13 नवम्बर 2009, शाम साढ़े छः बजे मैं और ललित कश्मीरी गेट बस अड्डे पर पहुंचे। पता चला कि हिमाचल परिवहन की धर्मशाला जाने वाली बस सवा सात बजे यहाँ से चलेगी। बराबर में ही हरियाणा रोडवेज की कांगड़ा - बैजनाथ जाने वाली शानदार 'हरियाणा उदय' खड़ी थी। इसके लुक को देखते ही मैंने इसमें जाने से मना कर दिया। लगा कि पता नहीं कितना किराया होगा! लेकिन भला हो ललित का कि उसने कांगड़ा तक का किराया पता कर लिया - तीन सौ पांच रूपये। इतना ही साधारण बस में लगता है। तुरन्त टिकट लिया और जा बैठे। कांगड़ा से धर्मशाला तक के लिए तो असंख्य लोकल बसें भी चलती हैं।
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कुरुक्षेत्र पहुंचकर बस आधे घंटे के लिए रुकी। वैसे तो कुरुक्षेत्र का बस अड्डा मेन हाइवे से काफी हटकर अन्दर शहर में है लेकिन यहाँ भी 'बस अड्डा, हरियाणा परिवहन निगम, कुरुक्षेत्र' लिखा था। यहाँ पर हमने खाना पीना किया। इसके बाद तो मुझे नींद आ गयी। हाँ, चण्डीगढ़ व ऊना में आँख जरूर खुल गयी थी। ऊना के बाद किस रास्ते से चले, मुझे नहीं पता। शायद अम्ब व देहरा होते हुए गए होंगे।
चौदह नवम्बर, सुबह छः बजे। कांगड़ा पहुंचे। बारिश हो रही थी। यहाँ कल शाम से ही बूंदाबांदी हो रही थी। कांगड़ा में वैसे ज्यादा ठण्ड नहीं पड़ती है, लेकिन आज जबरदस्त ठण्ड थी। धर्मशाला की ऊपरी पहाड़ियों पर पिछले दिनों बरफबारी हुई थी, इसका असर पूरी कांगड़ा घाटी में देखने को मिल रहा था। मौसम साफ़ हो तो कांगड़ा से ही हिमालय की धौलाधार बर्फ श्रृंखला का मनोहर दृश्य दिखता है। पिछली बार जब मैं बैजनाथ गया था तो पठानकोट से ही बर्फ दिखने लगी थी। लेकिन आज मौसम खराब था, इसलिए नहीं दिखी।
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तुरन्त ही धर्मशाला जाने वाली बस मिल गयी। और सात बजे तक हम वहां पहुँच गए। धर्मशाला कांगड़ा से करीब बीस किलोमीटर दूर है और बस से पंद्रह रूपये लगते हैं। यहाँ भी जबरदस्त बारिश हो रही थी। अरे हाँ, धर्मशाला को हिमाचल का चेरापूंजी भी कहा जाता है। यहाँ विशाल पर्वतों की बनावट कुछ ऐसी है कि बादल इनमे फंस जाते हैं और खूब बारिश होती है। कुछ दिन पहले ही भारत के पश्चिमी समुद्र यानी अरब सागर में विक्षोभ से मुंबई समेत कई इलाकों में खूब बारिश हुई थी। वह विक्षोभ जब दिल्ली पहुंचा तो यहाँ का तापमान भी काफी गिर गया था और हलकी बारिश भी हुई थी। यही बादल भरी हवाएं जब हिमाचल पहुंची तो पर्वतों के कारण आगे नहीं बढ़ सकीं और संघनित होकर यहीं बरस गयीं।
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गर्मियों के दिन होते तो हम बारिश में ही भीगते हुए निकल पड़ते, लेकिन सर्दियों में ऐसा करना बहुत खतरनाक है। बस अड्डे की पहली मंजिल पर कैंटीन है। चाय, परांठे व आमलेट का आनंद उठाया। यहाँ से कुछ दूर तक तो पहाड़ दिख रहा था लेकिन फिर काले-काले बादल। काले बादल का मतलब है कि अभी बारिश होती रहेगी। बारिश होने का मतलब है कि हमारा आज का पूरा दिन खराब हो सकता है।
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धर्मशाला से 8-10 रूपये दूर ऊपर मैक्लोडगंज है। इसे मिनी तिब्बत भी कहा जाता है। हमने सोचा कि पहले किसी तरह मैक्लोडगंज चलते हैं। वहां पहुंचकर जो भी जैसा भी मौका मिलेगा, घूम-घाम लेंगे। बस पकड़ी और पंद्रह मिनट में मैक्लोडगंज।
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अगला भाग: मैक्लोडगंज - देश में विदेश का एहसास
धर्मशाला कांगडा यात्रा श्रंखला
1. धर्मशाला यात्रा
2. मैक्लोडगंज- देश में विदेश का एहसास
3. दुर्गम और रोमांचक- त्रियुण्ड
4. कांगडा का किला
5. ज्वालामुखी- एक चमत्कारी शक्तिपीठ
6. टेढा मन्दिर
धर्मशाला से 8-10 रूपये दूर ऊपर मैक्लोडगंज है-दूरी नापने का यह पैमाना पसंद आया/// हा हा!! गज़ब मुसाफिर हो भाई!!
ReplyDelete@चाय पीते रहो:) , Jeete raho ! Bahoot khoob !
ReplyDelete@ Udan Tashtari-- In some World War based movies i had seen soldiers narrating a distance in terms of "Cigarettes continuously smoked on the way" , but this is another interesting way measuring things in Rupees !
Interesting .... !!!
ReplyDeleteधर्मशाला से 8-10 रूपये दूर ऊपर मैक्लोडगंज है और पाँच-सात किलोमीटर का टिकीट लगता होगा?.... फोटो मस्त लग रही हैं...
ReplyDeleteआपकी घुमक्कड़ी को सलाम...चलते रहो...दिलचस्प वर्णन...
ReplyDeleteनीरज
मज़ेदार सफ़र और मज़ेदार लगा उसको पढना,खूब मज़े लो नीराज बाबू,ऐश करो।
ReplyDeleteबढ़िया रोचक और कुछ विस्तार से लिखे :)
ReplyDeletekya kare us samay paimana nahi tha isliye rupeer hi paimana the....
ReplyDeleteधर्मशाला से 8-10 रूपये दूर ऊपर मैक्लोडगंज है अरे बाबा हम भी यहां अटक गये, माजा आ गया आप की यात्रा का सुन कर, बहुत सुंदर, चलिये अब चार पियो बाते फ़िर करेगे... राम राम
ReplyDeleteBHAAREE-BHARKAM MAGAR
ReplyDeleteBahut chhota sa comment.
NICE.
musifir hoon yaroon
ReplyDeletesunder rachna
khub sair karo bhai subhkamnaye
ReplyDeleteकमाल की जगह धर्मशाला। ऐसा पढा और सुना है। पर मेरी शिकायत जारी रहेगी कि फोटो अच्छे और ज्यादा खीचा करो जी। कि मैं खूब जला करुँ और आप्की खींची गई फोटोज को चोरी करने का मन करें।
ReplyDeleteआपके यात्रा वृतांत को पढके बारिश का लुफ्त उठाया, सचमुच बारिश में तो ये और भी निखरता होगा
ReplyDeleteyour approch is too good...keep it up
ReplyDeleteबारिश ने मजा खराब कर दिया था
ReplyDeleteबहुत अच्छा वर्णन
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