इस यात्रा के फोटो आरंभ से देखने के लिये यहाँ क्लिक करें । 25 मई 2016 “आज पिज़्ज़ा खाने का मन किया। दो पनीर पिज़्ज़ा मँगा लिये। लेकिन इन्हें किस तरह हलक से नीचे उतारा, बस हम ही जानते हैं। इस पिज़्ज़ा का जो एक फोटो हमने खींचा था, उसे अब भी यदि देख लेते हैं तो दिनभर मन ख़राब रहता है। असल में सारी करामात याक के पनीर की थी। यह पनीर खट्टा भी था और थोड़ी-सी कड़वाहट भी लिये था। और ‘पिज़्ज़ा-बेस’ अभी हाथ के हाथ आटे से बनाया था, जो बासी रोटी जैसा स्वाद दे रहा था। जो थोड़ा-बहुत स्वाद था, वह सॉस के कारण था। शुरू में हमने ‘तहज़ीब’ दिखाते हुए छुरी और काँटे से खाना चाहा, लेकिन अभ्यास न होने के कारण और बेस्वाद होने के कारण जल्द ही अपने भारतीयपन पर आ गये। वे जो विदेशी कोने में बैठे हैं, जो सोचते हैं, सोचते रहें। नेपाली तो उँगलियों से खाने में हमारे भी उस्ताद होते हैं।”
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग