आज पहली बार हरियाणा के पर्यटन स्थल के बारे में बताते हैं। शुरूआत करते हैं रोहतक से। रोहतक दिल्ली से मात्र सत्तर किलोमीटर पश्चिम में है। दिल्ली-फिरोजपुर रेल लाइन पर स्थित एक जंक्शन है। रोहतक का सबसे प्रसिद्द मटरगश्ती केंद्र है - तिलयार झील। यह एक कृत्रिम झील है जिसमे यमुना नहर से पानी पहुँचाया जाता है। झील बहुत बड़े भूभाग में फ़ैली है, बीच बीच में टापू भी हैं। झील के चारों तरफ घूमने के लिए पक्का रास्ता बना है। इस पर कई पुल भी हैं।
झील के बगल में है चिड़ियाघर - रोहतक चिड़ियाघर। वैसे तो यह एक छोटा सा चिड़ियाघर ही है, केवल कुछ पक्षी, हिरन, बाघ व तेंदुआ ही हैं। फिर भी हरियाली से भरपूर है और भीड़ से दूर।
यहाँ रुकने के लिए क्या-क्या सुविधाएं हैं, मुझे अभी जानकारी नहीं है। यहाँ रुकना वैसे जरूरी भी नहीं है। दिल्ली से सुबह को आकर शाम को वापस जा सकते हैं, सत्तर किलोमीटर ही तो है, डेढ़ घंटा सारा लगेगा।
अभी पिछले दिनों राज भाटिया जी भारत आये थे, तो वे अपने गृहनगर रोहतक में ही रुके थे, मैं और अंतर सोहिल वाले अमित जी भी पहुँच गए थे उनसे मिलने। तब गए थे तिलयार झील और चिड़ियाघर देखने।
(फोटो: राज भाटिया)
(फोटो: राज भाटिया)
(फोटो: राज भाटिया)
(फोटो: राज भाटिया)
भाटिया जी मिलन वाली पोस्ट पर मैं जानना ही चाहता था कि यह जगह कौन सी है. अच्छा हुआ आज आपने बता दिया. आभार आप मेरा दिल पढ़ पाये. आप अन्तर्यामी कहलाये, महाराज!! :)
ReplyDeleteओह तो भटकती आत्मा मेरे गृहनगर भी पहुंच गई? पर यार ये अच्छा किया जो वहां के ताजा चित्र दिखा दिये. बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteरामराम.
भाटिया जी ने बहुत कहा कि नीरज जी और अंतर सोहेल जी को फोन कर बुला लेते हैं। लेकिन मैं कामों को एक दिन में ही समेट देना चाहता था जिस से भाटिया जी को समय मिल सके, तो मैं ने उंन्हें मना कर दिया। आप दोनों से मिलना नहीं हो सका। भाटिया जी कहते ही रह गए कि आप को रोहतक नहीं दिखाया। आज चित्र देख कर लग रहा है कि रोहतक में कुछ छूट गया है। चित्र सुंदर हैं। यह जाना कि ताऊ का गृहनगर रोहतक है।
ReplyDeleteफोटो में तो बहुत बढ़िया लग रही है ये झील कभी मौका मिला तो जावेंगे देखने...
ReplyDeleteनीरज
अरे भाई नीरज
ReplyDeleteझील पर ही हरियाणा टूरिज्म का तिलयार रिजोर्ट, बार एण्ड मोटल भी तो है। बहुत सुन्दर और साफ सुथरी जगह है ठहरने के लिये और खाना बहुत बढिया मिलता है। 1200-1500 प्रतिदिन के हिसाब से बैडरूम मिल जाते हैं। रविवार को यहां बहुत भीड-भाड होती है। पहले यहां पौधों और झाडियों का कृत्रिम भूल-भुलैया भी था। लेकिन अब हटा दिया गया है। रविवार को यहां झूलों, ऊंट और घुडसवारी का भी आनन्द लिया जा सकता है। और इस झील में बोट भी उपलब्ध हैं, यह तो आपने बताया ही नहीं!!! केवल 4 कि0मी0 पर ही सांई बाबा का भव्य मन्दिर भी है।
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यहाँ रोहतक जाते हुए अक्सर जाना होता है वाकई यह खूबसूरत जगह है
ReplyDeletegood place .
ReplyDeleteअरे कॊइ बात नही अगली बार ब्लांग मिटिंग रोहतक मै ही होगी, शाम को शुरु होगी, फ़िर दुसरे दिन खत्म होगी , खाने पीने का ओर ठहरने का खर्च हमारी तरफ़ से होगा यानि सारी रात हम सब खुब गप्पे मारेगे, मै अगली बार परिवार के संग आने का प्रोगराम बना रहा हुं, दो सप्ताह के लिये, ओर अगर ब्लांग महिल्ये भी आना चाहे तौन सब के लिये भी अलग से ठहरने का इंतजाम होगा, यह सब मेरे घर पर होगा, दिनेश जी फ़िर आप को घुमाऎगे, लेकिन यह प्रोगराम साल के अन्त मै ही बन पायेगा.
ReplyDeleteनीरज जी बहुत बहुत धन्यवाद, इस अति सुंदर पोस्ट के लिये, ओर सुंदर चित्रो के लिये
बहुत बढ़िया, धन्यवाद!
ReplyDeleteमनमोहक चित्र!
ReplyDeleteअच्छा लगा देखकर!
sab hi photo bahut umda hai,jaankari ke liye shukriya
ReplyDeleteNeeraj ji pics na dikh rhi
ReplyDeletePHOTO GAYAB HAI NIRAJ JI
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