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हिंदुस्तान... फुरसत... रविवार... 22 दिसंबर 2019


Comments

  1. पढ़ा आज के अखबार में। सुन्दर।

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  2. विजयनगर का अंत मुग़लों, चोल और मराठाओं के आक्रमण से नहीं हुआ था। अहमदनगर, बीजापुर, बेरार, गोलकोण्डा और बीदर के सुल्तानों ने मिलकर हमला किया था। बड़ी सेना होने पर भी अंत में अपने ही कुछ मुस्लिम सरदारों द्वारा धोखा दिया जाने पर विजयनगर की हार हुई। तलीकोटा के युद्ध के बारे में पढ़ें।

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46 रेलवे स्टेशन हैं दिल्ली में

एक बार मैं गोरखपुर से लखनऊ जा रहा था। ट्रेन थी वैशाली एक्सप्रेस, जनरल डिब्बा। जाहिर है कि ज्यादातर यात्री बिहारी ही थे। उतनी भीड नहीं थी, जितनी अक्सर होती है। मैं ऊपर वाली बर्थ पर बैठ गया। नीचे कुछ यात्री बैठे थे जो दिल्ली जा रहे थे। ये लोग मजदूर थे और दिल्ली एयरपोर्ट के आसपास काम करते थे। इनके साथ कुछ ऐसे भी थे, जो दिल्ली जाकर मजदूर कम्पनी में नये नये भर्ती होने वाले थे। तभी एक ने पूछा कि दिल्ली में कितने रेलवे स्टेशन हैं। दूसरे ने कहा कि एक। तीसरा बोला कि नहीं, तीन हैं, नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और निजामुद्दीन। तभी चौथे की आवाज आई कि सराय रोहिल्ला भी तो है। यह बात करीब चार साढे चार साल पुरानी है, उस समय आनन्द विहार की पहचान नहीं थी। आनन्द विहार टर्मिनल तो बाद में बना। उनकी गिनती किसी तरह पांच तक पहुंच गई। इस गिनती को मैं आगे बढा सकता था लेकिन आदतन चुप रहा।

ट्रेन में बाइक कैसे बुक करें?

अक्सर हमें ट्रेनों में बाइक की बुकिंग करने की आवश्यकता पड़ती है। इस बार मुझे भी पड़ी तो कुछ जानकारियाँ इंटरनेट के माध्यम से जुटायीं। पता चला कि टंकी एकदम खाली होनी चाहिये और बाइक पैक होनी चाहिये - अंग्रेजी में ‘गनी बैग’ कहते हैं और हिंदी में टाट। तो तमाम तरह की परेशानियों के बाद आज आख़िरकार मैं भी अपनी बाइक ट्रेन में बुक करने में सफल रहा। अपना अनुभव और जानकारी आपको भी शेयर कर रहा हूँ। हमारे सामने मुख्य परेशानी यही होती है कि हमें चीजों की जानकारी नहीं होती। ट्रेनों में दो तरह से बाइक बुक की जा सकती है: लगेज के तौर पर और पार्सल के तौर पर। पहले बात करते हैं लगेज के तौर पर बाइक बुक करने का क्या प्रोसीजर है। इसमें आपके पास ट्रेन का आरक्षित टिकट होना चाहिये। यदि आपने रेलवे काउंटर से टिकट लिया है, तब तो वेटिंग टिकट भी चल जायेगा। और अगर आपके पास ऑनलाइन टिकट है, तब या तो कन्फर्म टिकट होना चाहिये या आर.ए.सी.। यानी जब आप स्वयं यात्रा कर रहे हों, और बाइक भी उसी ट्रेन में ले जाना चाहते हों, तो आरक्षित टिकट तो होना ही चाहिये। इसके अलावा बाइक की आर.सी. व आपका कोई पहचान-पत्र भी ज़रूरी है। मतलब

हरिद्वार में गंगा आरती

इस शनिवार को हमने पहले ही योजना बना ली थी कि कल हरिद्वार चलेंगे। वैसे तो मैं हरिद्वार में ही नौकरी करता हूँ। हरिद्वार से बारह किलोमीटर दूर बहादराबाद गाँव में रहता हूँ। कभी कभी सप्ताहांत में ही कहीं घूमने का मौका मिल पाता है। कमरे पर मैं और डोनू ही थे। इतवार को आठ बजे सोकर उठे। बड़े जोर की भूख भी लग रही थी। सोचा कि चलो परांठे बनाते हैं, आलू के। मैंने आलू उबलने रख दिए। डोनू पड़ोसी के यहाँ से कद्दूकस ले आया। बड़ी ही मुश्किल से परांठे बनाये। कोई ऑस्ट्रेलिया का नक्शा बना, कोई अमेरिका का। एक तो बिल्कुल इटली का नक्शा बना। दस बजे तक हम कई देशों को खा चुके थे। इतवार को सबसे बड़ी दिक्कत होती है - कपड़े धोने की। पूरे सप्ताह के गंदे कपड़े इतवार की बाट देखते रहते हैं। मेरे तीन जोड़ी थे, जबकि डोनू के भी करीब इतने ही थे। जितने चुस्त हम खाने में हैं, उतने ही सुस्त काम करने में। सुबह को आठ बजे तक पानी आता है, फिर दोपहर को आता है, भर लिया तो ठीक, वरना नल से खींचना पड़ता है। आठ बजे तो हम सोकर ही उठे थे। फिर भी हमने तीनों बाल्टी, सारे बड़े बर्तन जैसे कि कुकर, भगोना, पतीली वगैरा सब भरकर रख लिए। कौन खींचे