22 जून 2015 आज हमें केवल केलांग तक ही जाना था इसलिये उठने में कोई जल्दबाजी नहीं की बल्कि खूब देर की। मुजफ्फरनगर वाला ग्रुप लेह की तरफ चला गया था और उनके बाद लखनऊ वाले भी चले गये। टॉयलेट में गया तो पानी जमा मिला यानी रात तापमान शून्य से नीचे था। सामने ही बारालाचा-ला है और इस दर्रे पर खूब बर्फ होती है। मनाली-लेह सडक पर सबसे ज्यादा बर्फ बारालाचा पर ही मिलती है। बर्फ के कारण सडक पर पानी आ जाता है और ठण्ड के कारण वो पानी जम भी जाया करता है इसलिये बाइक चलाने में कठिनाईयां आती हैं। देर से उठने का दूसरा कारण था कि धूप निकल जाये और सडक पर जमा हुआ पानी पिघल जाये ताकि बाइक न फिसले। लखनऊ वालों ने रात अण्डा-करी बनवा तो ली थी लेकिन सब सो गये और सारी सब्जी यूं ही रखी रही। रात उन्होंने कहा था कि सुबह वे अण्डा-करी अपने साथ ले जायेंगे लेकिन अब वे नहीं ले गये। मन तो हमारा कर रहा था कि अण्डा-करी मांग लें क्योंकि दुकानदार को भुगतान हो ही चुका था। हमें ये फ्री में मिलते लेकिन ज़मीर ने साथ नहीं दिया। दूसरी बात कि तम्बू वाले दोनों पति-पत्नी थे। इस तम्बू के सामने वाला तम्बू इसी महिला की मां संभाल रही थी। यह महि
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग