24 मई, 2009, रविवार। इरादा था सुबह 6 बजे तक हल्द्वानी पहुँचने का, लेकिन अपने आलकस के कारण हल्द्वानी पहुँच सका दस बजे यानि चार घंटे लेट। दिल्ली से रात को ग्यारह बजे के आस-पास रानीखेत एक्सप्रेस चलती है, जो छः-साढे छः बजे तक हल्द्वानी पहुंचती है। मैंने टिकट भी ले लिया। देखा कि ट्रेन "ओवरलोड" हो चुकी है। बैठने लेटने की तो दूर, पैर रखने की भी जगह नहीं मिली।
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टिकट वापस कर दिया। जा पहुंचा कश्मीरी गेट बस अड्डे पर। अकेला ही था, सभी साथी-दोस्त सन्डे को बिजी थे। कश्मीरी गेट से हल्द्वानी के लिए बसें ना तो मिलती हैं, ना ही मिली। आनंद विहार पहुंचा। रात के एक बज चुके थे। यहाँ पहुँचते ही एक प्राइवेट बस एजेंट ने घेर लिया कि भाई, हल्द्वानी जाओगे क्या? मुझे जाना तो था ही, हाँ कर दी। मैंने पूछा कि किराया बताओ। बोला कि 280 रूपये, डीलक्स बस है। मैंने कहा कि भाई, मेरी औकात नहीं है इतना किराया देने की। मैं तो साधारण रोडवेज की बस से ही चला जाऊँगा, 150 रूपये लगेंगे। बोला कि भाई साहब, चलो कोई बात नहीं, आप 200 दे देना। हम राजी हो गए। कंडक्टर ने साथ ही हिदायत भी दे दी कि किसी भी सवारी से मत बताना कि 200 रूपये में काम बन गया है। बल्कि 280 ही बताना।
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और उस डीलक्स बस में एक स्लीपर भी मिल गया। मजे से दोनों पैर लम्बे फैलाकर सोता हुआ गया। दस बजे हल्द्वानी और वहां से जीप जाती है। ग्यारह बजे तक भीमताल जा पहुंचा।
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भीमताल उत्तराखंड का सबसे बड़ा ताल माना जाता है। यह नैनीताल जिले में है। नैनीताल से 22 किलोमीटर पूर्व में। काठगोदाम से 4 किलोमीटर आगे रानीबाग से एक रास्ता सीधे नैनीताल चला जाता है और दाहिने से दूसरा रास्ता भीमताल जाता है। अल्मोडा जाने के लिए भी इस रास्ते का इस्तेमाल किया जाता है। हल्द्वानी से भीमताल तक 40-45 मिनट लगते हैं।
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यह समुद्र तल से 1370 मीटर की ऊँचाई पर है। ऐसा माना जाता है कि वनवास के दौरान भीम यहाँ पर रुके थे। ताल के किनारे ही भीमेश्वर मंदिर है। भीमताल झील की लम्बाई 1700 मीटर से ज्यादा है, और चौडाई? अजी, 450 मीटर से भी ज्यादा। गहराई है इसकी 18 मीटर।
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यहीं से गोला नदी निकलती है, जो आगे हल्द्वानी होते हुए रामगंगा में मिल जाती है। सिंचाई विभाग ने यहाँ से एक बाँध बनाकर नहर भी निकाली है, जो आस-पास के खेतों में सिंचाई के काम आती है।
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झील के बीच में एक टापू भी है जो दूर से देखने पर किसी बड़ी नाव जैसा दिखता है।
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रहने-खाने के लिए यहाँ हर तरह के होटल-रेस्टोरेंट हैं। भीड़-भाड़ भी नहीं है। ताल का पानी भी साफ़-सुथरा है। इसमें मछलियों की भी अच्छी-खासी संख्या है। मछली पकड़ने पर शायद रोक है, लेकिन फिर भी लोगबाग पकड़ते हैं।
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मेरे वहां पहुँचते ही बारिश शुरू हो गयी। एक जगह पर गोविन्द बल्लभ पन्त की आदमकद मूर्ति लगी है, उसी के सामने एक टीन शेड में मैं बैठ गया। आधे घंटे बाद बारिश रुकी, तब निकला।
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निकलते ही फिर बारिश। ऐसा दो बार हुआ। हो सकता है इन्द्र देवता मुझसे पिछले जन्म का गुस्सा निकाल रहे हों। वहीं किसी पेड़-वेड की टहनी पर बैठे होंगे। मुझे देखते ही अपना पम्प चला देते होंगे। भीमताल में पानी की कमी थोड़े ही है?
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वैसे उस दिन नैनीताल में भी बारिश पड़ी थी। हाँ भई, देवता लोग हैं। देवभूमि उत्तराखंड में घूमते-फिरते रहते हैं। पता नहीं कब कहाँ जा पहुंचे।
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अगला भाग: नौकुचियाताल
भीमताल नैनीताल यात्रा श्रंखला
1. आज घूमिये भीमताल में
अच्छा है घूमो फ़िरो मौज करो!सच मे सुन्दर है ताल।
ReplyDeleteभयानक गर्मी में भीम ताल के दर्शन से आँखें और मन दोनों तृप्त हो गए...ठंडक पड़ गयी...हम को भी अपनी भेम्ताल यात्रा याद आ गयी...लेकिन तब बारिश नहीं हुई थी...बहुत सुन्दर चित्र और वर्णन...
ReplyDeleteनीरज
चलो भैया हम भी घूम लिए आप के साथ!!
ReplyDeleteधन्यवाद!!
हिन्दी चिट्ठाकारों का आर्थिक सर्वेक्षण : परिणामो पर एक नजर
चलो अच्छा किया भीमताल भी घूमा दिया।
ReplyDeleteमुसाफिर जी ....वाह आप भीमताल घूम आए ..नदी का नाम गौला है गोला नहीं ...आप चूक गए ..कल ही वहां पर बहुत खूबसूरत एक्वेरियम खुला है जिसमे कई हजारों मछलियों की प्रजातियाँ पर्यटकों के लिए अवलोकन के लिए रखी हैं ...लेकिन किराया बहुत ज्यादा है ...१००/पर व्यक्ति और टापू तक जाने के १५०/...
ReplyDeleteवाह भाई पुरानी यादें ताजा करवा दी आज फ़िर से तन्नै तो.
ReplyDeleteघणी रामराम.
बहुत प्यारी जगह, हम भी गये तो तीन साल पहले... वैसे भीमताल में पर्यटक शायद कम आते हैं..
ReplyDeleteachha laga aapke saath ghumkar
ReplyDeleteI have been there and yes it is not a very crowded place . nice for a short stay! Had u asked me i would have suggested u to visit a small museum raised by Prof. Yashodhar Matthpal . anyway nice pics.
ReplyDeleteभीमताल आये थे तो मेरी कुटिया को भी धन्य कर देते।
ReplyDeleteभीमताल की यात्रा तो अच्छी लगी ही, कमेन्ट के फोर्मेट में बदलाव मेरे लिए सुविधाजनक हो गया; धन्यवाद. अगली बार ऐसी जगहों पर जायें तो वहां के ब्लोगर्स की जानकारी भी इकठ्ठा कर लें. शास्त्री जी की बात को ध्यान में रखियेगा. :-)
ReplyDeleteShastri ji sure why not? Neeraj we should visit the place again!
ReplyDeleteshukriya is taal ki sair karwane ke liye.
ReplyDeleteमुसाफिर जी,
ReplyDeleteबारिश के अतिरिक्त मौसम गर्म था या ठीक ठाक?
Nice pics...
ReplyDeleteapna shaher dekh ke achha laga...
दिल्ली से कितने पास है, आप मूड बनाया और पहुँच गए। एक मैं हूँ। चलिए एक और जन्म लेने का कोई कारण तो बचना चाहिए।
ReplyDeleteभीमताल घुमाने के लिए आभार।
घुघूती बासूती
Sir ji good
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