इस यात्रा वृत्तांत को आरंभ से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें । पिछली पोस्ट ‘ शिकारी देवी यात्रा ’ में मित्र आलोक कुमार ने टिप्पणी की थी - “एक शानदार यात्रा वृतांत... वरना हिमाचल में हम लोग कुल्लू-मनाली और शिमला के अलावा जानते ही क्या हैं!” बिल्कुल सही बात कही है आलोक जी ने। और इसी बात को आगे बढ़ाते हुए आज हम आपको हिमाचल के एक ऐसे स्थान की यात्रा कराएँगे, जिसके बारे में मुझे भी नहीं पता था। आज 1 अप्रैल 2018 था। यात्रा कार्यक्रम के अनुसार तय था कि ब्रेकफास्ट के बाद नीरज मिश्रा जी हमसे विदा ले लेंगे और शाम तक आराम से मंडी पहुँचकर दिल्ली की बस पकड़ लेंगे। शाम आठ बजे उनकी बस थी। वे बड़े आराम से इसे पकड़ लेते। और हम क्या करते? हमारे पास मोटरसाइकिल थी। क्या हम आज का पूरा दिन जंजैहली से दिल्ली लौटने में खर्च करते? यह बात जँच नहीं रही थी। मई में हमें फिर से कुछ मित्रों को इधर लाना है और उनकी यात्रा में जंजैहली के साथ-साथ जलोड़ी जोत के साथ-साथ तीर्थन घाटी को भी शामिल करना है, तो हमें उधर जाना ही पड़ेगा।
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग