सिद्धनाथ बारहद्वारी ओमकारेश्वर के पास ही है। परिक्रमा पथ में पड़ता है यह। आज ज्यादा लिखने का मूड नहीं है, इसलिए चित्र देख लो।
यह राजा मान्धाता के खंडहर महल में स्थित है। पूरी पहाडी पर महल फैला था। लेकिन समय की चाल देखिये। आज महल की एक-एक ईंटें इधर-उधर पड़ी हैं। लेकिन इन पर भी जबरदस्त कलाकारी देखने को मिलती है। जब मैं वहां पहुँचा तो एक चौकीदार बैठा था। मैंने उससे पूछा तो उसने इस खंडहरी का कारण मुस्लिम आक्रमण बताया। चलो खैर, कुछ भी हो, एक भरा-पूरा इतिहास यहाँ बिखरा पडा है।
(ये हाथी देख रहे हैं ना आप? ये डेढ़ मीटर से भी ज्यादा ऊंचे हैं। एक बेहतरीन कला)
अगला भाग: कालाकुंड़ - पातालपानी
मध्य प्रदेश मालवा यात्रा श्रंखला
1. भीमबैठका- मानव का आरम्भिक विकास स्थल
2. महाकाल की नगरी है उज्जैन
3. इन्दौर में ब्लॉगर ताऊ से मुलाकात
4. ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
5. सिद्धनाथ बारहद्वारी
6. कालाकुण्ड - पातालपानी
A majority of our cultural heritage was destroyed like this by Islamic-invaders. If no lesson is learnt from history, it repeats itself.
ReplyDeleteआभार इन चित्रों के माध्यम से दर्शन करवाने का.
ReplyDeleteवाह वाह.. चित्रों से ही सब कुछ समझा दिया आपने.. हैपी ब्लॉगिंग
ReplyDeleteबहुत बढिया भाई, अच्छी जगह घूम लिये आपके सौजन्य से.
ReplyDeleteरामराम.
इस सांस्कृतिक महत्व की जानकारी के लिए आभार।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत ही नयनाभिराम चित्र हैं सारे के सारे...ये नयी जगह है जो हमने अपनी यात्रा के दौरान नहीं देखी...धन्यवाद आपका...
ReplyDeleteनीरज
पोस्ट से बढ़कर चित्रकारी है।
ReplyDeleteबधाई!
सबसे पहले इस इतिहास को हमें दिखाने के लिए शुक्रिया। अच्छी तस्वीरें है। हो सके तो हमें भेज देना जी। हमारा नेट दिक्कत कर रहा है। चोरी करने में दिक्कत है।
ReplyDeleteठीक है भाई ..चित्र ही देख कर संतोष कर लेतें हैं....:)
ReplyDeleteवैसे हर चित्र कुछ कहता है .....अपने आप में सम्पूर्ण !!
सचित्र सुन्दर जानकारी का शुक्रिया !!
यह जगह मुझे बहुत पसंद है . ओम्कारेश्वर टापू की परिक्रमा करते हुए यहाँ से ओम्कारेश्वर बाँध भी दिखता है
ReplyDeleteयह जगह मुझे बहुत पसंद है . ओम्कारेश्वर टापू की परिक्रमा करते हुए यहाँ से ओम्कारेश्वर बाँध भी दिखता है
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