Skip to main content

भोजरास रेलवे स्टेशन


1254
आज हम लेकर आये हैं भोजरास रेलवे स्टेशन को। इस स्टेशन की खूबी यह है कि यहां कोई टिकट काउंटर नहीं है। हां, यात्रियों के लिये प्रतीक्षालय जरूर है।
यह स्टेशन अजमेर- चित्तौडगढ रेलमार्ग पर अजमेर से 91 किलोमीटर दूर है। यहां केवल एक ही ट्रेन रुकती है- 59603/59604 अजमेर-उदयपुर-अजमेर पैसेंजर। 59603 अजमेर से सुबह 8 बजे चलकर दो घण्टे में भोजरास पहुंचा देती है। इस स्टेशन का कोड BHAS है।

जैसे ही गाडी यहां रुकती है, सभी सवारियां गाडी के सबसे पिछले डिब्बे में बैठे गार्ड के पास दौड लगाती हैं- टिकट के लिये। चूंकि यहां कोई टिकट काउंटर नहीं है, इसलिये सवारियों को गार्ड ही टिकट देता है। जब सभी सवारियों को टिकट मिल जाते हैं, तो गार्ड हरी झंडी दिखाकर और सीटी बजाकर गाडी को रवाना करवाता है।

SAM_1787

Comments

  1. गार्ड से टिकट हा हा ह
    मस्त

    ReplyDelete
  2. अफसोस पहेलियों के बन्द होने का
    नई जानकारी, आभार
    गार्ड है या बस कंडक्टर :)

    प्रणाम

    ReplyDelete
  3. कल 9 बजे सुबह देखे
    विज्ञान पहेली -4 Science Quiz -4 (और Science Quiz -3 का उत्तर)

    ReplyDelete
  4. दर्शन कराने हेतू धन्यवाद ! और रेल व्यवस्था तारीफे काबिल :)

    ReplyDelete
  5. सारा दिन मे एक ही ट्रेन ? अगर वो निकल गई तो पुरे २६ घंटे इंतजार?

    ReplyDelete
  6. लोहड़ी, मकर संक्रान्ति पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई....... यह भी लेलो

    ReplyDelete
  7. बहुत अच्छा, बचत हो रही है।

    ReplyDelete
  8. वाह ये गार्डनुमा कंडक्टर भी खूब जमा :)

    ReplyDelete
  9. बहुत अच्छा
    आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"

    ReplyDelete
  10. भाई गज़ब की जानकारी...राजस्थान में रहते बरसों हो गए लेकिन भोजराज की जानकारी न थी मन्ने...

    नीरज

    ReplyDelete
  11. भाई, कतई सच्च बोल रा, थारी जानकारियां दां कोई जवाब ना। कहां-कहां से ढूंढ-ढूंढ के लावे से।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

घुमक्कड पत्रिका- 1

1. सम्पादकीय 2. लेख A. घुमक्कडी क्या है और कैसे घुमक्कडी करें? B. असली जीटी रोड 3. यात्रा-वृत्तान्त A. रानीखेत-बिनसर यात्रा B. सावन में ज्योतिर्लिंग ओमकारेश्वर की परिक्रमा व दर्शन 4. ब्लॉग अपडेट

डायरी के पन्ने- 30 (विवाह स्पेशल)

ध्यान दें: डायरी के पन्ने यात्रा-वृत्तान्त नहीं हैं। 1 फरवरी: इस बार पहले ही सोच रखा था कि डायरी के पन्ने दिनांक-वार लिखने हैं। इसका कारण था कि पिछले दिनों मैं अपनी पिछली डायरियां पढ रहा था। अच्छा लग रहा था जब मैं वे पुराने दिनांक-वार पन्ने पढने लगा। तो आज सुबह नाइट ड्यूटी करके आया। नींद ऐसी आ रही थी कि बिना कुछ खाये-पीये सो गया। मैं अक्सर नाइट ड्यूटी से आकर बिना कुछ खाये-पीये सो जाता हूं, ज्यादातर तो चाय पीकर सोता हूं।। खाली पेट मुझे बहुत अच्छी नींद आती है। शाम चार बजे उठा। पिताजी उस समय सो रहे थे, धीरज लैपटॉप में करंट अफेयर्स को अपनी कापी में नोट कर रहा था। तभी बढई आ गया। अलमारी में कुछ समस्या थी और कुछ खिडकियों की जाली गलकर टूटने लगी थी। मच्छर सीजन दस्तक दे रहा है, खिडकियों पर जाली ठीकठाक रहे तो अच्छा। बढई के आने पर खटपट सुनकर पिताजी भी उठ गये। सात बजे बढई वापस चला गया। थोडा सा काम और बचा है, उसे कल निपटायेगा। इसके बाद धीरज बाजार गया और बाकी सामान के साथ कुछ जलेबियां भी ले आया। मैंने धीरज से कहा कि दूध के साथ जलेबी खायेंगे। पिताजी से कहा तो उन्होंने मना कर दिया। यह मना करना मुझे ब...

ओशो चर्चा

हमारे यहां एक त्यागी जी हैं। वैसे तो बडे बुद्धिमान, ज्ञानी हैं; उम्र भी काफी है लेकिन सब दिखावटी। एक दिन ओशो की चर्चा चल पडी। बाकी कोई बोले इससे पहले ही त्यागी जी बोल पडे- ओशो जैसा मादर... आदमी नहीं हुआ कभी। एक नम्बर का अय्याश आदमी। उसके लिये रोज दुनियाभर से कुंवाई लडकियां मंगाई जाती थीं। मैंने पूछा- त्यागी जी, आपने कहां पढा ये सब? कभी पढा है ओशो साहित्य या सुने हैं कभी उसके प्रवचन? तुरन्त एक गाली निकली मुंह से- मैं क्यों पढूंगा ऐसे आदमी को? तो फिर आपको कैसे पता कि वो अय्याश था? या बस अपने जैसों से ही सुनी-सुनाई बातें नमक-मिर्च लगाकर बता रहे हो? चर्चा आगे बढे, इससे पहले बता दूं कि मैं ओशो का अनुयायी नहीं हूं। न मैं उसकी पूजा करता हूं और न ही किसी ओशो आश्रम में जाता हूं। जाने की इच्छा भी नहीं है। लेकिन जब उसे पढता हूं तो लगता है कि उसने जो भी प्रवचन दिये, सब खास मेरे ही लिये दिये हैं।