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अपनी उदयपुर यात्रा में मैंने दो दिन उदयपुर में बिताये। मैं श्रीमति अजित गुप्ता जी का मेहमान था। पहले दिन तो उन्होने मुझे भेज दिया नाथद्वारा और हल्दीघाटी। अगले दिन पहले चरण में फतेहसागर झील के आसपास का इलाका छान मारा जिसमें मोती मगरी और सहेलियों की बाडी मुख्य हैं।
शाम को पांच बजे के लगभग चेतक एक्सप्रेस चलती है, इसी में मेरा स्लीपर का रिजर्वेशन था। श्रीमति गुप्ता जी ने कहा कि अब दोपहर बाद आज के दूसरे चरण में पिछौला झील देख लो। उसके आसपास जो कुछ भी देख सकते हो, वो भी देख लेना; वहां से स्टेशन नजदीक ही है।
पिछौला झील के अन्दर ही दुनिया के सबसे महंगे होटलों में से एक लेक पैलेस बना हुआ है। लेक पैलेस से कुछ दूरी पर जगमन्दिर है। झील के बराबर में भव्यता का पर्याय सिटी पैलेस है। मैं सबसे पहले पहुंचा दूध तलाई। यह एक छोटा सा ताल है जो पिछौला के बराबर में ही है। दूधतलाई से मुझे एक पहाडी पर रोप वे जाता दिखाई दिया। पहाडी का नाम ध्यान नहीं आ रहा।
इस पहाडी से उदयपुर के कुछ और चित्र:
ऊपर वाले चित्र में बडी पिछौला के पास एक छोटी सी झील भी दिख रही है। यही दूधतलाई है।
अरे तेरी का। ये तो ट्रेन का टाइम होने वाला है। आधा घण्टा बचा है। यहां पहाडी पर तो टाइम कब बीत गया, पता ही नहीं चला।
एक मिनट, यही से देख लूं कि स्टेशन कितना दूर है। हां, दिख गया। वो रहा।
यानी नीचे उतरकर पहाडी का बायें से चक्कर काटकर उधर से सीधे चले जाना है। और उस तिराहे पर बायें मुडकर सामने ही स्टेशन है।
पहाडी से मार्ग और दूरी का अंदाजा इतना सटीक लगा कि ट्रेन चलने से मात्र दो मिनट पहले मैं पैदल स्टेशन पहुंच गया।
उदयपुर में घूमना तो वैसे भी यादगार ही होता है। लेकिन श्रीमति गुप्ता जी ने इसे और यादगार बना दिया। चूरमा और दाल बाटी खाने को मिले। चूरमा तो खैर पहले खा रखा था लेकिन दाल बाटी नाम की चीज पहली बार चखी। मैं तो दो बाटी खाकर ही ढेर हो गया।
फिर भी एक कसक रह गयी। उदयपुर की जो सबसे प्रसिद्ध जगह है- सिटी पैलेस, इस बार नहीं देख पाया। इसके अलावा सज्जनगढ भी देखना रह गया। उदयपुर के आस- पडोस में भी अभी बहुत कुछ देखना है। फिर भी आनन्द आ गया था इस यात्रा में।
उदयपुर यात्रा
1. नाथद्वारा
2. हल्दीघाटी- जहां इतिहास जीवित है
3. उदयपुर- मोती मगरी और सहेलियों की बाडी
4. उदयपुर- पिछौला झील
अजित जी के हाथ का दही बडा तो खा रखा है लेकिन दाल बाटी खाने की अभी तमन्ना है लगता है उदय पुर जाना पडेगा । अब इतने सुन्दर स्थान दिखा दिये तो जरोर्री हो गया जाना। अच्छी पोस्ट के लिये बधाई।
ReplyDeleteचित्तोड़ गढ़ भी होकर आना चौधरी !
ReplyDeleteऔर वहां जाओ तो इंदु माँ ( इंदु पूरी ) से मिलना नहीं भूलना उन्हें मेरा राम राम कह देना और अगर मेरा नाम सुनकर गालियाँ दें दो मेरी और से खा लेना ! इस वात्सल्यमयी से मिलकर तुम्हें अच्छा लगेगा ! शुभकामनायें !
जानलेवा चित्र लिए हैं आपने...कमाल कर दिया...उदयपुर बहुत खूबसूरत जगह है...वहाँ की हर चीज़ गज़ब की है...देव आंनंद की मशहूर फिल्म गाइड की शूटिंग उदयपुर में हुई थी और उस फिल्म को देख कर आप उदयपुर की तब की ख़ूबसूरती का जायजा ले सकते हैं...
ReplyDeleteउदयपुर से पचास की.मी. दूर विश्व की दूसरी सबसे बड़ी कृतिम झील "जयसमंद" भी है जो छतीस की.मी. वर्ग में फैली हुई है...वो तो अभी आपने देखी नहीं...याने उदयपुर आने के अभी और भी बहुत से कारण हैं आपके पास...
घूमते रहिये क्यूँ की घूमना ही जीवन है...
खोपोली का भ्रमण कब करेंगे?
नीरज
ghumakkadi zindabad !
ReplyDeletejai ho niraj ji !
sundar post !
incredible pics
ReplyDeleteमजा आ गया उदयपुर घूम के | आपकी घुमक्कडी को देख कर कभी कभी जलन भी होती है |चित्र बहुत ही खूबसूरत है विशेकर बादलों को जमीन से मिलते हुए दिखाना |
ReplyDeletebehtarin chityamay post
ReplyDeleteइस महल की यात्रा की है, बहुत अच्छा बना है यह।
ReplyDeleteNeeraj Ji, Uadipur ki Post ke liye dhanyavad.... bahut sundar photo hain...............
ReplyDeleteNeeraj ji, Udaypur ki bahut achi tasveere di hai.yadi waha ke bazaar ki bhi jhalak hoti to sone pe suhaga hota.kyunki waha ke lakdi ke khilone bahut famous hai.mere patidev jab bhi railway ki training mein waha jaate hai toh lakdi ka saman zarur laate hai.Saheliyo ki baadi ke fhvare manmohak the.Fateh sagar se inka connection hai yeh malum nahi tha.Sundar post k liye dhanyawad.
ReplyDeleteआदरणीय नीरज जी
ReplyDeleteबहुत अच्छा है आपका यह यात्रा विवरण ..पढ़ कर जानकारियों के साथ मन हर्षित हुआ ...शुक्रिया
aaj ki paheli kaha gayi neeraj ji
ReplyDeletemujhe aapke blog ki talaash thi //
ReplyDeletekabhi mere blog par bhi aaye //
http://babanpandey.blogspot.com
इसी जगह से रात का नज़ारा अगली बार देखना मत भूलना लेक पैलैस और जग मंदिर और भी खूबसूरत दिखते हैं वहाँ से...
ReplyDeleteउदयपुर बहुत खुबसूरत है, में वहा ३ बार गया हु, मगर बारिश में उदयपुर को कभी नही देखा. जरुर बारिश में और भी खुबसूरत होगा.
ReplyDeleteसर इस बार उदयपुर पधारो तो हमे जरूर बताना साथ मे यात्रा करेंगे ओर में उदयपुर के पास ही अपने जिले डुंगरपुर में भी आपको बहुत सी जगह घुमाऊंगा
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