Skip to main content

लाल किला, दिल्ली- एक फोटोयात्रा

पिछले दिनों लालकिला जाना हुआ। इसके बारे में इतना कुछ लिखा जा चुका है कि मेरा लिखने का मन नहीं है। कुछ फोटो हैं, जो आपको पसन्द आयेंगे।
एक बात बताना चाहूंगा। मैं शास्त्री पार्क में रहता हूं। जिस जगह हमारे क्वार्टर हैं, वे यमुना के इतने नजदीक हैं कि कभी कभी लगता है कि कहीं ये इसके डूब क्षेत्र में तो नहीं हैं। उधर यमुना के दूसरी तरफ बिल्कुल मिलकर ही लालकिले की बाहरी दीवार है। दोनों स्थानों को डेढ सौ साल पुराना लोहे का ऐतिहासिक पुल जोडता है। इसी पुल से पहली बार दिल्ली में रेल आई थी। यह रेलवे लाइन पुल पार करके लालकिले के अन्दर से गुजरती है। पर्यटकों को उधर जाने की अनुमति नहीं है, इसलिये किले में घूमते समय यह दिखाई भी नहीं देती। लेकिन जब ट्रेन से जाते हैं तो साफ पता चल जाता है।
लोहे का यह पुल अत्यधिक जर्जर हो चुका है। इस पर दोहरी लाइन है। ऊपर रेल चलती है, नीचे सडक है। भारी वाहनों का आवागमन प्रतिबन्धित है। और ऊपर रेलपथ पर भी एक समय में केवल एक ही ट्रेन गुजर सकती है, वो भी प्रतिबन्धित गति से। इसके बराबर में दूसरा पुल बनाने का काम शुरू किया गया था लेकिन लालकिले की तरफ उस नये पुल के कारण किले की दीवार को क्षति पहुंचने की सम्भावना है, इसलिये काम रुका हुआ है।


किले का प्रवेश द्वार

छत्ता बाजार





किले के अन्दर ब्रिटिशकालीन इमारतें





उम्मीद है फोटो आपको पसन्द आये होंगे। अपनी राय जरूर दें।



Comments

  1. सुन्दर तस्वीरें !

    ReplyDelete
  2. इस बार चित्रों ने कमाल कर दिया.... बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
  3. Gazab ki pic...........

    ReplyDelete
  4. sabi pic bahut achhi hai . but aagar thodi se jankari bhi de dete Redford ke bare main toh or bhi achha hota. akhir redford hamare desh ki ek historical monument hai.

    ReplyDelete
  5. khoobsurat boss

    ReplyDelete
  6. लाल किले की मनमोहक तस्वीरे। नीरज जी का आभार।
    योगेश कुमार कंसल

    ReplyDelete
  7. लाल किले की मनमोहक तस्वीरे। नीरज जी का आभार।
    योगेश कुमार कंसल

    ReplyDelete
  8. लाल किले की मनमोहक तस्वीरे। नीरज जी का आभार।
    योगेश कुमार कंसल

    ReplyDelete
  9. बेहतरीन | धन्यवाद ||
    घूमते रहे, लिखते रहे..

    ReplyDelete
  10. jiski pics hi sab Kuch kahti ho use aur Kuch likhne ki jarurat hi kanha......

    ReplyDelete
  11. बहुत अच्छी पोस्ट

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

डायरी के पन्ने- 30 (विवाह स्पेशल)

ध्यान दें: डायरी के पन्ने यात्रा-वृत्तान्त नहीं हैं। 1 फरवरी: इस बार पहले ही सोच रखा था कि डायरी के पन्ने दिनांक-वार लिखने हैं। इसका कारण था कि पिछले दिनों मैं अपनी पिछली डायरियां पढ रहा था। अच्छा लग रहा था जब मैं वे पुराने दिनांक-वार पन्ने पढने लगा। तो आज सुबह नाइट ड्यूटी करके आया। नींद ऐसी आ रही थी कि बिना कुछ खाये-पीये सो गया। मैं अक्सर नाइट ड्यूटी से आकर बिना कुछ खाये-पीये सो जाता हूं, ज्यादातर तो चाय पीकर सोता हूं।। खाली पेट मुझे बहुत अच्छी नींद आती है। शाम चार बजे उठा। पिताजी उस समय सो रहे थे, धीरज लैपटॉप में करंट अफेयर्स को अपनी कापी में नोट कर रहा था। तभी बढई आ गया। अलमारी में कुछ समस्या थी और कुछ खिडकियों की जाली गलकर टूटने लगी थी। मच्छर सीजन दस्तक दे रहा है, खिडकियों पर जाली ठीकठाक रहे तो अच्छा। बढई के आने पर खटपट सुनकर पिताजी भी उठ गये। सात बजे बढई वापस चला गया। थोडा सा काम और बचा है, उसे कल निपटायेगा। इसके बाद धीरज बाजार गया और बाकी सामान के साथ कुछ जलेबियां भी ले आया। मैंने धीरज से कहा कि दूध के साथ जलेबी खायेंगे। पिताजी से कहा तो उन्होंने मना कर दिया। यह मना करना मुझे ब...

डायरी के पन्ने-32

ध्यान दें: डायरी के पन्ने यात्रा-वृत्तान्त नहीं हैं। इस बार डायरी के पन्ने नहीं छपने वाले थे लेकिन महीने के अन्त में एक ऐसा घटनाक्रम घटा कि कुछ स्पष्टीकरण देने के लिये मुझे ये लिखने पड रहे हैं। पिछले साल जून में मैंने एक पोस्ट लिखी थी और फिर तीन महीने तक लिखना बन्द कर दिया। फिर अक्टूबर में लिखना शुरू किया। तब से लेकर मार्च तक पूरे छह महीने प्रति सप्ताह तीन पोस्ट के औसत से लिखता रहा। मेरी पोस्टें अमूमन लम्बी होती हैं, काफी ज्यादा पढने का मैटीरियल होता है और चित्र भी काफी होते हैं। एक पोस्ट को तैयार करने में औसतन चार घण्टे लगते हैं। सप्ताह में तीन पोस्ट... लगातार छह महीने तक। ढेर सारा ट्रैफिक, ढेर सारी वाहवाहियां। इस दौरान विवाह भी हुआ, वो भी दो बार। आप पढते हैं, आपको आनन्द आता है। लेकिन एक लेखक ही जानता है कि लम्बे समय तक नियमित ऐसा करने से क्या होता है। थकान होने लगती है। वाहवाहियां अच्छी नहीं लगतीं। रुक जाने को मन करता है, विश्राम करने को मन करता है। इस बारे में मैंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा भी था कि विश्राम करने की इच्छा हो रही है। लगभग सभी मित्रों ने इस बात का समर्थन किया था।

लद्दाख बाइक यात्रा- 1 (तैयारी)

बुलेट निःसन्देह शानदार बाइक है। जहां दूसरी बाइक के पूरे जोर हो जाते हैं, वहां बुलेट भड-भड-भड-भड करती हुई निकल जाती है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि लद्दाख जाने के लिये या लम्बी दूरी की यात्राओं के लिये बुलेट ही उत्तम है। बुलेट न हो तो हम यात्राएं ही नहीं करेंगे। बाइक अच्छी हालत में होनी चाहिये। बुलेट की भी अच्छी हालत नहीं होगी तो वह आपको ऐसी जगह ले जाकर धोखा देगी, जहां आपके पास सिर पकडकर बैठने के अलावा कोई और चारा नहीं रहेगा। अच्छी हालत वाली कोई भी बाइक आपको रोहतांग भी पार करायेगी, जोजी-ला भी पार करायेगी और खारदुंग-ला, चांग-ला भी। वास्तव में यह मशीन ही है जिसके भरोसे आप लद्दाख जाते हो। तो कम से कम अपनी मशीन की, इसके पुर्जों की थोडी सी जानकारी तो होनी ही चाहिये। सबसे पहले बात करते हैं टायर की। टायर बाइक का वो हिस्सा है जिस पर सबसे ज्यादा दबाव पडता है और जो सबसे ज्यादा नाजुक भी होता है। इसका कोई विकल्प भी नहीं है और आपको इसे हर हाल में पूरी तरह फिट रखना पडेगा।