tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post8920104434600494461..comments2024-03-11T15:32:30.331+05:30Comments on मुसाफिर हूँ यारों: डायरी के पन्ने- 4नीरज मुसाफ़िरhttp://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-57105787333176154462013-04-02T23:07:14.534+05:302013-04-02T23:07:14.534+05:30ओ दूर के मुसाफिर ! कभी हम को भी साथ ले ले !!!
बद्...ओ दूर के मुसाफिर ! कभी हम को भी साथ ले ले !!!<br /><br />बद्रीनाथ के बारे मे आप को राहुल जी को पढ़ के पता लगा होगा ! ये भी पता लगा होगा की उत्तरकाशी भी तिब्बती साम्राज्य मे शामिल था, या बौद्ध धर्म के प्रभाव मे था। वहाँ दत्तात्रेय मंदिर मे भगवान दत्तात्रेय के रूप मे पूजी जाने वाली मूर्ति दरअसल पद्मासन बुद्ध की थी, जो अब दिल्ली के म्यूजियम मे है। 'धरासू' का नाम 'दारशुंग' और 'ज्ञानसू' का 'गियान्शुंग' हुआ करता था ! वर्तमान 'उप्पू' गाँव(टिहरी गढ़वाल) तक उनकी सीमा थी ! बाद मे माधो सिंह भण्डारी ने तिब्बत विजय की थी, भारत के इतिहास मे पहली बार किसी ने तिब्बत को हराया था। उनका सीमा निर्धारण पत्थर आज भी वहाँ है ! आज भी गढ़वाल मे किसी पर यदि भूटिया भूत लगता है तो भूत भागने वाले के मंत्रों मे होता है, "त्वे माधो सिंह भण्डारी की आण पड़े" !<br />कहावत है, "एक सिंग रण मा, एक सिंग बण मा, एक सिंग गाय का !<br /> एक सिंग माधो सिंग, तू सिंग काय का !" Anshul Kumar Dobhalhttps://www.blogger.com/profile/02324095704534699672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-63780116524057404732013-04-01T23:24:48.140+05:302013-04-01T23:24:48.140+05:30डायरी बहुत कुछ कहती है, लिखे रहिये।डायरी बहुत कुछ कहती है, लिखे रहिये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-54588565756018866172013-04-01T14:48:05.181+05:302013-04-01T14:48:05.181+05:30सिद्धांत को साथ ले जाना चाहिए था ,वह आपकी गति से च...सिद्धांत को साथ ले जाना चाहिए था ,वह आपकी गति से चल सकता था ..anurag jagdharihttps://www.blogger.com/profile/00719447727120786308noreply@blogger.com