हरिद्वार जाना चाहते हो? तो आज उनका मार्गदर्शन करते हैं जो अपनी गाड़ी से जाने की सोच रहे हैं। दिल्ली से ही शुरू करते हैं। यहाँ से तीन रास्ते है। पहला रास्ता - दिल्ली, गाजियाबाद, मोदीनगर, मेरठ, खतौली, मुज़फ्फरनगर, रुड़की और हरिद्वार। गाजियाबाद से हरिद्वार तक पूरा एन एच 58 है। दूसरा रास्ता है दिल्ली से बागपत, बडौत, शामली, सहारनपुर/मुज़फ्फरनगर, रुड़की और हरिद्वार। और जो है... तीसरा रास्ता है- दिल्ली से गाजियाबाद, मेरठ, मवाना, बिजनौर, नजीबाबाद और हरिद्वार।
तो मेरी सलाह ये है कि आजकल भूलकर भी पहले दो रास्तों से ना जाएँ। क्योंकि मेरठ से मुज़फ्फरनगर तक पूरा हाईवे खुदा पड़ा है। चार लेन को छः लेन बनाया जा रहा है। बाकी पूरा रास्ता एकदम मस्त है।
शामली वाले रास्ते से इसलिए ना जायें क्योंकि यह रास्ता हाईवे नहीं है। बिल्कुल ग्रामीण सड़क है। टूटी फूटी। अगर आपकी गाड़ी और हड्डियों में दम हो तो बेशक चले जायें।
अब बचा तीसरा रास्ता। मेरठ-बिजनौर वाला। यही रास्ता सबसे अच्छा है। लेकिन ये परंपरागत रास्ते से बीस-तीस किलोमीटर ज्यादा पड़ता है। नजीबाबाद से आगे तो करीब चालीस किलोमीटर तक का रास्ता राजाजी राष्ट्रीय पार्क के अन्दर से होकर जाता है। राजाजी का यह इलाका चिडियापुर रेंज के अंतर्गत आता है। इसमे जंगली जानवरों का घनत्व भी कुछ ज्यादा ही है। यह सड़क शिवालिक की पहाडियों की तलहटी से होकर गुजरती है। कई सारी बरसाती नदियाँ भी पार करनी पड़ती हैं।
तो अब जब भी दिल्ली से हरिद्वार जा रहे हो, तो इसी रास्ते से जायें। और हाँ,..., मेरठ की सड़कों और जाम से सावधान रहें। मेरठ को बाईपास भी नहीं कर सकते।
दिसंबर 2016 का अपडेट: मेरठ बाईपास बहुत अच्छा काम कर रहा है। मेरठ शहर में जाने की ज़रुरत नहीं। मेरठ से मुज़फ़्फ़रनगर तक बेहद शानदार हाईवे है। खतौली और मुज़फ़्फ़रनगर में भी बाईपास हैं। मुज़फ़्फ़रनगर से हरिद्वार तक छह लेन का काम चल रहा है, जिसका ज्यादातर हिस्सा पूरा हो चुका है। रुड़की में बाईपास बन रहा है, जो जल्द ही आम लोगों के लिये खोल दिया जायेगा। बहादराबाद का बाईपास चालू हो गया है।
कुल मिलाकर अब दिल्ली से हरिद्वार परंपरागत मार्ग से ही जाना उचित है।
जाट भाई जानकारी तो आपने बहुत अच्छी दी है | आभार !
ReplyDeleteबहुत बढिया जानकारी दी भाई. और आपका दिल्ली मे रहने का इन्तजाम होगया इसकी बधाई.
ReplyDeleteरामराम.
अपने पास तो रेलगाड़ी है जी।
ReplyDeleteतीनों रास्ते चख चुके हैं, शामली वाले रास्ते से भरसक बचें हमारी भी यही सलाह है...भुगतकर कह रहे हैं
ReplyDeleteहमारी राय है मेरठ मुज्जफ़रनगर होकर ही जाये . पुरानी कहावत है कष्ट करने से ही हरि मिलते है और जब मंजिल हरि का द्वार हो तो कष्ट से कैसा मुख मोडना :)
ReplyDeleteएक और रास्ता है जो कि मुरादनगर से गंगा नहर के किनारे - किनारे होकर जाता है। इस बार गर्मियों में हम इसी रासेते से होकर गये थे।
ReplyDeleteदिल्ली से गाजियावाद होते हुये जब मुरादनगर पर गंगा नहर की पुल आयेगा वहीं से बांईं तरफ से नहर के किनारे किनारे एक नया रास्ता जो कि कांबडियों के लिये बनाया गया है, अच्छी हालत में है और परम्परागत रास्ते से करीब करीब 25 किलोमीटर छोटा है और ट्रेफिक भी नहीं होता है। हां इस रास्ते से रात में सफर न कीजिये शायद सुरक्षित न रहे। अगर दिन में आना-जाना हो तो सबसे अच्छा रास्ता है।
Manisha
वाह मनीषा जी ने तो एक और रास्ता भी सूझा दिया. मगर दिल्ली से हरिद्वार तो नीरज जी के साथ ही तो जाऊंगा.
ReplyDeleteमनीषा जी,
ReplyDeleteइस रास्ते का मुझे भी पता है. लेकिन जानबूझकर मैंने इसका उल्लेख नहीं किया. यह केवल एक लेन रास्ता है. मेरा गाँव भी सरधना पुल के पास इसी पर पड़ता है. पहली बात तो ये है कि यह रास्ता बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है. पूरी सड़क निर्जन पड़ी रहती है. हालाँकि अब तो दोबारा सड़क बन जाने पर इस पर ट्रैफिक बढ़ गया है. तो बार बार सामने से आने वाली गाड़ी को साइड देने के लिए सड़क से नीचे उतरना पड़ता है. जोकि काफी कष्टदाई होता है.
इस पर ट्रैफिक बढ़ जाने से हम गाँव वाले भी परेशान हो गए हैं. पहले हम लोग नहर की पटरी पर खाट डाल कर सो जाते थे. लेकिन अब ट्रैफिक बढ़ जाने से ऐसा संभव नहीं है.
अब जिनको जाना है उनके लिए तो निश्चित ही काम की जानकारी है. सुना है आप दिल्ली रहने लगे हो. चलो अच्छा है. कोई तो काम का है वहां. आभार.
ReplyDeleteभगवान ना करे हरिद्वार जाना पडे । हमारे यहा तो केवल अस्थि विसर्जन के लिये ही जाते है । आपकी दी गयी जानकारी महत्वपूर्ण है।
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