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जयपुर में जंतर मंतर और सिटी पैलेस आमने सामने ही हैं। जंतर मंतर से निकलकर हम सिटी पैलेस की ओर बढे। पता चला कि प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क 75 रुपये है। और कैमरे का शुल्क भी 75 रुपये अलग से है। हमने अपना-अपना टिकट तो ले लिया, कैमरे का नहीं लिया। सोचा कि यह एक राजमहल ही तो है, विलासिता की चीजें ही रखी होंगी। ऐसी चीजों को देखने और समझने के लिये बंदे में पर्यटक बुद्धि होनी चाहिये, जबकि अपनी बुद्धि घुमक्कड वाली है।
सिटी पैलेस आज भी राजघराने का निवास स्थान है। इसका निर्माण 1729 से 1732 के बीच में जयसिंह द्वितीय ने शुरू कराया। मुख्य प्रवेश द्वार से प्रवेश करते ही सामने मुबारक महल दिखाई देता है। पास ही चंद्र महल है। इनके अलावा पीतम निवास चौक, दीवान-ए-खास, दीवान-ए-आम, महारानी महल, बग्गी खाना और गोविन्द देव जी का मन्दिर भी दर्शनीय हैं।
पूरे सिटी पैलेस को देखने के साथ ही साथ मैं यह भी नोटिस कर रहा था कि कोई किसी कैमरे वाले से पूछताछ तो नहीं कर रहा है। ज्यादातर लोग फोटो खींच रहे थे, इसका मतलब यह था कि उन्होंने कैमरे का टिकट लिया होगा। मैंने नहीं लिया था। जब देखा कि फोटो खींचने वालों से कोई भी टिकट नहीं मांग रहा है, तो मैंने भी अपना ‘बेटिकट’ कैमरा निकाला और दे दना दन फोटो ही फोटो।
जयपुर में जंतर मंतर और सिटी पैलेस आमने सामने ही हैं। जंतर मंतर से निकलकर हम सिटी पैलेस की ओर बढे। पता चला कि प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क 75 रुपये है। और कैमरे का शुल्क भी 75 रुपये अलग से है। हमने अपना-अपना टिकट तो ले लिया, कैमरे का नहीं लिया। सोचा कि यह एक राजमहल ही तो है, विलासिता की चीजें ही रखी होंगी। ऐसी चीजों को देखने और समझने के लिये बंदे में पर्यटक बुद्धि होनी चाहिये, जबकि अपनी बुद्धि घुमक्कड वाली है।
सिटी पैलेस आज भी राजघराने का निवास स्थान है। इसका निर्माण 1729 से 1732 के बीच में जयसिंह द्वितीय ने शुरू कराया। मुख्य प्रवेश द्वार से प्रवेश करते ही सामने मुबारक महल दिखाई देता है। पास ही चंद्र महल है। इनके अलावा पीतम निवास चौक, दीवान-ए-खास, दीवान-ए-आम, महारानी महल, बग्गी खाना और गोविन्द देव जी का मन्दिर भी दर्शनीय हैं।
पूरे सिटी पैलेस को देखने के साथ ही साथ मैं यह भी नोटिस कर रहा था कि कोई किसी कैमरे वाले से पूछताछ तो नहीं कर रहा है। ज्यादातर लोग फोटो खींच रहे थे, इसका मतलब यह था कि उन्होंने कैमरे का टिकट लिया होगा। मैंने नहीं लिया था। जब देखा कि फोटो खींचने वालों से कोई भी टिकट नहीं मांग रहा है, तो मैंने भी अपना ‘बेटिकट’ कैमरा निकाला और दे दना दन फोटो ही फोटो।
 
 

 
 
 
 
 
  
  
 


 
 
 
 
 
 

 
 अगला भाग: नाहरगढ़ किला, जयपुर
जयपुर यात्रा
1. जयपुर यात्रा-आमेर किला
2. जयपुर की शान हवामहल
3. जयपुर का जन्तर मन्तर
4. सिटी पैलेस, जयपुर
5. नाहरगढ किला, जयपुर
बहुत सुंदर जाट भाई
ReplyDeleteहमेशा की तरह सुंदर चित्र
ReplyDeleteसिटी पैलेस अपने आप में अद्वितीय है। गंगाजली का आकार भी बता देते तो समझना आसान हो जाता। वैसे ये दो थीं, एक इंग्लेंड में ही छोड़ आए थे, महाराजा।
ReplyDeleteहमेशा की तरह सुंदर
ReplyDeleteअकेला चौधरी होगा जो हरियाणा से देश घूमने निकल पड़ा :-)
ReplyDeleteधन्य हो नीरज ! कई बार जलन महसूस होती है हम तो सोंचते ही रह गए यार !
शुभकामनायें
सुन्दर चित्र यात्रा।
ReplyDeleteजब आप खुद बिना टिकट घूम लेते है तो फिर कैमरा क्यों नहीं घूम सकता है ?
ReplyDeleteसिटी पैलेस के बारे में जानकारी और चित्र बहुत अच्छे लगे!
ReplyDeleteनीरज भाई बहुत सुंदर लेख ओर बहुत ही सुंदर बिना टिकट के केमरे के फ़ोटू, मजा आ गया, धन्यवाद
ReplyDeleteयहां भी 75 रुपये बचा लिये, वाह!
ReplyDeleteतस्वीरों और इस जानकारी के लिये शुक्रिया
प्रणाम
Nice Photo
ReplyDeleteमहेल में राजा महाराजाओ की पोषक और हथयार वाले कमरे देखने जैसे है, और सभी महाराजा के लगे तेलचित्र वाला कमरा भी देखने लायक है
ReplyDeleteकरीब २०००० सिक्को का कलश है, और पुरे कलश में कहिभी सोल्डरिंग नहीं की है
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