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भोजरास रेलवे स्टेशन


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आज हम लेकर आये हैं भोजरास रेलवे स्टेशन को। इस स्टेशन की खूबी यह है कि यहां कोई टिकट काउंटर नहीं है। हां, यात्रियों के लिये प्रतीक्षालय जरूर है।
यह स्टेशन अजमेर- चित्तौडगढ रेलमार्ग पर अजमेर से 91 किलोमीटर दूर है। यहां केवल एक ही ट्रेन रुकती है- 59603/59604 अजमेर-उदयपुर-अजमेर पैसेंजर। 59603 अजमेर से सुबह 8 बजे चलकर दो घण्टे में भोजरास पहुंचा देती है। इस स्टेशन का कोड BHAS है।

जैसे ही गाडी यहां रुकती है, सभी सवारियां गाडी के सबसे पिछले डिब्बे में बैठे गार्ड के पास दौड लगाती हैं- टिकट के लिये। चूंकि यहां कोई टिकट काउंटर नहीं है, इसलिये सवारियों को गार्ड ही टिकट देता है। जब सभी सवारियों को टिकट मिल जाते हैं, तो गार्ड हरी झंडी दिखाकर और सीटी बजाकर गाडी को रवाना करवाता है।

SAM_1787

Comments

  1. गार्ड से टिकट हा हा ह
    मस्त

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  2. अफसोस पहेलियों के बन्द होने का
    नई जानकारी, आभार
    गार्ड है या बस कंडक्टर :)

    प्रणाम

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  3. कल 9 बजे सुबह देखे
    विज्ञान पहेली -4 Science Quiz -4 (और Science Quiz -3 का उत्तर)

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  4. दर्शन कराने हेतू धन्यवाद ! और रेल व्यवस्था तारीफे काबिल :)

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  5. सारा दिन मे एक ही ट्रेन ? अगर वो निकल गई तो पुरे २६ घंटे इंतजार?

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  6. लोहड़ी, मकर संक्रान्ति पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई....... यह भी लेलो

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  7. बहुत अच्छा, बचत हो रही है।

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  8. वाह ये गार्डनुमा कंडक्टर भी खूब जमा :)

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  9. बहुत अच्छा
    आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"

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  10. भाई गज़ब की जानकारी...राजस्थान में रहते बरसों हो गए लेकिन भोजराज की जानकारी न थी मन्ने...

    नीरज

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  11. भाई, कतई सच्च बोल रा, थारी जानकारियां दां कोई जवाब ना। कहां-कहां से ढूंढ-ढूंढ के लावे से।

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46 रेलवे स्टेशन हैं दिल्ली में

एक बार मैं गोरखपुर से लखनऊ जा रहा था। ट्रेन थी वैशाली एक्सप्रेस, जनरल डिब्बा। जाहिर है कि ज्यादातर यात्री बिहारी ही थे। उतनी भीड नहीं थी, जितनी अक्सर होती है। मैं ऊपर वाली बर्थ पर बैठ गया। नीचे कुछ यात्री बैठे थे जो दिल्ली जा रहे थे। ये लोग मजदूर थे और दिल्ली एयरपोर्ट के आसपास काम करते थे। इनके साथ कुछ ऐसे भी थे, जो दिल्ली जाकर मजदूर कम्पनी में नये नये भर्ती होने वाले थे। तभी एक ने पूछा कि दिल्ली में कितने रेलवे स्टेशन हैं। दूसरे ने कहा कि एक। तीसरा बोला कि नहीं, तीन हैं, नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और निजामुद्दीन। तभी चौथे की आवाज आई कि सराय रोहिल्ला भी तो है। यह बात करीब चार साढे चार साल पुरानी है, उस समय आनन्द विहार की पहचान नहीं थी। आनन्द विहार टर्मिनल तो बाद में बना। उनकी गिनती किसी तरह पांच तक पहुंच गई। इस गिनती को मैं आगे बढा सकता था लेकिन आदतन चुप रहा।

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