tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post1300490279428636072..comments2024-03-11T15:32:30.331+05:30Comments on मुसाफिर हूँ यारों: पुरी यात्रा- जगन्नाथ मन्दिर और समुद्र तटनीरज मुसाफ़िरhttp://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-86028121058189665032018-07-07T23:02:34.021+05:302018-07-07T23:02:34.021+05:30मजा आ गया नीरज भाई आप का वृतांत सुनकर आप तो महान ह...मजा आ गया नीरज भाई आप का वृतांत सुनकर आप तो महान हैं आपकी तारीफ करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है आपके लिखने का स्टाइल ही अनोखा है आपके निकले हुए एक 1 शब्दों की तारीफ भी जितनी की जाए उतनी कम है आपके शब्द आपकी लेखनी को चार चांद लगा देते हैंPrashant tiwari Hirangaonhttps://www.blogger.com/profile/08684172572366437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-36331075504553593212016-10-28T16:08:04.626+05:302016-10-28T16:08:04.626+05:30dalal or chaploosh to har jagah milenge apne pm, c...dalal or chaploosh to har jagah milenge apne pm, cm, ya dusri badi post pe koi ho unke bhi milenge lekin ismein bhagwan kya kare apni soch unchi banao ya to phir jao hi mat bhagwan to jabardasti karte nahi bhagwan to hamare hridya mein hi betha hai MUKESH Sharmahttps://www.blogger.com/profile/07931444098217156765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-53989376016417299822014-11-07T09:08:06.170+05:302014-11-07T09:08:06.170+05:30पटनायक जी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के रेट शिल्पकार है...पटनायक जी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के रेट शिल्पकार है और कभी किसी से कुछ नहीं मांगते। और एक भिखारी से क्या मांगेंगे? इन्होने भगवन जगन्नाथजी के लिए भी थोबड़े जैसे अनुचित शब्द का प्रयोग किया है। पता नहीं जब श्रद्धा ना हो तो लोग जाते ही क्यों है मंदिरों में? ऐसे लोगों को उस मंदिर की विशेषताओं के बारे में कभी पता नही चलेगा। पण्डे कुछ ज्यादा ही लालची है वहां के, किन्तु कुछ अच्छे पण्डे भी है वहां। ये ना भूलें की ये पण्डे ही वहां की अद्भुत परम्पराओं को जीवित रखे हुए है। लेकिन जिन्हे केवल बाह्य आवरण से मतलब हो उन्हें उस क्षेत्र के माहात्म्य और पावित्र्य से क्या लेना देना? उन्हें तो केवल नग्न मूर्तियां देखने का शौक होता है। hargovindhttps://www.blogger.com/profile/00108416992334661474noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-50778653739741914972011-10-17T18:03:13.137+05:302011-10-17T18:03:13.137+05:30आजकल मंदिरों में भगवान् नहीं मिलते सिर्फ उनके दलाल...आजकल मंदिरों में भगवान् नहीं मिलते सिर्फ उनके दलाल मिलते हैं...जो हाल हिन्दू धार्मिक स्थलों का हुआ है उसे देख कर शायद ही कोई आँखों वाला वहां जाए...धर्मांध लोगों की बात छोड़ दें क्यूँ की उन्हीं के भरोसे तो ये कारोबार चल रहा है...आपकी पोस्ट कमाल की है और आपके विचार...वन्दनीय हैं.<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-49045532411152362592011-10-17T11:55:41.674+05:302011-10-17T11:55:41.674+05:30अच्छा. खैर वो तो रेत की कलाकृतियों के ही पैसे माँग...अच्छा. खैर वो तो रेत की कलाकृतियों के ही पैसे माँग रहा था; अब तो देख रहा हूँ कि मदारी अपने बंदरों की फोटो लेने के भी पैसे मांग रहे हैं !!!<br />संपेरे अपने सांप को दिखला कर उनकी फोटो खींचने के पांच रु. मांग रहे हैं. शायद नए सोर्स हैं इन्कम के !अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-22036339004318038272011-10-17T08:22:23.947+05:302011-10-17T08:22:23.947+05:30@ राहुल सिंह जी,
कलाकार को अपनी कला का मूल्य मिलना...@ राहुल सिंह जी,<br />कलाकार को अपनी कला का मूल्य मिलना चाहिये। आपकी इस बात से मैं सहमत हूं, लेकिन यहां पुरी में ये रेतशिल्पी हाथ फैलाकर ही मांगते हैं। इनका हाथ इस कला में इतना जमा हुआ है कि आधे घण्टे में एक कलाकृति बना देते हैं और एक घण्टे में दो। किसी मुझ जैसे अनजान आदमी को अगर रेत पर ऐसी कलाकृतियां बनी दिखेंगी तो फोटो खींचने को मन करता है। क्लिक करते ही ये लोग हाथ धोकर पीछे पड जाते हैं कि पैसे दो। जहां तक मेरा अनुमान है तो सुदर्शन पटनायक भी कभी यहीं पर कलाकृतियां बनाते होंगे। समय समय की बात होती है कि सुदर्शन साहब अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध होते चले गये।<br /><br />@ अभिषेक जी,<br />ये जनाब सुदर्शन पटनायक नहीं हैं। यह एक साधारण रेतशिल्पी ही है, और रेत पर कलाकृतियां बनाता है और लोगों द्वारा फोटो खींचने पर तुरन्त पैसे मांगता है। मैंने यह फोटो चोरी से खींचा है लेकिन एक दूसरे कलाकार के फोटो लेते समय उसने मुझे पकड लिया और पैसे लेकर ही छोडा। ऐसे कामों से कलाकार की इज्जत बढती नहीं, बल्कि घटती है।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-63918608915313134712011-10-17T00:58:37.059+05:302011-10-17T00:58:37.059+05:30आपको सुदर्शन पटनायक को देखने का मौका मिला, यह एक स...आपको सुदर्शन पटनायक को देखने का मौका मिला, यह एक सौभाग्य है. वो एक प्रतिष्ठित रेतशिल्पी हैं.<br /> <br />कैमर न रखवा लें तो बाहर मूर्तियों की तसवीरें कैसे बिकें, और भी कई व्यवसाय हैं.<br />लुटने के तरीकों पर अंशुमाला जी ने कुछ और प्रकाश तो डाल ही दिया है.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-9799856659702711032011-10-16T20:37:53.777+05:302011-10-16T20:37:53.777+05:30एक बार देख के लिख दिया था अब दुबारा घूम लिए, उन जग...एक बार देख के लिख दिया था अब दुबारा घूम लिए, उन जगहों पर.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-37818445802063465562011-10-16T10:23:01.135+05:302011-10-16T10:23:01.135+05:30सही कह रहे हो, मुझे भी जगन्नाथ पुरी में निराशा ही...सही कह रहे हो, मुझे भी जगन्नाथ पुरी में निराशा ही हाथ लगी थी। पण्डे ऐसे पीछे पड़ जाते हैं जैसे चोर-उचक्के हों।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-8626632157633008622011-10-16T07:44:35.007+05:302011-10-16T07:44:35.007+05:30पटनायक जी हाथ भी फैला देते हैं क्या, पता न था लेक...पटनायक जी हाथ भी फैला देते हैं क्या, पता न था लेकिन कलाकार के लिए आपकी भाषा भी हमें जंची नहीं. अगर कलाकार अपनी कला के बदले कुछ अर्जित करना चाहे तो वह हाथ फैलाना कैसे हुआ.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-4270475532794519242011-10-15T23:23:42.190+05:302011-10-15T23:23:42.190+05:30हम लोग पण्डे के साथ अन्दर गये कहने लगा संकल्प छुड़...हम लोग पण्डे के साथ अन्दर गये कहने लगा संकल्प छुड़ा लीजिये पापा तैयार हो गये कहने लगा जो कहूँगा बस फटाफट दुहराते जाना दुसरे लोग भी लाइन में है | शुरुआत धीरे धीरे कुछ कहने से किया हम सब जल ले कर दुहरा रहे थे और जल्दी जल्दी में उसने अंत में कहा की हम ५ हजार का दान करते है अरे मेरा पिता जी भी बनारस के थे हम सब तो छोटे होने के कारण जल्दी में बोल गये पर पापा ने कहा तेज से की बस १०० रुपये का संकल्प लेता हूँ \ वह क्या मुर्गा फसाते है ये लोग | पास में ही कृष्ण जी के मौसी का घर है जहा तक रथ यात्रा में रथ जाता है वहा नहीं गये |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-2496601437101209062011-10-15T16:43:09.339+05:302011-10-15T16:43:09.339+05:30बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
शुभ-कामनाएं ||बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||<br />शुभ-कामनाएं ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-33763733440939897752011-10-15T15:51:38.038+05:302011-10-15T15:51:38.038+05:30नीरज भाई वो कफनी ग्लासिएर भी दिखा दो भाई प्लीजनीरज भाई वो कफनी ग्लासिएर भी दिखा दो भाई प्लीजफकीराhttps://www.blogger.com/profile/10475423696992129780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-87569315341707791302011-10-15T15:10:20.169+05:302011-10-15T15:10:20.169+05:30आपके जीवंत यात्रा-वृत्तांत पढना ,हमेशा ही बहुत अच्...आपके जीवंत यात्रा-वृत्तांत पढना ,हमेशा ही बहुत अच्छा लगता है.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-33483370531261522822011-10-15T15:05:57.972+05:302011-10-15T15:05:57.972+05:30इस समुंदर तट को देख कर जुहू की याद आ गई ---अच्छा...इस समुंदर तट को देख कर जुहू की याद आ गई ---अच्छा हुआ जो तुम यहाँ नहीं आए ---क्योकि यह तट जुहू से बहुत ही अच्छा और साफ है ....दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-58475678108709192011-10-15T08:18:44.816+05:302011-10-15T08:18:44.816+05:30सारे भगवानों के यही हाल हैं, पंडे पुजारी भगवान की ...सारे भगवानों के यही हाल हैं, पंडे पुजारी भगवान की भक्ति में नहीं अपनी जेब भरने में लगे हैं।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-85842478230127661752011-10-15T08:14:53.097+05:302011-10-15T08:14:53.097+05:30Anonymous said... का क्या पंगा है जब मैंने कमैन्ट ...Anonymous said... का क्या पंगा है जब मैंने कमैन्ट किया तो ये कैसे हो गया, कुछ पता हो तो बता देना,SANDEEP PANWARhttps://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-56125317505231880972011-10-15T08:13:24.121+05:302011-10-15T08:13:24.121+05:30अभी तक तुमने सिर्फ़ चार धाम में ये ही मंदिर देखा ह...अभी तक तुमने सिर्फ़ चार धाम में ये ही मंदिर देखा है, इन मंदिरों की दुर्गति देखनी है तो चारों को देखो फ़िर बताना कि सबसे बुरा कौन सा रहा, चलो फ़िर भी बढिया रही यात्रा, कुछ सिखने को तो मिला।SANDEEP PANWARhttps://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-47209835298999739002011-10-15T08:13:07.347+05:302011-10-15T08:13:07.347+05:30अभी तक तुमने सिर्फ़ चार धाम में ये ही मंदिर देखा ह...अभी तक तुमने सिर्फ़ चार धाम में ये ही मंदिर देखा है, इन मंदिरों की दुर्गति देखनी है तो चारों को देखो फ़िर बताना कि सबसे बुरा कौन सा रहा, चलो फ़िर भी बढिया रही यात्रा, कुछ सिखने को तो मिला।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-50558398097506488062011-10-15T06:23:16.529+05:302011-10-15T06:23:16.529+05:30थोड़ी दया तो भगवान पर भी आये कि कैसे लोगों से घिरे...थोड़ी दया तो भगवान पर भी आये कि कैसे लोगों से घिरे हैं आजकल।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com