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लेखक ब्रिटिश मूल का है अर्थात गोरा है... लेखक इस यात्रा में अनगिनत गाँवों से होकर गुजरा... ज्यादातर गाँववालों का व्यवहार उसके प्रति आक्रामक था...
लेकिन एक चीज ने मेरा ध्यान आकर्षित किया... वो यह कि लगभग सभी जनजातीय लोग गोरी चमड़ी वालों को मुँहनोचवा और सिरकाटवा कहते थे... बहुत सारे लोगों ने लेखक को भी मुँहनोचवा माना और हमले तक किए... बहुत सारे गाँववालों ने स्पष्ट घोषणा कर दी कि यदि यह आदमी उनके गाँव में चला आया, तो उसे मार देंगे...
लेखक ने लिखा कि उनका यह व्यवहार केवल गोरी चमड़ी वालों के लिए ही था... इसने मुझे सोचने को मजबूर कर दिया कि ऐसा क्यों हुआ??... अमेजन के दुर्गम जंगलों में रहने वाले आदिवासी लोग क्यों इतने आक्रामक हुए??...
इसका जवाब दिया प्रवीण वाधवा की एक फेसबुक सिरीज ने, जिसका नाम था South America Omnibus... प्रवीण वाधवा जी ने भी पेरू की और अमेजन के जंगलों की खूब यात्राएँ कर रखी हैं... वाधवा जी बताते हैं:
जब कोलंबस भारत के लिए चला, तो अमेरिका पहुँच गया... उसे लगा कि यह भारत ही है और उसने उस जगह को नाम दिया India... और वहाँ के निवासियों को कहा Indian... उनकी चमड़ी पर लालिमा थी, तो उन्हें Red Indian भी कहा गया, लेकिन सामान्यतः Indian ही कहा जाता रहा... आज भी उन्हें Indian ही कहा जाता है... बाद में जब यह स्पष्ट हो गया कि यह India नहीं है, बल्कि कुछ और ही है, तब तक उनका Indian नाम प्रसिद्ध हो चुका था... फिर तय हुआ कि पूरी दुनिया के सभी स्थानीय वनवासियों को Indian ही कहा जाए... Indigenous शब्द भी इसी अवधारणा से बना है... खैर...
स्पेन ने दक्षिण अमेरिका पर कब्जा करना शुरू कर दिया... स्पेनिश सेनाएँ गईं और जंगलों से लकड़ी, मसाले व चांदी लूटकर स्पेन भेजने लगे... इन्होंने स्थानीय निवासियों पर भयंकर अत्याचार किए और लाखों लोगों को मारा भी... स्पेनिशों की कालोनियाँ बसीं, लोगों को ईसाई बनाया गया, भाषा-परिवर्तन और संस्कृति परिवर्तन भी हुए... स्थानीय निवासी अमेजन के जंगलों में भाग गए...
बाद में बहुत सारे स्पेनिशों ने स्थानीय युवतियों से विवाह किए, बच्चे पैदा किए और स्थायी रूप से यहीं बस गए... आज के समय में पेरू आदि देशों में तीन तरह के लोग रहते हैं... स्पेनिश मूल के लोग, जो गोरे होते हैं... स्थानीय निवासी अर्थात Indian... और इनका सम्मिश्रण...
चूँकि गोरे लोगों ने कई सौ वर्षों तक स्थानीय निवासियों पर भयंकर अत्याचार किए थे, इसलिए वे गोरों के दुश्मन बन गए... वे जंगलों में रहने वाले सीधे-सादे लोग हैं, इसलिए गोरों के प्रति बहुत सारी किंवदंतियाँ भी बन गईं, जिन्हें वे आज भी सच मानते आ रहे हैं...
आज जहाँ जंगल में बड़े शहर हैं, वहाँ तो गोरों का उतना विरोध नहीं होता, लेकिन दूर जंगलों में गोरों को देखते ही मार डालने की प्रथा है...
इसका एक और भी कारण है... शिक्षा और रोजगार के अवसरों की कमी के कारण स्थानीय लोग जंगलों में अफीम आदि उगाते हैं... चूँकि वहाँ सड़क आदि नहीं है, इसलिए जंगलों का बहुत बड़ा हिस्सा पुलिस और कानून व्यवस्था से दूर है... स्थानीय लोगों के अपने पैदल रास्ते हैं, जिनसे होकर वे ड्रग को शहर तक पहुँचा देते हैं... फिर शहरों में एजेंट सक्रिय होते हैं और नशे की यह सारी खेप मैक्सिको तक पहुँच जाती है और आखिर में अमेरिका...
तो कुल मिलाकर जंगलों में ड्रग ट्रैफिकिंग नेटवर्क बहुत मजबूत है... पुलिस इन्हें रोकने और पकड़ने की कोशिशें करती है... तो ये किसी पर संदेह होते ही मार देते हैं... इनके पास गन और तलवार हमेशा रहती है... इनके अलावा ये जहर बुझे तीरों का भी प्रयोग करते हैं...
लगातार पेरू और अमेजन के दो किस्से पढ़ने के बाद अब मैं पेरू और अमेजन को समझने लगा हूँ... संभव है कि आगे और भी कोई ऐसी ही बात आपके साथ साझा करूँ...
धन्यवाद नीरज जी ज्ञानवर्धन के लिए
ReplyDeleteधन्यवाद नीरज जी ज्ञानवर्धन के लिए
ReplyDeleteकिताब रोचक लग रही है.. पढ़ने की कोशिश रहेगी....
ReplyDeleteबहुत खूब... हमेशा की तरह एक और जानकारी से भरपूर लेख। आभार, नीज भाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया नीरज जी। उम्दा लेखन प्रस्तुति के साथ विस्तृत जानकारी मिली।
ReplyDeleteकिताब के बारे में बताने के लिए धन्यवाद. वाकई बेहद रोचक और प्रेरक किताब है.
ReplyDeleteYou write a great blog
ReplyDeleteधन्यवाद नीरज जी।
ReplyDeleteशायद आप भी कभी आमेजन की यात्रा पर निकल पड़े