आजकल अपने रजाई गद्दे राजस्थान की सैर पर निकल गए हैं। राजपूतों के देश में पहुंचकर वे अपने देश को भूल गए हैं। वापस आने का नाम ही नहीं ले रहे। विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि अब वे आयेंगे भी नहीं। पिछले दिनों जब अपना हरिद्वार से दिल्ली ट्रांसफर हुआ, तो रजाई गद्दे भी दिल्ली पहुँचने थे। मैंने दोनों को ऊपर नीचे रखकर रॉल बनाया, और इसे प्लास्टिक के एक कट्टे में डाल दिया। उसमे दो चादरें, खेस, पुराने घिसे जूते व थोडा बहुत सामान और भर दिया। एक हैण्ड बैग भी था, जिसमे रेलवे का टाइम टेबल, पहचान पत्र, आईकार्ड रखे थे। शाम को छः बजे बहादराबाद से राजस्थान रोडवेज की बस पकडी। पीछे वाली सीट पर कट्टे को डाल दिया और ऊपर रैक पर बैग को रख दिया। गाजियाबाद का टिकट ले लिया।
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग