ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस बारे में एक कथा है। एक बार नारदजी, विन्ध्य पर्वत पर आये। विन्ध्य ने अभिमान से कहा- "मैं सर्व सुविधा युक्त हूँ।" यह सुनकर नारद बोले-"ठीक है। लेकिन मेरू पर्वत तुमसे बहुत ऊंचा है।" यह सुनकर विन्ध्य उदास हो गया। "धिक्कार है मेरे जीवन को।" फिर उसने शिवजी की तपस्या की। जहाँ आज ज्योतिर्लिंग है, वहां शिव की पिण्डी बनाई और तपस्या करता रहा। तपस्या से प्रसन्न होकर जब शिवजी ने वर मांगने को कहा तो विन्ध्य बोला-"हे भगवान्! आप यहाँ स्थाई रूप से निवास करें।" बस, शिवजी मान गए।
...
यह पूर्वी निमाड़ (खंडवा) जिले में नर्मदा के दाहिने तट पर स्थित है। बाएँ तट पर ममलेश्वर है जिसे कुछ लोग असली प्राचीन ज्योतिर्लिंग बताते हैं। इसके बारे में कहा जाता है कि रात को शंकर पार्वती व अन्य देवता यहाँ चौपड-पासे खेलने आते हैं। इसे अपनी आँखों से देखने के लिए स्वतन्त्रता पूर्व एक अंग्रेज यहाँ छुप गया था। लेकिन सुबह को वो मृत मिला। यह भी कहा जाता है कि शिवलिंग के नीचे हर समय नर्मदा का जल बहता है। हालाँकि अत्यधिक भीड़ के कारण मुझे जल तो दूर, पिण्डी तक नहीं दिखाई दी।
यहाँ नर्मदा पर एक बाँध भी बना है। बांध के पास से ही पानी की दो धाराएँ बन जाती हैं- एक तो नर्मदा व दूसरी कावेरी। बाद में ये मिल जाती हैं जिसे संगम कहते हैं। दोनों नदियों के बीच में ॐ आकार का पर्वत है। इसी पर ओमकारेश्वर स्थित है। इस ॐ पर्वत की परिक्रमा भी की जाती है। परिक्रमा सात किलोमीटर की है। परिक्रमा मार्ग में खेडापति हनुमान, नर्मदा-कावेरी संगम, गौरी सोमनाथ, राजा मुचकुंद का किला, चाँद-सूरज द्वार, सिद्धनाथ बारहद्वारी, गायत्री मंदिर और राजमहल आते हैं।
...
कैसे जाएँ- ऊपर लिखी जानकारी तो मैंने "ओमकारेश्वर महात्मय" किताब में से उतारी है। अब वो जानकारी जो मुझे अपने आप व ताऊ की सहायता से हो गयी।
हवाई जहाज वालों के लिए तो इंदौर में हवाई अड्डा है। रेल वालों के लिए सुविधाजनक ब्रॉड गेज स्टेशन खण्डवा व इंदौर है। इन दोनों शहरों के बिलकुल बीच में है- ओमकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन। यह अकोला-खण्डवा-रतलाम मीटर गेज की लाइन से जुडा है। यहाँ से मंदिर 12-13 किलोमीटर दूर है। बसों की भी बेहतरीन सुविधा है- इंदौर से भी और खण्डवा से भी।
...
कब जाएँ: जब जी चाहे। मैं तो 15 अगस्त 2009 को गया था। इंदौर से ट्रेन रात को डेढ़ बजे थी। ताऊ जिद पकड़कर बैठ गए कि तू इसी ट्रेन से जाना। मैंने कहा कि ताऊ, यह ट्रेन रतलाम से आती है और अकोला जाती है। खूब जबरदस्त भीड़ मिलेगी। मैं बस से ही चला जाता हूँ। बोले कि नहीं यह तो बिलकुल खाली आती है। और जब ट्रेन आई तो इतनी जबरदस्त भीड़ थी कि इंदौर से चढ़ने वाली आधी सवारियां तो चढ़ भी नहीं पायी होंगी। भला हो कि इसमें दो डिब्बे स्लीपर के भी थे। मैंने तुरन्त टीटी जी को "अर्धशतक" दिया और एक बर्थ अपनी हो गयी। साढे चार बजे ओमकारेश्वर रोड पहुंचे। फिर क्या हुआ? ये लो फोटू देख लो।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgA7Kf1E__iFCbbGMDi-DPHJeBUD_72tRvRCwB5acHdZ-vn-gapG87NNufPbuu-MT_-AhlGwfsPYzehUHltZ5RyqHJORa7_RQeWYdI8tXvrZHg3ka01aaAEgV57JD8IJSO5koOWH8KjUWU/s640/1.jpg)
(रेलवे स्टेशन)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjVQpE3jWL0fydr8jYMfqtS5asSwNlPnRyc4DnJW8daY5osS48Vl8tO_BbnuoX8T3QZi-cVDAEYdPW4QrUbTvSSn5D-x8aR9-34LzFn3oxZj2Jb_XZy77068tg7SlyCZArOCUZYXcOctFI/s640/2.jpg)
(वो उस तरफ़ मन्दिर दिख रहा है)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgrxGZnJ2HqCG5aWxKKzez5qeWEhVxYCfM4JJWmg29yB0G3OMys6zQKaASgUBlLivs5wOrs1Obw05F70-WrJvmQYi_DTXUz1S90qDAa8P4IzH5biCgo7k6cG_m_dhLzifWinWREqm7o410/s640/3.jpg)
(नर्मदा पार करने के लिए दो पुल हैं। एक तो सामने दिख रहा है दूसरा मेरे पीछे है)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEij64sadUc9vzsooqMuKWQG1rMLTu0NNhIaB-wvyPL6J0UHy2ElTJHFMkV2_dnNgnRm8BTPyksSDcQJb5MQ0_T6Gkhh15iSF3x0x3xQq-cLhYaP8zLB0GAYIL3fvAXN9yu4WXz4JYO1tTo/s640/4.jpg)
(ममलेश्वर मन्दिर समूह। यह मन्दिर ओमकारेश्वर से भी प्राचीन माना जाता है।)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgwwINLL6o29aaVjVw1ygL2J2lgdrBCGtfWv7wl1BdImdlU919x7lUkxie6sAS1HA8eLNhhtKkgCHyVmeobhPDNmX8LDnX25eoeXov4Q9Zi-lHEvQXQtSFk3ImUPL9-oMko5cD3A5qjssE/s640/5.jpg)
(नर्मदा पर बना बाँध जिससे बिजली बनाई जाती है)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj7yYJkrc6hsRZiPYBG2BtWtQpIxmN_w0V8Z6F9gPwH9IL0DyS7X3La3qhlvw4mjgt7pPvMPLVIujQ_qwxH7AjL96dN6aG5fM1L8P3Vdhe-xKKUgfcrgrwnek0Fjgp1jUIGn5LkLLeu-T0/s640/6.jpg)
(ममलेश्वर पुल से खींचा गया नर्मदा का विहंगम दृश्य। सामने दूसरा पुल भी दिख रहा है।)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgUqPFv3tu-eycyNfKOH-Wi_RV9-aGbkGDQV6hQ9Y_972XKi01lCdNsD8Dm47BH_xcDk4xq_Mnmzu42xD-uUHDUU5Tv-5zplwFe_JSurp-B0_ANYbgv90HGnhKcsIZfpe2dCqKXqwrehBk/s640/7.jpg)
(नर्मदा में स्नान करते लोग। मैंने भी यहाँ पर स्नान किया था। लेकिन यहाँ काई बहुत ज्यादा है, जिससे फिसलन बहुत है। मेरे सामने भी कई लोग फिसलकर सीधे नर्मदा में जा "कूदे" थे।)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbTaeJEYbEMHfCy1Zl-_Aq2Npihidd8B5Yd1xF8ExTg3rt4FgpHpHn6Zbs-699WaoEnvVIChW-FqAZCKrNoI8mMGZbr0LnWgZwIcPAalEdsc8m4jZgBTWzuS2DEj9fZ2_LodMWHJF3IQo/s640/8.jpg)
(ओमकारेश्वर मन्दिर इसी तरह के असंख्य खंभों पर टिका है।)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiWaQ7_GuhVDLf6IyR-9VmoIkegOmaGWTkXP1eSTjLbn3fkLvkWdz84DGhBVxlsnBALAWJmXHwT_CKh6mfHr1DNYsIN9lILjWEurYO3sFlUU7ZXVanasdtn1JNkHzrIwt-2F1jW3mKSdfs/s640/9.jpg)
(परिक्रमा पथ)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiMGimO69attdQspSSyetsuWAIyFATT4m7s7XahkxbevZ7vmR3Kt7E87sxy_ssNT-la2GNyL5Tgz5yni9xv94Yr5OJClvIp5ld0LvNyaI1esYEduZZvix8pC0I-EHgPjNVLdgSxN6OsQ-M/s640/10.jpg)
(परिक्रमा पथ, मैंने भी परिक्रमा की थी लेकिन उल्टी दिशा में)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgNWb25UJt3qnFDwcMHvdoeB2mtQ3rSYIOtapZdd8zzsRBJcChUvTBsDNuy_q___S8L4zKTdsoMuYEz524TtAK7_IbqzZE6JvSB_DImHLaNLCaND6sNL6JHIwrdOZLpoXkF6K3o2ykyH_M/s640/13.jpg)
(गौरी सोमनाथ मन्दिर)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjoUgx5J9rqsYB59hxswJmsjZhQBZxwih3Dswck0zqo3B7sQB3YZoEwKd3RaUZfOmZkvPonv5jl_R5hOFN5cPN819SNjRBJb-VtQBmvm_4QSmQzfAVPul_YO8dNnZvtDKuhkKmgY2gpDXc/s640/11.jpg)
(ये पता नहीं कौन सा मन्दिर है, लेकिन है परिक्रमा पथ में ही)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgiI7toPG-CVZI6As5ro440-qgMcVzKq3nMZ_0mT2WpEI_8-h_ARlrNIxL0ejvvf1SM06NCqHlcREtdMbYPkCZOuty4Mi6Duu-1X7cH8-a5LBVOeLt8voFDUF1aDxOsoNQBGHgnIfKkU94/s640/12.jpg)
(पूरे परिक्रमा पथ में लंगूर बहुत हैं। जब भी किसी के हाथ में कुछ देख लेते हैं तो उसे घेर लेते हैं।)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhB88qgUlT326mA0K9TOg6Y1fR9YrjoDliOtHt-mph6iSa_B6-238OSkQ1jMWwhB6GE0WPiyw4_Vuf7UbmJx4IomP8lbIgg-MJTNC9Yp2zG4elYPWpCLEohVfpy9_K4BweeM6AE_tb4HXg/s640/14.jpg)
(संगम। मेरे पास से तो नर्मदा है और उधर दाहिने से कावेरी आ रही है।)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjPP2R1rXTlDxYQrb-qaa-H8Mm7QdR4KmPxj_xaHwKFQNruhRxjpjeRr-2yioPyxz7HpzCrJOPuf9QWlnx-5422i8ySU-kWgYxTGAp3BE9Dwd09Mm8We7Kw2VSh8VMJo1winlVIFButifo/s640/15.jpg)
अगला भाग: सिद्धनाथ बारहद्वारी
मध्य प्रदेश मालवा यात्रा श्रंखला
1. भीमबैठका- मानव का आरम्भिक विकास स्थल
2. महाकाल की नगरी है उज्जैन
3. इन्दौर में ब्लॉगर ताऊ से मुलाकात
4. ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
5. सिद्धनाथ बारहद्वारी
6. कालाकुण्ड - पातालपानी
बधाई !
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
Jay Omkaareshvar !
ReplyDeleteभोलेनाथ की जय. बढिया चित्र और सुंदर विवरण.
ReplyDeleteरामराम.
सुंदर चित्र .. बढिया विवरण !!
ReplyDeleteएक अच्छे मुसाफिर के सारे गुण है आप में...
ReplyDeleteअत्यंत उपयोगी जानकारी दी है आपने। इस हेतु हमारी ओर से हार्दिक आभार स्वीकारें।
ReplyDeleteवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
नयनाभिराम एवं रोचक जानकारी...मुझे भी अपनी ओम्कारेश्वर यात्रा स्मरण हो आयी...आप वहां से मांडू क्यूँ नहीं गए...वहां से याने इंदोर से? इस मौसम में मांडू जैसी दूसरी जगह नहीं...
ReplyDeleteनीरज
ओह, ओंकारेश्वर मेरा स्टेशन था और कई बार इसका निरीक्षण किया है। मोरटक्का के रास्ते ओंकारेश्वर अनेक बार जा चुका।
ReplyDeleteआपकी पोस्ट से याद आया।
इस बार काफी फोटू चिपका दिये मुसाफिर भाई, सभी अच्छे और नयनाभिराम. लेकिन इस बार आपका फोटू नदारद है. यह ठीक नहीं है.
ReplyDeleteजी करता है इन दृश्यों पर एक ग़ज़ल लिखूं. सुन्दर विवरण...
ReplyDeleteमनमोहक चित्र और रोचक- ज्ञानवर्धक जानकारी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लेखन
आपका आभार
C.M. is waiting for the - 'चैम्पियन'
प्रत्येक बुधवार
सुबह 9.00 बजे C.M. Quiz
********************************
क्रियेटिव मंच
*********************************
विवरण तो अच्छा है ही चित्र बहुत अच्छे है
ReplyDeleteइस बार तो बहुत से पिक्स के साथ और खूब सुन्दर वर्णन किया ....बहुत बढ़िया रहा ...
ReplyDeleteये परिक्रमा उल्टी तरफ से करने के पीछे कोई मकसद था क्या ??:)))
Keep travelling n keep writing
लाजवाब! मजा आ गया. आभार.
ReplyDeleteshukriya chitron aur jaankari ke liye.
ReplyDeleteजय ओमकारजी
ReplyDeleteJay omkareshor
ReplyDeleteJay omkareshor
ReplyDeleteJay omkareshor
ReplyDelete