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मैं पहले अमृतसर तो आ चुका था लेकिन घूमा पहली बार। स्टेशन से ऑटो लिया और सीधे पहुंचे स्वर्ण मन्दिर। अब ये किया, वो किया; ऐसा नहीं लिखूंगा। स्वर्ण मन्दिर अच्छा लगा। यहां से बाहर निकलकर सामने ही जलियांवाला बाग है, वहां पहुंचे। यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि जलियांवाला बाग का यह नाम इसलिये पडा क्योंकि यह किसी जिले सिंह या पंजाबी लहजे में कहें तो जल्ले सिंह का बाग था। इसी से इसे जल्लेयां वाला बाग कहते थे जो धीरे धीरे जलियांवाला बाग हो गया। बाद में जब वो नरसंहार हुआ तो देशभक्तों ने स्मारक बनाने के लिये इसे खरीद लिया और इसे स्मारक बना दिया।
स्वर्ण मन्दिर जूता घर की दीवार पर ही अमृतसर रेलवे स्टेशन की समय सारणी लगी है। यह वही समय सारणी है जो मैंने अपने ‘टाइम टेबल’ वाले ब्लॉग में बना रखी है। किसी ने बस इसे कॉपी-पेस्ट किया, बडा सा प्रिंट आउट करवाया और यहां दीवार पर लगा दिया।
अमृतसर बहुत अच्छा लगा। दोबारा यहां आऊंगा और वाघा बॉर्डर भी जाऊंगा। बाकी इससे ज्यादा वृत्तान्त नहीं लिखूंगा। कुछ फोटो हैं, इन्हें देख लेते हैं और किसी अगली यात्रा की प्रतीक्षा करते हैं।
1. डलहौजी के नजारे
2. अमृतसर- स्वर्ण मन्दिर और जलियाँवाला बाग
Nice photo & Niche se 2 'nd photo lajavab
ReplyDeleteधन्यवाद उमेश भाई...
DeleteNice photo & Niche se 2 'nd photo lajavab
ReplyDeletemast photo hame hamari amritsar ki yatra yaad aa gyei
ReplyDeleteधन्यवाद गुप्ता जी...
Deleteसभी फोटो अच्छे है पर फूल को क्लोज अप रखकर जो स्मारक का फोटो लिया है वह जानदार है..
ReplyDeleteधन्यवाद सचिन भाई...
Deleteजलियावाला बाग के नाम पर मन में देशभक्ति की भावना हिलोरे लेने लगती है,सुन्दर चित्रों से सजी ज्ञानवर्धक पोस्ट
ReplyDeleteशानदार ! अमृतसर हर साधारण इंसान चला जाता है इसलिए लिखने को और बताने को कुछ खास नहीं है
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