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अगस्त में उदयपुर वासी डॉ. (श्रीमति) अजित गुप्ता जी ने अपने ब्लॉग पर लिखा- उदयपुर का आमन्त्रण देती कुछ तस्वीरें, आयेंगे ना? मैने हामी भर दी। 18 अगस्त को उदयपुर चला गया। उन दिनों मानसून अपने चरम पर था। मानसून में उदयपुर के तो कहने ही क्या? उन्नीस की सुबह को श्रीमति गुप्ताजी ने मुझे नाथद्वारा भेज दिया। लगे हाथों मैं हल्दीघाटी भी घूम आया। इतना घूमने के बाद भी समय बच गया तो कांकरोली चला गया। यहां मुझे राजसमंद और एकाध मन्दिर देखने थे। लेकिन बारिश इतनी जोर से आयी कि मैं कांकरोली जाने वाली बस से उतरकर वापस उदयपुर आने वाली बस में बैठ गया।
अगस्त में उदयपुर वासी डॉ. (श्रीमति) अजित गुप्ता जी ने अपने ब्लॉग पर लिखा- उदयपुर का आमन्त्रण देती कुछ तस्वीरें, आयेंगे ना? मैने हामी भर दी। 18 अगस्त को उदयपुर चला गया। उन दिनों मानसून अपने चरम पर था। मानसून में उदयपुर के तो कहने ही क्या? उन्नीस की सुबह को श्रीमति गुप्ताजी ने मुझे नाथद्वारा भेज दिया। लगे हाथों मैं हल्दीघाटी भी घूम आया। इतना घूमने के बाद भी समय बच गया तो कांकरोली चला गया। यहां मुझे राजसमंद और एकाध मन्दिर देखने थे। लेकिन बारिश इतनी जोर से आयी कि मैं कांकरोली जाने वाली बस से उतरकर वापस उदयपुर आने वाली बस में बैठ गया।
अगले दिन यानी 20 अगस्त की शाम को मेरा चेतक एक्सप्रेस से दिल्ली वापसी का टिकट था। समय को देखते हुए श्रीमति गुप्ता जी ने कहा कि आज दो चरणों में उदयपुर देखना। पहले चरण में मोती मगरी और सहेलियों की बाडी तथा दूसरे चरण में पिछौला झील के आसपास का इलाका।
नाश्ता करके मैंने टम्पू पकडा और पांच रुपये देकर फतेह सागर झील के किनारे जा उतरा। उदयपुर की सभी झीलें आपस में नहरों के माध्यम से जुडी हैं। खूब बारिश होने से झीलों में काफी पानी भर गया था। उस दिन पिछौला झील का पानी फतेह सागर में आ रहा था। यह एक असामान्य दृश्य था, इसलिये फतेह सागर के किनारे काफी भीड थी।
मैं झील के किनारे चलता-चलता मोती मगरी पहुंचा। यहां प्रताप स्मारक है। मामूली सा प्रवेश शुल्क होता है। इसके सामने सडक के किनारे कुछ बेंचें बडी थीं। इन पर बैठकर झील के विस्तृत पानी को देखना आनन्द देता है। बराबर में ही एक ऊंटवाला परम्परागत राजस्थानी परिधान में अपने ऊंट के साथ किसी ‘ग्राहक’ की प्रतीक्षा कर रहा था।
प्रताप स्मारक मोती मगरी नामक छोटी सी पहाडी पर बना हुआ है। प्रताप व मेवाड के बारे में जो कुछ प्रदर्शित किया जा सकता था, इसमें सब कुछ है।
भामाशाह
मोती मगरी से दिखती फतेह सागर
महाराणा प्रताप
महाराणा प्रताप
मोती मगरी से दिखता उदयपुर शहर
मोती महल के खण्डहर
मोती मगरी से फतेह सागर ऐसी दिखती है।
मोती मगरी से सहेलियों की बाडी जाने वाले रास्ते का एक भाग।
सहेलियों की बाडी
ये फव्वारे फतेह सागर के पानी की मात्रा पर निर्भर करते हैं। फतेह सागर, सहेलियों की बाडी से ऊंचाई पर है। इसलिये फव्वारों में अपने आप ही पानी आता रहता है।
इतना घूमकर मैं चेतक सर्कल पहुंचा और वहां से सीधे मल्लातलाई यानी अजित गुप्ता जी के यहां लंच करने।अगला भाग: उदयपुर - पिछौला झील
उदयपुर यात्रा
1. नाथद्वारा
2. हल्दीघाटी- जहां इतिहास जीवित है
3. उदयपुर- मोती मगरी और सहेलियों की बाडी
4. उदयपुर- पिछौला झील
नीरज तुम इतनी पहेलियां देते हो लेकिन उदयपुर के बारे में तुमने जो विस्तार से लिखा है उसे जानकर मन गदगद हो गया। वास्तव में यदि ऐसे ही इतिहास और संस्कृति का चित्रण करोंगे तो तुम्हारी यह पोस्ट भी इतिहास बन जाएंगी।
ReplyDeleteअब एक बात सभी के लिए, मुझे जब नीरज ने बताया कि मैं उदयपुर आ रहा हूँ तब मेरा इससे कोई विशेष परिचय नहीं था। बस एकाध ही इसकी पोस्ट पढ़ी होगी कभी। उम्र के बारे में कोई ख्याल नहीं था लेकिन जब नीरज को सामने पाया तो दंग रह गयी। मैं फोन पर नीरज जी नीरज जी कहे जा रही थी लेकिन इस 23 वर्षीय युवा को देखकर तो जी एकदम ही गायब हो गया। इतना अल्हड़ सा मनमौजी सा है नीरज की बताया नहीं जा सकता। मेरे पतिदेव ने कहा कि अरे अभी घूम लोगे तो विवाह के बाद पत्नी को क्या घुमाओगे? वह बोला कि उसे भी बाद में घुमा दूंगा।
नीरज की पोस्ट से आज लग रहा है कि इसका घूमना सार्थक है। बस नीरज ऐसे ही घूमते रहो और हाँ विवाह करने के बाद उदयपुर जरूर आना। अब झीले पूरी भर चुकी हैं। तुम्हें पुन: शुभकामनाएं।
वाह नीरज जी...बस मैं प्रसन्न हो गया उदयपुर घूम के आपके साथ. :)
ReplyDeleteसुंदर चित्रण
ReplyDeleteआनंद आ गया आप के साथ उदयपुर घूम कर...यूँ कई बार उदयपुर गया हूँ लेकिन आपके साथ घूमने का आनंद ही कुछ और है...
ReplyDeleteनीरज
आपकी पोस्ट के माध्यम से हम भी उदयपुर घूम लिये | सुन्दर सचित्र पोस्ट हेतु धन्यवाद |
ReplyDeleteभई वाह!! आपके साथ चित्रों में उदयपुर घूमने का आनन्द ही कुछ और है.
ReplyDeleteउदयपुर में तीन माह रहा हूँ, सारी यादें ताजा हो गयीं।
ReplyDeleteवाकई बहुत सुंदर यात्रा वृतांत लिखा, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
सुन्दर चित्रों के साथ बढ़िया यात्रा विवरण
ReplyDeleteखुबसूरत शहर. हमारे एक दोस्त बुलाते ही रह गए पर मैं नहीं जा पाया अभी तक :(
ReplyDeleteBachpan mein Udaypur ghoomi thi. Photos dekh ker yaad taja ho gayi.
ReplyDeleteBadhayi.. :)
वाह उदयपुर की तस्वीरें और विवरण देख कर मन ललचा गया है अब अजित जी को कष्ट देना ही पडेगा। मेरे लिये तो घर बैठे बिठाये भारत भ्रम्ण हो गया। लगता है पूरा भारत घुमा दोगे। धन्यवाद और आशीर्वाद।
ReplyDeleteकई बार उदयपुर गया हूँ लेकिन आपके साथ घूमने का आनंद ही कुछ और है...आनंद आ गया आप के साथ
ReplyDeleteनीरज भाई
ReplyDeleteसुंदर यात्रा वृतांत
राजस्थान के मेरे सबसे पसंदीदा शहरों में उदयपुर मेरी लिस्ट में दूसरे स्थान पर है. पहला जैसलमेर है.
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