साल 2003... उम्र 15 वर्ष... जून की एक शाम... मैं अखबार में अपना रोल नंबर ढूँढ़ रहा था... आज रिजल्ट स्पेशल अखबार में दसवीं का रिजल्ट आया था... उसी एक अखबार में अपना रिजल्ट देखने वालों की भारी भीड़ थी और मैं भी उस भीड़ का हिस्सा था... मैं पढ़ने में अच्छा था और फेल होने का कोई कारण नहीं था... लेकिन पिछले दो-तीन दिनों से लगने लगा था कि अगर फेल हो ही गया तो?... तो दोबारा परीक्षा में बैठने का मौका नहीं मिलेगा... घर की आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि मुझे दसवीं करने का एक और मौका दिया जाता... निश्चित रूप से कहीं मजदूरी में लगा दिया जाता और फिर वही हमेशा के लिए मेरी नियति बन जाने वाली थी... जैसे ही अखबार मेरे हाथ में आया, तो पिताजी पीछे खड़े थे... मेरा रोल नंबर मुझसे अच्छी तरह उन्हें पता था और उनकी नजरें बारीक-बारीक अक्षरों में लिखे पूरे जिले के लाखों रोल नंबरों में से उस एक रोल नंबर को मुझसे पहले देख लेने में सक्षम थीं... और उस समय मैं भगवान से मना रहा था... हे भगवान! भले ही थर्ड डिवीजन दे देना, लेकिन पास कर देना... फेल होने की दशा में मुझे किस दिशा में भागना था और घर से कितने समय के लिए गायब रहना था, ...
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग
Hello pankaj ji if you pass through patna then called me on this number 8797447585.i am waiting for you.
ReplyDeleteबहुत सुंदर सर
Deletekya aap ka koi youtube channel bhi hai kya ?
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