तय समय पर नाश्ता, लंच और शाम का हल्का नाश्ता हुआ। वैसे तो इस बारे में सभी ने कुछ ना कुछ लिख ही दिया है, फिर भी कुछ फोटो मैंने खींचे हैं; उन्हें भी देख लिया जाये।
सबसे बायें निर्मला कपिला और सबसे दाहिने ललित शर्मा
नरेश सिंह राठौड। इन्होने अपने बारे में बताया कि “मैं तो कुएं का मेंढक हूं। ना तो बाहर निकल सकता हूं, ना ही निकलना चाहता हूं।” इन्होनें ये शब्द घूमने के बारे में कहे।
एक सम्मेलन तिलयार झील के किनारे भी चल रहा है। साइबेरियन पक्षी हिन्दुस्तानी पक्षियों से विचार-विमर्श कर रहे हैं।
शाम को चार बजे के करीब अलबेला खत्री आये। कार से उतरते ही कहने लगे कि यार, खाज मार रही है, नहाना पडेगा। यहां नहाने की आजादी नहीं थी इसलिये ये रोहतक शहर में चले गये। घण्टे भर बाद पता नहीं कहां से नहा-धोकर आये। इनका कहना था कि एक कलाकार को कलाकार जैसा दिखना चाहिये। दिल्ली से रोहतक तक कलाकारी लुक पर धूल की थोडी-बहुत परत चढ गयी थी, इसलिये नहाना पडा।
खत्री साहब ने माहौल को और खुशनुमा कर दिया।
दो हास्य कवि।
हालांकि अलबेला जी पांच बजे के लगभग सम्मेलन में आये। जो भी ब्लॉगर उस समय तक रुके हुए थे, सभी को उनका ही इंतजार था। फिर मीटिंग थोडी देर और चली। अंधेरा होने लगा तो सब वापस जाने लगे। मुझे तो आज भाटिया जी के यहां रुकना ही था। ललित शर्मा और केवल राम ने भी स्वीकृति दे दी। अंत में अलबेला जी भी कहने लगे कि भाटिया जी, जब मैं इतनी दूर से आपसे मिलने आया हूं तो अब तसल्ली से ही मिलूंगा। मैं भी चलता हूं आपके यहां। सुबह को वापस जाऊंगा।
ललित, अलबेला और भाटिया जी ने थोडी सी पी ली थी। सबसे ज्यादा असर हुआ ललित जी पर। कहने लगे कि मेरी कविता सुनो।
“ये कविता है मेरी पोस्ट तुम्हारी गांधारी दृष्टि से
मैं सोचता था, कविता में सिर्फ भाव होते हैं।”
अलबेला- “वाह-वाह, बहुत खूब।”
ललित- “मैं...सोचता था... ... कविता में सिर्फ .... भाव होते हैं।”
अलबेला- “क्या सोच है!!”
ललित- “जो अंतर्मन से उतरते हुए........ कागज पर अपना रूप लेते हैं।”
अलबेला- “बहुत अच्छी सोच है। आगे बताओ क्या सोचते हो।”
इसी तरह ललित जी की कविताओं का सिलसिला चल पडा। एक के बाद एक। अगर भाटिया जी हुंकारे लगाने बंद कर दें तो ललित जी उन्हें टोक दें। सबसे पहले मुझे नींद आयी। अलबेला भी ललित के सामने रजाई ओढे बैठे थे। केवल राम ललित के दूसरी साइड में थे। मेरे सोने के बाद जो हुआ, मुझे सुबह को पता चला। भाटिया जी सोने के लिये दूसरे कमरे में चले गये और सो गये। केवल राम भी सो गये। भाटिया जी का कहना था- “रात को ढाई बजे मेरी नींद कुछ हल्की हुई तो सुनाई दिया कि ललित महाराज अभी भी लगे हुए हैं। मैंने एक हुंकारा भर दिया। और सो गया।”
अलबेला जी कहते हैं-“सबसे ज्यादा दुर्गति मेरी हुई। जब देखा कि सब सोये पडे हैं, तो मुझे भी भयंकर नींद आने लगी। एक बजे के करीब अपने आप ही पीछे को लुढक गया।”
...
सुबह मेरी आंख शोर शराबे से खुली। राज भाटिया और अलबेला खत्री रात के जूठे पडे बर्तनों को मांजने के लिये झगड रहे थे।
...
अंत में यहां मैं, भाटिया जी और अलबेला जी ही रह गये। मुझे दिल्ली जाना था, अलबेला जी को जयपुर जाना था। मैंने सलाह दी कि अगर यहां से रेवाडी की बस मिल जाये तो रेवाडी चले जाओ। वहां से धारुहेडा और सीधे जयपुर। हम दोनों बस अड्डे पहुंचे। रेवाडी के लिये एक भी बस नहीं थी। पता चला कि शाम को सात बजे है। अब एकमात्र चारा यह था कि अलबेला जी दिल्ली जायें और वहां से जयपुर। लेकिन दिल्ली जाने वाली हर बस का बहुत बुरा हाल था। भीड इतनी कि बस आते ही छत तक भर जाती। एक सूटकेस और एक बैग लिये अलबेला जी के लिये बस में चढना नामुमकिन था।
शाम को भाटिया जी को भी दिल्ली ही जाना था। हमने उनसे सम्पर्क किया तो पता चला कि वे थोडी ही देर में निकलने वाले हैं। अन्तर सोहिल वाले अमित ने कार भिजवा दी थी। हम दोनों फिर वापस भाटिया जी के निवास पर पहुंचे। कार में जोर-जबरदस्ती करके सामान रखा और तब दिल्ली गये। अलबेला जी को पंजाबी बाग फ्लाईओवर पर उतार दिया कि यहां से ऑटो पकडो, और सीधे धौला कुआं चले जाओ। वहां से जयपुर की बस मिल जायेगी।
ये हुआ मिलन का उपसंहार!
ReplyDeleteअब आयी है पूरी रिपोर्ट। अब घुमकडी के साथ साथ रिपोर्टिन्ग मे भी माहिर हो रहे हो। शायद सालों बाद भाटिया जी ने देशी स्टाइल मे खाना खाया होगा। शुभकामनायें।
ReplyDeleteHey Neeraj
ReplyDeleteThanx...repporting ke liye ...:))
Swaad aya ...shayad aapkee reporting main or bhee jyada ...Cheers !!
Maine Nirmala ji se phone kar ke kaha to thaa..ke do chaar apne bhee known blogger mitr aayenge to main aaungii ..magar koi oor tayaar hee nahee thaa...:((
Chaliye next time
jai ho
असली रिपोर्ट तै या सै
ReplyDeleteजै रम XXX
जै राम जी की
यार अन्तर सोहिल वाले अमित क्या?
ReplyDeleteअन्तर सोहिल नाम ही है मेरा
@ M.A.Sharma "सेहर"
ReplyDeleteआपके known ब्लोगर्स कौन से हैं जी
ये तो आपकी जिम्मेदारी थी कि आप उनको आने के लिये राजी करते।
आप आते तो हम सभी known हो जाते।
और पूज्या निर्मला जी तो नोन थी ही।
प्रणाम
चौधरी साहेब...... फोटू तो थम नें खेंची..... और रिपोर्ट भी थारी बढिया.....
ReplyDeleteबिना किसी 'भेदभाव' के
राम राम
रोहतक सम्मलेन की यह पहली और अंतिम रिपोर्ट हम पढ़ रहे हैं. अच्छा लगा. आभार.
ReplyDeleteअहा, इस तरह साथ बैठकर खाने का आनन्द ही अलग है।
ReplyDeleteWoh! to ye bat Jai RAM XXX ki
ReplyDeleteचलो, अथ श्री ब्लॉगर मिलन सम्पन्न!!
ReplyDeleteअसली मित्टिंग तो ये सै...
ReplyDeleteचौधरी साहेब...... फोटू तो थम नें खेंची..... और रिपोर्ट भी थारी बढिया.....
बिना किसी 'भेदभाव' के
राम राम
वाह मज़ा आया बाद के सम्मलेन के बारे में जानकार.... मतलब बाद में खूब मस्ती की सबने..... हुंह?
ReplyDeleteachhi rapat likhi hai jeeeee
ReplyDeletesachmuch bada maza aya mujhe toh
khaaskar neeraj jat ne bahut saath diya mera bus adde wale prasang me.....
nirmlaji aur sangeeta ji jaisi varishth aur vidwan blogars ke saath sankshipt bhent yaad rahegi.
foto bahut sahi lagaaye bhai ha ha ha ha
इबकै या असली पोल खोलू रपट पढकै मजा आया, बहुत ही खांटी रोहतकी स्टायल की रपट के लिये धन्यवाद. प्रणाम.
ReplyDeleteरामराम.
पोल खोलू रपट ...
ReplyDeleteहा हा ये मूंछ वाले बाबू तो डांस कर रहे हैं .... सही रपट दी है .... आभार
ReplyDeleteतो रात भर खूब छानी :)
ReplyDeleteवाह मज़ा आया बाद के सम्मलेन के बारे में जानकार..
ReplyDeleteवाह! फोटो देखकर मज़ा आ गया!
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया .....
हम्म्. ये है असली ख़बर. बाकी सब तो अब नकली नकली सा लगने लगा है.
ReplyDeleteshabbas.....bhatiya ji ki faili taang wali fotu zabardast hai....mazaa aa gaya......
ReplyDeleteye hoti hai andar kii baat.
ReplyDeleteparde ke piichhe kaa haal dikhaane kaa shukriyaa.
ये थी रिपोर्ट थोड़ा हट के...:)
ReplyDeleteमस्त..रहता मैं भी अगर वहां तो देता आपको कंपनी नीरज भाई :)
नीरज जी, मजा आ गया आप लोगों की मस्ती देख कर..
ReplyDeleteकोशिश करूंगा कि अगली बार मैं भी शामिल हो सकूं...