सीधी खड़ी लाइन भारत की स्टैंडर्ड टाइम लाइन है... |
धरती जब 360 डिग्री घूमती है, तो समय में 24 घंटे का परिवर्तन आ चुका होता है... यानी 1440 मिनट... 360 डिग्री में 1440 मिनट... यानी 1 डिग्री घूमने में 4 मिनट का परिवर्तन...
भारत का सबसे पूर्वी सिरा अरुणाचल में किबिथू के पास है... इसके देशांतर लगभग 97 डिग्री हैं... उधर सबसे पश्चिमी सिरा गुजरात में कोटेश्वर के पास है... इसके देशांतर लगभग 68 डिग्री हैं... यानी भारत के धुर पूरब और धुर पश्चिमी बिंदुओं के बीच लगभग 30 डिग्री का अंतर है... इसे अगर 4 से गुणा करे, तो 120 मिनट आता है... यानी 2 घंटे...
मतलब... जब किबिथू में सूर्योदय होता है, तो उसके 2 घंटे बाद कोटेश्वर में सूरज निकलता है... जब कोटेश्वर में सूरज निकलता है, तब तक किबिथू में सूरज बहुत ऊपर आ चुका होता है... इसी प्रकार सूर्यास्त भी पहले किबिथू में होता है और उसके 2 घंटे बाद कोटेश्वर में...
दिल्ली का देशांतर 77 डिग्री है... यानी किबिथू से 20 डिग्री और कोटेश्वर से 9 डिग्री... यानी किबिथू में सूर्योदय होने के 80 मिनट बाद दिल्ली में सूर्योदय होता है...
खैर, भारत का स्टैंडर्ड टाइम 82.5 डिग्री देशांतर पर सेट है... यह लाइन यूपी में मिर्जापुर, एमपी में सिंगरौली, छत्तीसगढ़ में कोरबा, ओड़िशा में जयपुर और आंध्र प्रदेश में तूनी के पास से होकर गुजरती है... यह किबिथू से लगभग 15 डिग्री पीछे है और कोटेश्वर से लगभग 15 डिग्री आगे है... इंडियन स्टैंडर्ड टाइम लाइन के एकदम सेंटर लाइन पर स्थित होने के कारण देश में एक टाइम जोन सफलतापूर्वक चल रहा है...
वैसे पूर्वोत्तर में अपने अलग टाइम जोन के लिए आवाज उठती रहती है, लेकिन पूर्वोत्तर का केंद्र गुवाहाटी लगभग 91.5 डिग्री पर स्थित है... यानी सेंटर लाइन से 9 डिग्री दूर... यानी अगर पूर्वोत्तर के लिए अलग टाइम जोन भी बना दिया जाए, तो वह गुवाहाटी के आसपास से होकर गुजरेगा... यानी वर्तमान टाइम जोन से केवल 9x4=36 मिनट का ही फर्क पड़ेगा... केवल 36 मिनट या 40 मिनट के लिए देश को 2 टाइम जोनों में बाँटना ठीक नहीं... इसी वजह से तमाम माँगों और आयोगों के बाद भी 2 टाइम जोन नहीं बने हैं देश में...
मान लो अगर देश में 2 टाइम जोन लागू कर दिए जाएँ और दोनों में एक-एक घंटे का अंतर हुआ, तो कार्यालयों का समय बदल जाएगा... सूरज की रोशनी का ज्यादा अच्छा इस्तेमाल हो सकेगा, जिससे एनर्जी सेविंग होगी...
लेकिन एक आम इंसान पर इसका क्या असर पड़ेगा???... मैं बताता हूँ...
कुछ साल पहले मैं नेपाल गया था... नेपाल का समय भारत से 15 मिनट आगे है... मुझे पता नहीं था और मैंने अपनी घड़ी आगे नहीं की थी... फिर एक दिन पोखरा से सौनोली तक मेरी बस की बुकिंग थी... बस का समय मुझे पता था और बुकिंग के बाद जब मैं अपनी घड़ी के समय पर बस अड्डे पहुँचा, तो पता चला कि बस 15 मिनट पहले सही समय पर चली गई है... तब मुझे एहसास हुआ कि अपनी घड़ी नेपाल के समय के अनुसार कर लेनी चाहिए थी...
तो अगर भारत में भी 2 टाइम जोन बनते हैं, तो जाहिर है कि दोनों में कम से कम एक घंटे का अंतर तो होगा ही... एक पूर्वी टाइम जोन होगा, जिसमें बिहार, झारखंड, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के सभी राज्य आ जाएँगे... और एक पश्चिमी टाइम जोन होगा, जिसमें उत्तर भारत, मध्य भारत, पश्चिम भारत और दक्षिण भारत के सभी राज्य आएँगे... तो जब भी एक टाइम जोन से दूसरे टाइम जोन में यात्रा करनी होगी, तो अपनी घड़ी एक घंटा आगे या पीछे करनी होगी... ट्रेनों का टाइम टेबल भी लोकल टाइम जोन के अनुसार होगा... दिल्ली से गुवाहाटी जाने वाली नोर्थ-ईस्ट एक्सप्रेस मुगलसराय से 18:23 बजे छूटेगी और डेढ घंटे बाद 20:54 बजे बक्सर पहुँचेगी... दिल्ली से दरभंगा जाने वाली बिहार संपर्क क्रांति ट्रेन देवरिया से 03:42 बजे छूटेगी और 48 मिनट बाद 05:30 बजे सिवान पहुँचेगी... इसी तरह एक ट्रेन 13:40 बजे मैरवा से छूटेगी और 12 मिनट बाद 12:52 बजे बनकटा पहुँचेगी...
आप उत्तर भारत के निवासी हैं और आपको हावड़ा से नई दिल्ली जाना है और आपका आरक्षण राजधानी में है... आपके टिकट पर लिखा होगा कि ट्रेन 16:50 बजे हावड़ा से छूटेगी... आप अपनी घड़ी के अनुसार ठीक समय पर स्टेशन पहुँच जाएँगे, तो आपको पता चलेगा कि ट्रेन एक घंटे पहले जा चुकी है... क्योंकि जब आपकी घड़ी में उत्तर भारत के 16:50 बजे होंगे, तो हावड़ा में 17:50 बज रहे होंगे...
यानी आपको हर बार अपनी घड़ी एक घंटा आगे या पीछे करनी होगी और एडवांस आरक्षण के समय भी लोकल टाइम का ध्यान रखना होगा... आम जनमानस पर यह सबसे बड़ा असर पड़ेगा... हम आज भी रात बारह बजे के बाद चलने वाली ट्रेनों में दिनांक लिखने में कन्फ्यूज हो जाते हैं, तो सोचिए कि 2 टाइम जोन होने से कितना भयानक कन्फ्यूजन होगा...
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चलते-चलते बता दूँ कि रूस पूरब से पश्चिम तक 162 डिग्री देशांतर में फैला है और वहाँ 11 टाइम जोन हैं... यानी लगभग 15 डिग्री पर एक टाइम जोन...
आस्ट्रेलिया 40 डिग्री देशांतर में है और वहाँ 3 टाइम जोन हैं...
अमेरिका का मामला अलग है... वहाँ प्रशांत महासागर में बहुत दूर-दूर तक द्वीपसमूह हैं, जिनका टाइम जोन अलग है... अमेरिका में कुल 9 टाइम जोन हैं...
कनाड़ा 90 डिग्री देशांतर में है और वहाँ 6 टाइम जोन हैं...
चीन 60 डिग्री देशांतर में फैला है और वहाँ एक ही टाइम जोन है... हालाँकि सबसे पश्चिमी राज्य जिंगजियांग में अन-ऑफिशियली अलग टाइम भी चलता है, जो चीन के स्टैंडर्ड टाइम से 2 घंटे पीछे है...
तो टाइम जोनों की यह जानकारी आपको कैसी लगी और अगर भारत में 2 टाइम जो जाते हैं, तो आपके अनुसार जनमानस पर और क्या-क्या असर पड़ेगा, यह अवश्य बताना...
पड़ के अलग सा रोमांच दिमाग़ मै आता है की कितनी ट्रेनें/ फ़्लाइट्स छूटेंगी मेरी😂
ReplyDeleteबहुत अच्छी पोस्ट
Keep it up sir
बहुत रोचक और जानकारी भरा पोस्ट। इसे तैयार करने के लिए आप को काफी स्टडी करना पड़ा होगा। भारत वैसे ही अनेक भाषा, संस्कृति, रहन सहन, राज्य के कारण अनेक इशु बनते रहते हैं। अब टाईम जोन बढ़ाकर और क्रिटिकल क्यों बनाना।
ReplyDeleteबहुत अच्छी पोस्ट
ReplyDeleteआपको स्टडी करनेकी जरुरत नहीं पड़ी होगी क्युके आपका इतने सलोका अनुभव। आप तो ज्ञान की किताब हो
Deleteबस एक सुधार करना था, मुगलसराय का नाम दीनदयाल उपाध्याय लिखना था। बाकी अच्छी जानकारी दी है आपने।
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