6 सितम्बर, 2010 को मैं अचानक नंगल डैम जा पहुंचा। असल में निर्मला कपिला जी यही की रहने वाली हैं और उनका काफी दिन से तकादा चल रहा था कि नंगल आओ, नंगल आओ। आखिरकार 6 सितम्बर को जाना ही पडा।
अगले दिन यानी 7 तारीख को श्री कपिला जी मुझे नंगल डैम के बस अड्डे पर छोड गये और कह दिया कि वो खडी नैना देवी जाने वाली बस और वहां घूमकर आओ। उनके लिये मेरे साथ जाना शारीरिक रूप से मुश्किल था इसलिये साथ नहीं गये।
नैनादेवी हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में हिंदुओं का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। सती की एक आंख यहां गिरी थी। पता नहीं दाहिनी या बायीं। दूसरी आंख नैनीताल में गिरी थी।
नैना देवी मन्दिर 915 मीटर ऊंची पहाडी के ऊपर स्थित है। यहां से एक तरफ तो पंजाब का आनन्दपुर साहिब और दूसरी तरफ हिमाचल में गोविन्द सागर झील दिखाई देती है। मन्दिर को राजा बीरचन्द ने 18वीं शताब्दी में बनवाया था।
यहां जाने के लिये नंगल डैम, आनन्दपुर साहिब और बिलासपुर से नियमित रूप से बसें चलती हैं। आनन्दपुर साहिब और नंगल डैम में तो रेलवे स्टेशन भी हैं। बस मन्दिर से कुछ नीचे उतार देती है जहां से सीढियां चढकर मन्दिर तक पहुंचा जा सकता है। वैसे रोपवे की सुविधा भी हो गयी है।
मन्दिर जाने वाली सीढियां
मानसून का मौसम था। बादलों ने आ घेरा।
जय मां नैना देवी
नैना देवी से दिखता गोविन्द सागर
नैना देवी के आसपास
और आखिर में श्री और श्रीमति कपिला जी, जिनके यहां मैं दो दिन रुका रहा।
अगला भाग: भाखड़ा बांध और भाखड़ा रेल
नैना देवी यात्रा
1. नैना देवी
2. भाखडा बांध और भाखडा रेल
यार अब में क्या बोलू. खैर जाट पहेली को जल्दी चालू करो. मजा नहीं आ रहा हैं.
ReplyDeleteवाह नीरज,
ReplyDeleteपुरानी यादें ताजा कर दीं।
नैना देवी, भाखड़ा डैम, आनंद्पुर साहब बहुत तसल्ली से घूमा हुआ है मेरा, उम्र बेशक कम थी और सब याद नहीं लेकिन फ़िर से फ़ोटो देखकर बहुत अच्छा लगा।
घुमक्क्ड़ी जिंदाबाद, घुमक्कड़ भी जिंदाबाद।
कुछ चित्र देककर ठिठुरन हो गयी। आपको निर्मलाजी का आतिथेय स्नेह मिला, आप भाग्यशाली हैं।
ReplyDeleteनीरज मुझे इस बात का दुख है कि हम लोग स्वास्थ्य के चलते नैना देवी तुम्हारे साथ नही जा सके। लेकिन नंगल मे तुम्हें घुमाना चाहती थी मगर तुम्हारे पास समय नही था। हम लोग चढाई नही चढ सकतेथे। सब तुम्हारी तरह घुमक्कड नही होते न? तस्वीरें अच्छी लगी। अशीर्वाद। अब जब भी आना तो केवल नण्गल घूमने के लिये आना। तब साथ चलूँगी।
ReplyDeleteइन पहेलियो से अच्छी तो वो पहेली ( जाट पहेली. ) है जो हमारे कारन बंद हो चुकी है ... कम से कम वो बंद जिसके बारे में पूछता है वहा वो जा तो चूका होता.. न की सिर्फ गूगल से चित्र उठा कर लगा दिया और बन बैठे पहेली पूछने वाले ...
ReplyDeleteब्लॉग जगत के मित्रो ,
ReplyDeleteबड़ी ख़ुशी हुई ये देख कर के कम से कम कुछ लोग तो मेरे साथ है, मेरा मकशाद इन पहेलियो को बंद करना या इनको चलने वालो से किसी प्रकार की दुश्मनी निकलना नहीं ह,
बल्कि मेरा उद्देश्य है केवल सही पहेली पूछना ... आप गूगल से एक चित्र उठा कर किसी का पूरा शनिवार या रविवार बर्बाद नहीं कर सकते.
जाट पहेली, बूझो तो जाने, धर्म संस्कृति ज्ञान पहेली, (शेकर सुमन जी की पहेली जो शायद इस बार नहीं आई है पता नहीं क्यों) ये सभी पहेलिय ज्यादा अच्छी है जो केवल जानकारी मांगती है न की कोई चित्र उठा कर दे दिया और पुच लिया .. बताओ ये कहा पर है
ReplyDeleteनीरज भाई
ReplyDelete२००९ में मनाली जाते समय ये मंदिर हमें दूर से ही दिखा था . हमने सड़क से ही माँ को प्रणाम कर लिया था. फिर हमारी गाड़ी /सड़क हिमाचल में प्रवेश कर गयी .मंदिर के अब दर्शन कर लिए , धन्यवाद
बहुत बढ़िया चित्र और सुन्दर जानकारी हेतु आभार | आपकी घुम्मकड़ी में आप कितने लोगो से मिल लेते है ये देख कर कभी ईर्ष्या भी होती है |
ReplyDeleteभाई आपके चित्र बोलते हैं...इतने बढ़िया चित्र तो कोई प्रोफेशनल चित्रकार भी नहीं खींचता होगा...देखने वालों के नैन तृप्त हो जाते हैं...धन्य है आप और आपका कैमरा...कौनसा है जी?
ReplyDeleteनिर्मला जी और उनके पति देव के दर्शन कर अच्छा लगा...
नीरज
बढ़िया यात्रा वृत्तान्त लिखा है आपने नीरज जी,
ReplyDeleteसचमुच ऐसा लगता है जैसे हम खुद ही वहा जाकर आये हो ..
बंटी चोर भाई!
ReplyDeleteगूगल से चित्र उठा कर पहेली पूछना मैं गलत नहीं मानता। हाँ यदि उस स्थान का खुद लिया हुआ चित्र हो तो अधिक अच्छा है। एक चित्र को तलाशने के लिए सर्च पर जो अभ्यास उत्तरदाता करता है वह भी बहुत काम का है। इस से निश्चित रुप से उस के ज्ञान में वृद्धि होती है।
आपको निर्मलाजी का आतिथेय स्नेह मिला, आप भाग्यशाली हैं।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चित्र और सुन्दर जानकारी हेतु आभार
ReplyDelete..........नीरज भाई
@अरे बंटी चोर हम भी पुछेगे एक पहेली बुझो तो जाने?उस का जबाब तो मिल ही जायेगा, लेकिन बिना हिंट के नही मिलेगा, तो बच्चू अब तेयार हो जाओ, ओर लखनऊ मे ही कही जबाब मिल सकता हे जहां के तुम रहने वाले हो, यानि हम तुम्हे पहचान गये, तुम्हारी इस टिपण्णियो के कारण, क्योकि यही शव्द एक बार मुझे तुम ने बोले थे अपने नाम के संग:) लेकिन डरो नही हम नाम किसी को नही बतायेगे, जब तक तुम सीमा मै रहोगे, ओर लोगो की पहेली का सत्यानाश नही करोगे, तो अगली पहेली के लिये तेयार रहो.....
ReplyDeleteनीरज भाई तुम ने तो सच मे भगवान के दर्शन कर लिये, एक तो निर्मला जी के दर्शन कर लिये दुसरे नैना देवी के,मेरे खानदान की यह आराध्या देवी हे, ओर मै यहां बहुत बहुत बार आया हुं, अभी तो बसे चलने लगी हे पहले नदी नाले पार कर्ने पडते थे, हम अलग अलग रास्तो से जाते थे, कीरत पुर से भी गये, मजा तो यह था कि हम तलहटी से पेदल ही पुरी चढाई चढते थे, उस समय आम रास्ते भी नही बने थे, ओर इन ६६५ सीढियो पर मे पता नही कितनी बार चढता उतरता था, बहुत सुंदर लगी आप की यह यात्रा, एक बात ओर यह मंदिर हमारे गांव से भी दिखता हे, यानि रात को इस की लाईटॆ दिखती हे, जय माता दी
ReplyDeleteइस लखनवी को सब लोग पहचानत हैं भाटिया साहब। आप कहो तो नाम भी बता दें ...G :)
ReplyDeleteham bhi janna chahe hai naam , jara bata to dijiye benami ji
ReplyDeleteअरे यार, आप लोग क्यों चोर के चक्कर में आकर अच्छी-खासी घुमक्कडी वाली पोस्ट को खराब कर रहे हैं।
ReplyDeleteआना है तो शुक्रवार को जाट पहेली में आइये। वही मिलते हैं।
This comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteदर्शन करवाने का शुक्रिया।
ReplyDelete---------
दिल्ली के दिलवाले ब्लॉगर।
सुक्रिया नीरज जी , कभी जाना नहीं हुआ मगर आपकी बदौलत पूरे दर्शन हो गए !
ReplyDelete