आज भारत के मौसम की स्टडी करते हैं... भारत का काफी हिस्सा उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में आता है... यानी सूरज सीधा सिर के ऊपर चमकता है... गर्मी खूब होती है... गर्मी होने से हवाओं की डेंसिटी कम हो जाती है... जबकि हिंद महासागर में भूमध्य रेखा के दक्षिण में सर्दी पड़ने के कारण हवाओं की डेंसिटी ज्यादा रहती है... हिंद महासागर के धुर दक्षिण में अंटार्कटिका है और धुर उत्तर में भारत... यानी हिंद महासागर के दक्षिण में ज्यादा डेंसिटी वाली हवाएँ होती हैं और उत्तर में कम डेंसिटी की हवाएँ... तो जाहिर-सी बात है कि हवा ज्यादा डेंसिटी से कम डेंसिटी की ओर चलना शुरू कर देंगी... अब होता ये है कि धरती के घूमने के कारण व अन्य कई कारणों से ये हवाएँ अफ्रीका को स्पर्श करती हुई उत्तर की ओर चलने लगती हैं... पूर्वी अफ्रीका में इन हवाओं की वजह से मार्च से ही बारिश होने लगती है... भूमध्य रेखा तक आते-आते ये ठंडी हवाएँ गर्म भी होने लगती हैं... चलते-चलते ये अरब सागर से होती हुई खाड़ी देशों से टकराती हैं और अपनी दिशा परिवर्तन करते हुए पूर्व की ओर बहने लगती हैं... ईरान, पाकिस्तान के दक्षिणी हिस्से से लगती हुए ये भारत
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग