पिछले साल इन दिनों में ही तय हो गया था कि मेरी बदली हरिद्वार से दिल्ली होने वाली है। इसलिए जनवरी का महीना काफी उथल-पुथल भरा रहा। जनवरी में ही इंटरव्यू और मेडिकल टेस्ट हुआ। फ़रवरी शुरू होते-होते सरकारी नौकरी भी लग गयी। नौकरी क्या लगी, बड़े बड़े पंख लग गए। मार्च में सेलरी मिली तो घूमने की बात भी सोची जाने लगी। कैमरा भी ले लिया।
अप्रैल की नौ तारीख को बैजनाथ के लिए निकल पड़ा। बैजनाथ हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में है। सफ़र में साथी था रामबाबू। बैजनाथ गए तो पैराग्लाइडिंग का स्वर्ग कहे जाने वाले बीड व बिलिंग भी हो आये। इसी यात्रा में चाय नगरी पालमपुर व चामुंडा देवी के भी दर्शन किये।
इसके बाद मई का गर्म महीना आया। किसी और जगह को चुनता तो शायद कोई भी तैयार नहीं होता, लेकिन मित्र मण्डली को जब पता चला कि बन्दा शिमला जा रहा है तो तीन जने और भी चल पड़े। शिमला से वापस आया तो भीमताल चला गया। साथ ही रहस्यमयी नौकुचियाताल व नैनीताल का भी चक्कर लगा आया। इसके बाद कुछ दिन तक तो ठीक रहा, फिर जून आते आते खाज सी मारने लगी। तब चैन मिला गढ़वाल हिमालय की प्रसिद्द वादी व सैनिक छावनी लैंसडाउन पहुंचकर। इस बार के साथी रहे यह भी खूब रही वाले नरेश जी यानी प्रयास जी।
जुलाई का महीना यानी सावन का महीना। कांवडियों की बम बम। हम भी जा पहुंचे हरिद्वार कांवड़ लाने। नीलकंठ गए और हरिद्वार से पुरा महादेव बागपत तक करीब 150 किलोमीटर की पैदल यात्रा की। इसी तरह अगस्त के बरसाती माहौल में जा पहुंचा मध्य प्रदेश। पहले तो भीमबैठका की गुफाएं देखीं, फिर महाकाल की नगरी उज्जैन होते हुए ताऊ के यहाँ इंदौर पहुँच गया। दूसरे ही दिन एक और ज्योतिर्लिंग ओम्कारेश्वर के दर्शन किये।
सितम्बर का महीना। बरसात ख़त्म होने के बाद और सर्दी शुरू होने से पहले का समय घुमक्कड़ों के लिए वरदान होता है। फिर भला मैं कैसे पीछे रहता? जा पहुंचा देवप्रयाग सचिन को साथ लेकर। लगे हाथों चन्द्रबदनी देवी के भी दर्शन कर लिए। जंगल में एक गुफा की खोज करते करते खुद ही भटक जाने में क्या आनंद आता है, वो आनंद लिया अक्टूबर में की गयी करोल यात्रा में। आजकल तो करोल के टिब्बे पर बरफ गिर गयी होगी। ना भी गिरी होगी तो देर-सबेर गिर ही जायेगी।
फिर आया नवम्बर। ठण्डा ठण्डा कूल कूल। ललित को साथ लिया और पहुँच गया धर्मशाला। कदम यहीं नहीं रुके बल्कि मैक्लोडगंज, दुर्गम त्रियुंड, कांगड़ा का किला, ज्वालामुखी और टेढ़ा मंदिर तक धावा बोला। साल का आखिरी महीना दिसम्बर। वैष्णों देवी के दर्शन करने जम्मू जाने की सूचना तो पहले ही प्रसारित कर दी थी। जब तक आप इसे पढोगे, तब तक शायद वापस भी ना आऊँ।
इतना होने के बाद रेलयात्रा का जिक्र ना हो, यह असंभव है। वर्ष 2009 में 90 बार रेल यात्रा की और 11935 किलोमीटर की दूरी तय की। पैसेंजर ट्रेनों से सर्वाधिक 58 बार में 4505 किलोमीटर, मेल/एक्सप्रेस में 22 यात्राओं में 3729 किलोमीटर और सुपरफास्ट में 10 यात्राओं में 3701 किलोमीटर की दूरी तय की। कुल मिलकर 31 दिसम्बर 2009 तक 300 रेलयात्राएँ हो जायेंगी व 36959 किलोमीटर की दूरी तय कर ली जायेगी। इनमे पैसेंजर से 159 बार में 12070 किलोमीटर, मेल/एक्सप्रेस में 99 बार में 14157 किलोमीटर और सुपरफास्ट में 30 बार में 10732 किलोमीटर की दूरी तय कर चुकूँगा।
अंत में नव वर्ष 2010 की सभी को शुभकामनाएं।
लेखा जोख नोट कर लिया!!
ReplyDeleteमुझसे किसी ने पूछा
तुम सबको टिप्पणियाँ देते रहते हो,
तुम्हें क्या मिलता है..
मैंने हंस कर कहा:
देना लेना तो व्यापार है..
जो देकर कुछ न मांगे
वो ही तो प्यार हैं.
नव वर्ष की बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.
देखो भई नीरज ये घूमना फिरना तो ठीक है पर हर सैलरी पर ही घूमने नहीं निकल पड़ते. कुछ ब्रेक लगाओ.
ReplyDeleteकल को शादी-वादी करोगे तो दूसरे ख़र्यों के अलावा गाड़ी- मकान वगैहरा के लिए भी पैसे की ज़रूरत होगी, आज चार पैसे बचा लोगे तो कल काम आएंगे...कुछ बचाना भी शुरू करो.. (समझो कि तुम मेरे भूतकाल हो)
सस्नेह :-)
सिर्फ 2009 में ही इतना भ्रमण .. इसी तरह 2010 में भी नए नए अनुभव लें .. पोस्टों के माध्यम से हमें भी घुमातें रहें .. बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteमुसाफिर जी,
ReplyDeleteगीता के सार की तरह आपने भी अपनी साल भर की यात्राओं का सार लिख डाला. आपके इस सार का एक हिस्सा मैं भी बना. अति हर्षित हूँ.
नोट: कृपया मेरे ब्लौग का लिकं ठीक करें. आपकी अति कृपा होगी.
बहुत सुंदर लेखा जोखा किया. लगता है तुम्हारे पांव मे पहिये फ़िट हैं.:)
ReplyDeleteकाजलकुमारजी की बात पर ध्यान दिया जाये.:)
नये साल की घणी रामराम.
रामराम.
जय माता दी
ReplyDeleteनुतन वर्ष की शुभकामनाएं
ReplyDeleteयूँ ही घूमते रहे ...:) नए साल की बधाई .जय माता दी
ReplyDeleteनीरज भाई काम कब करते हो? बहुत घुमते हो,ओर हिसाब कितब भी सही ओर पुरा पुरा रखा है, मजेदार ओर मन मोजी लगते हो, शायद मिलना हो जाये
ReplyDeleteसुन्दर ब्योरा!
ReplyDeleteबहुत मंगलमय हो जी नया साल आपको।
नीरज भैया २०१० में भी आपसे ज्यादा उम्मीदे होगी , हो सके तो लेह लदाख का विवरण देना , तुम्हारे पीछे मै वहा जाना चाहता हूँ तुमसे टूर रिपोर्ट मिल जाए तो जाना काफी आसान होगा . यूँ ही घूमते रहे नए साल की बधाई
ReplyDeleteनव वर्ष की बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.