शाकुम्भरी देवी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। रोजाना हजारों श्रद्धालु यहां देवी के दर्शन के लिये पहुंचते हैं। शाकुम्भरी को दुर्गा का रूप माना जाता है।
यह हमारी मसूरी यात्रा का पहला पडाव था। दिल्ली से चलकर सीधे रुडकी, छुटमलपुर, कलसिया, बेहट और शाकुम्भरी। देवी के मन्दिर से करीब एक किलोमीटर पहले बाबा भूरा देव जी का मन्दिर है। देवी के दर्शन से पहले बाबा के दर्शन करने होते हैं। कुछ लोग इसे भैरों देव जी भी कहते हैं। मान्यता है कि यह देवी का रक्षक है।
भूरा देव जी के बाद एक किलोमीटर का रास्ता नदी के बीच से होकर जाता है। हालांकि नवम्बर के शुष्क महीने में नदी एक महीन सी धार के साथ बह रही थी लेकिन बरसात में नदी का वेग काफी बढ जाता होगा। शाकुम्भरी मन्दिर भी नदी के अन्दर ही बना है। दोनों तरफ छोटे छोटे पहाड हैं। यह एक किलोमीटर नदी के पत्थरों को सेट करके गाडियों के चलने लायक रास्ता बना हुआ है। मानसून में जब नदी पूरे उफान पर बहती होगी तो श्रद्धालुओं को पैदल ही नदी के अन्दर से निकलकर जाना पडता होगा। लेकिन ये शिवालिक की पहाडियां हैं। जब तक बारिश होती रहेगी, तब तक नदी भी बहती रहेगी। जैसे ही बारिश बन्द होती होगी तो नदी भी रुक जाती होगी।
नदी के चौडे इलाके में ही गाडियों की पार्किंग और बस अड्डा बना है। प्रसाद की दुकानें सब नदी के अन्दर ही हैं।
भूरा देव मन्दिर
कैसे जायें:
यहां जाने के कई रास्ते हो सकते हैं लेकिन दिल्ली से जाने वालों के लिये सबसे बेहतरीन रास्ता है- रुडकी होते हुए। रुडकी से छुटमलपुर तक राष्ट्रीय राजमार्ग है जो काफी बेहतरीन हालत में है। छुटमलपुर से एक सडक सहारनपुर चली जाती और और दूसरी देहरादून। दिल्ली से शामली होते हुए भी सहारनपुर पहुंचा जा सकता है लेकिन वो रास्ता काफी खराब हालत में है। सहारनपुर से शाकुम्भरी जाने के लिये छुटमलपुर जाने की कोई जरुरत नहीं है। यहां से यमुनोत्री रोड पकडकर कलसिया होते हुए बेहट तक जाना होता है, जहां से शक्तिपीठ मात्र 15 किलोमीटर दूर है।
अच्छा, अब छुटमलपुर से बेहट जाने के लिये भी सहारनपुर जाने की कोई जरुरत नहीं है। छुटमलपुर से एक सीधा रास्ता कलसिया जाता है जहां से बेहट चार किलोमीटर दूर है। लेकिन यह छुटमलपुर-कलसिया मार्ग बहुत बुरी अवस्था में है और पूरे 21 किलोमीटर तक एक-एक डेढ डेढ फुट तक के गड्ढे हैं। अपनी और गाडी की सलामती चाहते हो तो इस रास्ते का इस्तेमाल मत करना। एक दूसरा रास्ता भी है। छुटमलपुर से देहरादून की तरफ चलने पर कुछ आगे सुन्दरपुर आता है। यहां से बायें हाथ की तरफ जसमौर के लिये रास्ता गया है। यह भी 21 किलोमीटर ही है लेकिन कलसिया वाले रास्ते के मुकाबले बहुत बेहतरीन हालत में है। जसमौर बेहट और शाकुम्भरी के बीच में है। यहां से शाकुम्भरी 8 किलोमीटर दूर रह जाता है।
अगर ट्रेन से जाना है तो सीधे सहारनपुर पहुंचना होगा। इसके बाद बस ही एकमात्र सहारा है। सहारनपुर से शाकुम्भरी के लिये नियमित बसें चलती हैं।
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सर्वश्रेष्ठ मार्ग: दिल्ली- मेरठ- मुजफ्फरनगर- रुडकी- छुटमलपुर- बिहारीगढ- सुन्दरपुर- जसमौर- शाकुम्भरी।
छुटमलपुर-कलसिया मार्ग भारत के सबसे बुरे और खराब मार्गों में से एक है।
अगला भाग: सहस्त्रधारा और शिव मन्दिर
मसूरी धनोल्टी यात्रा
1. शाकुम्भरी देवी शक्तिपीठ
2. सहस्त्रधारा और शिव मन्दिर
3. मसूरी झील और केम्प्टी फाल
4. धनोल्टी यात्रा
5. सुरकण्डा देवी
हद हो गयी मात्र चार महीने बाद ही हम दोनों इस सुन्दरतम मार्ग पर पुन: घूम गये।
ReplyDelete''सबसे बुरे और खराब मार्ग'' भी तो एक खोजो हजार मिलते हैं, किस्म की चीज है.
ReplyDeletechalte raho, badhte raho
ReplyDeleteनीरज भाई शाहकुम्भ्री पीठ हमारे मुज़फ्फरनगर से ११० किलोमीटर पड़ती हैं, सबसे सीधा रास्ता देवबंद से आगे नंगल से बाये को सड़क कटती हैं, जो सहारनपुर में स्टार पेपर पर निकलती हैं. वंहा से बाहरो बाहर एक सड़क सीधे शाह कुम्भर देवी जाती हैं, हम इधर के लोगो के लिए इस पीठ की सबसे अधिक मान्यता हैं. इससे पहले देवबंद में माता बाला सुन्दरी के दर्शन किये जाते हैं. तब फिर आगे की और जाते हैं. आपका यात्रा वृत्तान्त बहुत अच्छा हैं. जय माता की.
ReplyDeleteआपकी जानकारी जिंदाबाद
ReplyDeleteनीरज
सुन्दर..
ReplyDeleteजय माता जी!
ReplyDeleteजय माता जी!
ReplyDeleteशाकम्भरी देवी का एक मंदिर राजस्थान के झुंझुनू जिले में उदयपुरवाटी नामक स्थान के पास भी अरावली की सुरम्य वादियों में स्थित बहुत मनोहारी स्थल है|
ReplyDeleteबढ़िया रहा ---जय माता दी!!!
ReplyDeleteyatra vratant jivant aur aanand dayak he
ReplyDeleteKafi time se soch raha hu jaane ki yaha
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