कुछ दिन पहले मैं देहरादून के पास उदय झा जी के यहाँ बैठा था। उनका घर विकासनगर शहर से बाहर खेतों में है। चारों तरफ खेत हैं और बासमती की कटाई हो चुकी है। अब गेहूँ की बुवाई की जाएगी। अब चूँकि मैं आजीविका के लिए पूरी तरह पर्यटन के क्षेत्र में उतर चुका हूँ, इसलिए बातों-बातों में उदय जी ने पूछा - “पर्यटन के क्षेत्र में बहुत ज्यादा कंपटीशन है। कैसे सर्वाइव करोगे?” मैंने कहा - “कंपटीशन जरूर है, लेकिन यह क्षेत्र अनंत संभावनाओं वाला है। आप वहाँ खेत में दस खाटें बिछा दो और प्रचार कर दो। जल्दी ही वे ऑनलाइन बुक होने लगेंगी और ‘हाउसफुल’ हो जाएँगी और आपको पचास खाटें और खरीदनी पड़ जाएँगी।”
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग