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Showing posts from January, 2011

और मदमहेश्वर से वापसी

इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें । दोपहर बारह बजे हम मदमहेश्वर से वापस चल पडे। आज हमारा बीस किलोमीटर दूर उनियाना पहुंचना मुश्किल लग रहा था। 17 किलोमीटर दूर रांसी पहुंचना भी मुश्किल ही था। इसलिये तय किया कि आज रात गौंडार में रुकेंगे। यहां से दस किलोमीटर है। हमारे पास समय ही समय था। आराम से भी चलेंगे तो तीन घण्टे में जा पहुंचेंगे। पहली मानव बस्ती सात किलोमीटर चलने के बाद खटरा चट्टी है। सीधे फतेहसिंह के घर में। जब हम मदमहेश्वर जा रहे थे, तब भी घण्टे भर तक फतेहसिंह के यहां रुके थे और लंच किया था। अब भी लंच का ही समय है। फरमाइश हुई सेवईं खाने की। फतेहसिंह ने बताया कि आज दूध कम है। लेकिन थोडा सा पाउडर वाला दूध था। फतेहसिंह गाय का दूध तो यात्रियों के लिये इस्तेमाल करता था जबकि पाउडर वाला दूध अपने लिये। हमने उससे कह दिया कि कोई बात नहीं, दोनों को मिलाकर थोडा बहुत पानी डाल दो। हमारा काम चल जायेगा।

मदमहेश्वर और बूढा मदमहेश्वर

इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें । 18 नवम्बर 2010 की सुबह मैं मदमहेश्वर में था। हमारा कार्यक्रम आज काचली ताल जाने का था लेकिन नहीं जा पाये। तय हुआ कि अब नहा-धोकर मदमहेश्वर बाबा के दर्शन करके बूढा मदमहेश्वर चलते हैं। दोपहर बाद तक वहां से वापस आ जायेंगे और फिर अलविदा। उत्तराखण्ड में पांच केदार हैं- केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर। इन पांचों की यात्रा में पैदल भी चलना पडता है। इनमें से दो केदार यानी केदारनाथ और मदमहेश्वर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हैं। दुनियाभर के लोगों ने केदारनाथ के अलावा बाकी के नाम भले ही ना सुने हों, लेकिन आसपास के लोगों में केदारनाथ के मुकाबले मदमहेश्वर के प्रति श्रद्धा बहुत ज्यादा है। इसीलिये भैयादूज के दिन केदारनाथ के कपाट बन्द होते समय लोगों में उतना उत्साह नहीं होता जितना कुछ दिन बाद मदमहेश्वर के कपाट बन्द होते समय। मदमहेश्वर से लेकर ऊखीमठ तक हर गांव में मेले लगते हैं। चार दिन में मदे बाबा की डोली ऊखीमठ पहुंचती है।

टीबी रेलवे स्टेशन

टीबी रेलवे स्टेशन राजस्थान में सादुलपुर से हनुमानगढ़ वाली लाइन पर स्थित है। यह लाइन अभी मीटर गेज है। किसी समय इस लाइन पर सीधे जयपुर से गाड़ियाँ आती थीं।

मदमहेश्वर में एक अलौकिक अनुभव

इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें । 17 नवम्बर 2010 शाम को मैं और मेरा गाइड भरत उनियाना से चलकर मदमहेश्वर पहुंच गये। इस बीस किलोमीटर की दूरी को हमने पैदल साढे दस घण्टे में तय कर लिया था। जब हम मदमहेश्वर पहुंचे तो दिन छिपने लगा था। कमरा लेकर मैं रजाई में बैठकर चाय पीने लगा तो भरत एक आदमी को लेकर आया कि ये हाई एल्टीट्यूड ट्रेकिंग गाइड हैं। नाम मेरे दिमाग से उतर गया है। वह गौंडार का ही रहने वाला था और आजकल मन्दिर में सफाई धुलाई का काम करता था। मैंने उससे पूछा कि यहां आसपास कोई शानदार ट्रेकिंग रूट है जहां से हम कल सुबह चलकर शाम तक वापस आ सकें।

मदमहेश्वर यात्रा- गौंडार से मदमहेश्वर

इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें । उस दिन दोपहर बारह बजे हम मदमहेश्वर यात्रा के लिये गौंडार गांव से रवाना हुए। भरत के मुताबिक हमें तीन किलोमीटर आगे खटरा चट्टी में रुकना था। तीन किलोमीटर का मतलब था कि हमें डेढ घण्टा लगेगा। यानी डेढ बजे तक वहां पहुंचेंगे। खैर, गौंडार से आधा किलोमीटर आगे एक पुल आता है। पुल के पास में ही दो नदियां मिलती हैं। इनमें से एक नदी तो मदमहेश्वर से आने वाली मधु गंगा है और दूसरी चौखम्बा से आने वाली मोरखण्डा है। मोरखण्डा नदी के ऊपर पुल बना है। मधु गंगा पहले भी हमारे दाहिने ओर थी, अब भी दाहिने ओर ही है। पुल पार करते ही बनतोली चट्टी है। यहां एक लॉज भी है। सीजन समाप्ति की ओर होने के कारण यह आजकल बन्द है। वैसे एक-दो घर और भी हैं। ये घर गौंडार के निवासियों के ही हैं, जिन्होनें यात्रियों के लिये यहां भी झौंपडियां डाल रखी हैं। मदमहेश्वर यात्रा में गौंडार वालों की ही तूती बोलती है। इनका ही प्रभुत्व है। आगे खटरा चट्टी, नानू चट्टी और कुन चट्टी भी गौंडार वालों की ही हैं। और तो और, मदमहेश्वर भी गौंडार वालों का ही है। कैसे? आगे बताऊंगा।

भोजरास रेलवे स्टेशन

आज हम लेकर आये हैं भोजरास रेलवे स्टेशन को। इस स्टेशन की खूबी यह है कि यहां कोई टिकट काउंटर नहीं है। हां, यात्रियों के लिये प्रतीक्षालय जरूर है। यह स्टेशन अजमेर- चित्तौडगढ रेलमार्ग पर अजमेर से 91 किलोमीटर दूर है। यहां केवल एक ही ट्रेन रुकती है- 59603/59604 अजमेर-उदयपुर-अजमेर पैसेंजर। 59603 अजमेर से सुबह 8 बजे चलकर दो घण्टे में भोजरास पहुंचा देती है। इस स्टेशन का कोड BHAS है।

मदमहेश्वर यात्रा- उनियाना से गौंडार

इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें । 17 नवम्बर 2010 की सुबह हम मदमहेश्वर घाटी में उनियाना गांव में थे। मेरे साथ गाइड भरत भी था। यही चाय-परांठे खाये। भरत ने बताया कि इस यात्रा में तीन दिन लगते हैं। भरत के अनुसार कार्यक्रम इस तरह था: आज उनियाना से चलकर गौंडार पार करके नानू चट्टी में रुकना था। कल सुबह नानू से चलकर मदमहेश्वर और बूढा मदमहेश्वर के दर्शन करके ऊपर ही रुकना था। परसों मदमहेश्वर से वापस चलकर शाम तक उनियाना। मैंने उससे दूरी पूछी तो बताया कि उनियाना से दस किलोमीटर दूर गौंडार है और वहां से आगे दस किलोमीटर दूर मदमहेश्वर। यानी कुल बीस किलोमीटर है। मेरे हिसाब से इस बीस किलोमीटर को नापने में दस घण्टे पर्याप्त होंगे। अगर थोडा तेज चले तो शाम छह बजे तक मदमहेश्वर जा पहुंचेंगे। नानू में रुकने की जरुरत ही नहीं है। अभी साढे सात बजे हैं। लेकिन अपने इरादे मैंने भरत को नहीं बताये।

रेलयात्रा सूची: 2011

2005-2007   |   2008   |   2009   |   2010   |   2011   |   2012   |   2013   |   2014   |   2015   |   2016   |   2017  |  2018  |  2019 क्रम सं कहां से कहां तक ट्रेन नं ट्रेन नाम दूरी (किमी) कुल दूरी दिनांक श्रेणी गेज 1 दिल्ली किशनगंज सांपला 54035 दिल्ली- जाखल पैसेंजर 48 53854 01/01/2011 साधारण ब्रॉड 2 बहादुरगढ दिल्ली 54032 जींद- दिल्ली पैसेंजर 33 53887 02/01/2011 साधारण ब्रॉड 3 दिल्ली शाहदरा मेरठ छावनी 74001 दिल्ली- मुजफ्फरनगर डीएमयू 66 53953 03/01/2011 साधारण ब्रॉड 4 दिल्ली शाहदरा मेरठ छावनी 74001 दिल्ली- मुजफ्फरनगर डीएमयू 66 54019 31/01/2011 साधारण ब्रॉड 5 दिल्ली शाहदरा मेरठ छावनी 54505 दिल्ली- अम्बाला पैसेंजर 66 54085 11/02/2011 साधारण ब्रॉड 6 मेरठ छावनी दिल्ली शाहदरा 54304 कालका- दिल्ली पैसेंजर 66 54151 12/02/2011 साधारण ब्रॉड 7 आनन्द विहार टर्मि हल्द्वानी 14012 एसी एक्स 290 54441 20/02/2011 थर्ड एसी ब्रॉड 8 काठगोदाम दिल्ली 15014 रानीखेत एक्स 278 54719 23/02/2011 शयनयान ब्रॉड 9 दिल्ली शाहदरा मेरठ छावनी 54505 दिल्ली- अम्बाला पैसेंजर 66 54785 02/03/2011 साधारण ब्रॉड