान राजपूतों के अधिकार में था। इसका सबसे पहला उल्लेख 1080 में हुआ, जब गजनी की एक सेना ने इसे जीत लिया। सिकन्दर लोदी (1481-1517) दिल्ली का पहला सुल्तान था जो आगरा आया और इस किले में रहा। यहीं से उसने देश का शासन चलाया और आगरे को दूसरी राजधानी का महत्व मिल गया। 1517 में यहीं उसकी मृत्यु हुई और यह दुर्ग अगले 9 वर्ष उसके पुत्र इब्राहिम लोदी के अधिकार में रहा। 1526 में पानीपत के युद्ध में इब्राहिम हार गया और मारा गया। लोदीकाल में किले में महल, कुएं और एक मस्जिद बनवाई गई।"
"पानीपत के युद्ध के बाद मुगलों ने आगरे के किले और उसके विशाल खजाने पर अधिकार कर लिया। इस खजाने में वह अमूल्य हीरा भी था जिसे बाद में कोहिनूर का नाम दिया गया। बाबर किले में इब्राहिम के महल में ठहरा। उसने यहां एक बावडी बनवाई। 1530 में बाबर की मृत्यु हो गई और हुमायूं का यहीं राज्याभिषेक हुआ। 1539 में चौसा का युद्ध हारने के बाद हुमायूं पुनः आगरा लौट आया। वहां उसे निजाम भिश्ती ने डूबने से बचाया था। उस उपकार के बदले हुमायूं ने उसे आधे दिन के लिये तख्त पर बैठा दिया। निजाम ने चमडे का सिक्का चलाया। 1540 में बिलग्राम में हुमायूं हार गया। पांच वर्ष यह किला शेरशाह के अधिकार में रहा। अन्त में मुगलों ने अफगानों को 1556 में पानीपत के युद्ध में निर्णायक रूप से हरा दिया।"
"अकबर भारत के इतिहास के महानतम शासकों में था। उसने आगरा की केन्द्रीय स्थिति का महत्व समझा और इसे राजधानी बनाने का निर्णय किया। 1558 में वह आगरा आ गया। उसके इतिहासकार अबुल फजल ने लिखा है कि तब यह किला ईंटों का बना था और इसे बादलगढ कहते थे। यह जर्जर हालत में था और अकबर ने इसे लाल पत्थर से फिर से बनाने का हुक्म दिया। कुशल स्थपतियों ने नीवें रखीं और इसे अत्यन्त दृढ रूप से बनाया गया। अन्दर ईंटों की चिनाई हुई, बाहर की तरफ लाल पत्थर लगाया गया। 4000 कारीगरों ने प्रतिदिन काम किया और 8 वर्ष में (1565-1573) बनकर यह पूर्ण हो गया।"
"यह किला अर्द्धवृत्ताकार है जिसकी समरेखा नदी के समान्तर है। इसकी दीवार 70 फीट ऊंची है। इसमें दुहरे प्राकार लगे हैं और उनमें क्रम से प्रशस्त, वृत्ताकार अट्टालक बनाये गये हैं। कंगूरे, झिरियां और अग्निनाल भी लगाये हैं जो रक्षात्मक तो हैं ही, अति सुन्दर भी हैं। चारों ओर चार दरवाजे हैं, जिनमें एक खिज्री दरवाजा नदी की ओर है, जिधर घाट भी बनाये गये थे।"
"अबुल फजल ने लिखा है कि इसमें बंगाल और गुजरात के सुन्दर डिजाइनों में 500 इमारतें बनवाई गईं। इनमें से अधिकांश अब नहीं हैं। कुछ को शाहजहां ने गिराकर उनकी जगह श्वेत संगमरमर के महल बनवाये। लेकिन अधिकांशतः उनको 1803 और 1862 के मध्ये अंग्रेजों ने गिरा दिया और उनकी सामग्री से बैरकें बनवाईं। लगभग 30 मुगल इमारतें नदी की ओर दक्षिण-पूर्वी कोने में बच गईं। इनमें दिल्ली दरवाजा, अकबर दरवाजा और बंगाली महल अकबर की प्रतिनिधि इमारतें हैं। दिल्ली दरवाजा आगरा शहर के सामने है। उठने वाले पुल और घुमावदार प्रवेश के द्वारा इसे अभेद्य बना दिया गया है। इसके अंदरूनी दरवाजों पर सवारों सहित पत्थर के दो हाथी लगे हैं। इसलिये इसे हाथी पोल कहते हैं। मुगल सम्राट इसी द्वार का प्रयोग करते थे, इसीलिये दिल्ली दरवाजे को भव्य और सुन्दर बनाया गया है। दूसरा अकबर दरवाजा था जिसका नाम अंग्रेजों ने अमरसिंह दरवाजा रख दिया। इसका स्थापत्य दिल्ली दरवाजे के समान है। दोनों ही लाल पत्थर के हैं। बंगाली महल भी लाल पत्थर का है और आजकल दो भागों में है जिन्हें क्रम से अकबरी महल और जहांगीरी महल कहते हैं।"
"1605 ई में इस किले में ही अकबर की मृत्यु हुई और यहीं जहांगीर का राज्याभिषेक हुआ। जहांगीर अधिकतर कश्मीर और लाहौर में रहता था, फिर भी आगरा आता था और किले में रहता था। आगरा निरन्तर मुगल साम्राज्य की राजधानी बना रहा। 1628 में किले में शाहजहां का राज्याभिषेक हुआ। उसे इमारतें बनवाने का बडा शौक था और किले में श्वेत संगमरमर की सभी इमारतें उसकी बनवाई हुई हैं। यहां उसने श्वेत संगमरमर की तीन मस्जिदें बनवाईं- मोती मस्जिद, नगीना मस्जिद और मीना मस्जिद।"
"औरंगजेब ने 1658 में समोगढ के युद्ध के बाद किले को घेर लिया। किले में पीने का पानी यमुना से आता था। यह जलापूर्ति उसने बन्द कर दी। शाहजहां कुएं का पानी पीने का अभ्यस्त नहीं था और उसने समर्पण कर दिया। औरंगजेब ने उसे- अपने सगे पिता को- इसी किले में कैद कर दिया और शाहजहां यहां आठ वर्ष बन्दी रहा। 1666 में उसकी मृत्यु हुई और उसे ताजमहल में दफना दिया गया। औरंगजेब ने दोनों द्वारों के बाहर और नदी की तरफ सुरक्षा के लिये गढगज बनवा दिये।"
"यद्यपि शाहजहां 1638 में राजधानी दिल्ली ले गया, फिर भी वह अधिकतर यहीं रहता था। किन्तु उसकी मृत्यु के बाद आगरा की शान शौकत जाती रही। औरंगजेब दक्षिण की समस्या में उलझकर रह गया। फिर भी वह यहां आकर रहता था और दरबार करता था। 1666 में शिवाजी आगरा आये और दीवाने खास में औरंगजेब से मिले। उनके साथ दगा की गई और उन्हें कैद कर लिया गया। अन्ततः चतुर शिवाजी निकल भागने में सफल हो गये। 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य चरमराकर ढह गया। अराजकता फैल गई। आगरा किले का 18वीं सदी का इतिहास आक्रमणों और लूट खसोट का इतिहास है। तब से यह जाटों और मराठों के अधिकार में रहा। अन्ततः 1803 में अंग्रेजों ने इस दुर्ग पर अधिकार कर लिया। उन्होंने इसे सैनिक छावनी बना दिया और यहां तोपखाना रखा। पुरातत्व विभाग की स्थापना के बाद भी सेना ने केवल महलों वाले मार्ग को खाली किया। यह भाग अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है और इमारतों का उचित रखरखाव किया जाता है। यूनेस्को ने आगरा के किले को विश्वदाय स्मारक चिन्हित किया है।"
उपरोक्त सभी बातें और इतिहास किले के प्रवेश द्वार पर एक पट्ट पर लिखी हुई थी। इसमें किले के आदिकाल से वर्तमान काल तक की सारी बातें लिखी हुई हैं। यह किला लम्बे समय तक सल्तनत और मुगल राज्य की राजधानी रहा। बताते हैं कि दिल्ली का लाल किला, आगरा का किला और फतेहपुर सीकरी वाला किला तीनों का स्थापत्य समान है। बात लगभग ठीक भी है क्योंकि मैंने दिल्ली और आगरा दोनों के किले देख रखे हैं।
इस किले के पास ही आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन भी है। किसी जमाने में यहां से मीटर गेज की ट्रेनें जयपुर समेत पूरे राजस्थान में जाया करती थीं, लेकिन अब यहां बडी लाइन बिछ गई है। भारत भर से ट्रेनें इस स्टेशन पर आती हैं। स्टेशन के पास ही बिजलीघर के नाम से बस अड्डा भी है। अगर आपको कभी यह किला और ताजमहल देखना हो तो मेरी सलाह है कि आगरा छावनी स्टेशन से बिजलीघर तक टम्पू से पहुंचिये, सस्ते में पहुंच जाओगे। किला देखिये और पैदल ही ताजमहल की तरफ चले जाइये।
अब शाम हो गई थी। दोपहर जब मैं ताजमहल के लिये निकला था तो अपना सामान कपूर साहब के यहां रख दिया था। कपूर साहब मेन डाकघर में काम करते हैं और उन्होंने मेरी बढिया खातिरदारी की। किला देखकर मैं वापस डाकघर पहुंचा। लेकिन थोडी देर बाद मैं फिर से किले के पास था। कपूर साहब मुझे यहां तक छोडने आये। मुझे प्रसिद्ध यात्रा ब्लॉगर रितेश जी के यहां जाना था।
ताजमहल से किले की तरफ जाने वाला रास्ता |
किले का प्रवेश द्वार |
किले के अन्दर |
किले के अन्दर |
किले के अन्दर क्या कहां है, इस बारे में कुछ नहीं बताऊंगा। दिल्ली के लाल किले की तरह ही यहां भी दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास आदि सबकुछ है। |
जाट महाराज |
मनमोहक और सुन्दर कलाकारी |
वाऊ, ग्रेट |
और वो रहा ताजमहल |
किले से ऐसा दिखता है ताजमहल |
किला और ताजमहल |
यह है जहांगीर का सिंहासन। उसने अपने पापा अकबर के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, तब यह सिंहासन बनवाया था। अरे हां, इस पर मैं भी बैठा था। बादशाह के सिंहासन पर बैठना बेहद सुखद अनुभव था। |
सूक्ष्म कलाकारी इस किले की पहचान है। |
थोडी देर के लिये अपने आप को शाहजहां मान लो। अब सोचो कि आपको आपके बेटे औरंगजेब ने किले में कैदी बना दिया है। और फिर सोचो कि आह, मेरा ताजमहल, मेरी मुमताज! |
यह कोई लकडी लोहे की जाली नहीं है। यह है पत्थर पर बनी कलाकारी। |
और आखिर में जाटराम। |
आगरा नैनीताल यात्रा श्रंखला
1. ताजमहल
2. आगरा का किला
3. आगरा- बरेली पैसेंजर ट्रेन यात्रा
4. सातताल और नल दमयन्ती ताल
5. कार्बेट म्यूजियम और कार्बेट फाल
प्रस्तुति शानदार है और सूंदर भी.
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत चित्र और वर्णन...कमाल किया है.....वाह
ReplyDeleteउस पत्थर पर बैठ हमें भी शाहजहाँ जैसा लगा।
ReplyDeleteबहुत अच्छे नीरज जी ।
ReplyDeleteआगरा की यात्रा पूरी हुई ।।
सीकरी और आगरा के किले मैं ने देखे हैं। काफी समानताएँ हैं उन में।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर वाह!
ReplyDeleteआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 09-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
neeraj babu der se hi sahi aapka saath mila,gajab ka prastuti.thanks.agle post ka intjaar..................
ReplyDeleteसुंदर चित्रों के साथ वर्णन अच्छा लगा ..
ReplyDeleteलाल किले के बारे में बहुत ही विस्तार से वर्णन किया आपने| अपने शहर के फोटो देखकर मजा आ गया | नीचे से जो तीसरा फोटो जो आपने लाल किले से ताजमहल का लिया हैं उसमे सड़क और ताजमहल के बीच में खाली पड़ी जगह पर कभी ताज कारिडोर बनने वाला था पर यह प्रोजेक्ट अब प्रदेश सरकार के घोटाले की भेट चढ़ गया हैं |
ReplyDeleteआपने कहा की आगरा फोर्ट स्टेशन के बारे में कहा की भारत भर से ट्रेनें इस स्टेशन पर आती हैं, मैं आपको बताना चाहुगा की आगरा फोर्ट स्टेशन पर पूर्व भारत से पश्चिम की ओर आने जाने वाली गाडिया यहाँ पर रूकती हैं और आगरा कैंट पर उत्तर से दक्षिण की मथुरा के रास्ते चलने वाली गाडिया रूकती हैं |
आप ने तो मुझे प्रशिद्ध ब्लॉग लेखक बना दिया.....नीरज जी प्रसिद्ध लेखक तो आप हो.....हम तो केवल आपके नक़्शे कदम पर चलने की कोशिश कर रहे हैं |
आगरा के बारे में पढ़कर आनन्द आ गया ...|
gooooooooooooood
Deletewah Taj-wah Jaat..
ReplyDeletedono hi sundar...
ati uttam vardan...
waise agra mera hone wala dusra ghar hai future me [samajh jaaiye :) ]
main bhi kayi baar gya hu fort me...
iske peeche railway station hai,jahan tak mere pitaji train le jaate the,bareilly se agra fort Meter Gauge ki train Kumaun Express(ab kewal Kasganj tak chal rahi hai)
njoy ur blog alwz...i m ur big fan now ... take ur care...
aapse milna jaldi hoga,man karta hai...
abhishek kashyap electro
bareilly-allahabad-mathura wale.. :)
BAHUT ACHCHA LAGA AAPKA COLLECTION.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteak achha pryas h aapka agra ko smjane ka
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