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Showing posts from March, 2019

कुद्रेमुख, श्रंगेरी और अगुंबे

27 फरवरी 2019 सुबह सज-धजकर और पूरी तरह तैयार होकर कलश से निकले। आज हम कर्नाटक में पहली बार ट्रैकिंग करने जा रहे थे - कुद्रेमुख की ट्रैकिंग। पहले स्टेट हाइवे, फिर अच्छी ग्रामीण सड़क, फिर खराब ग्रामीण सड़क, फिर कच्ची सड़क और आखिर में फर्स्ट गियर में भी मुश्किल से चढ़ती बाइक... और हम पहुँचे फोरेस्ट ऑफिस, जहाँ से कुद्रेमुख ट्रैक का परमिट मिलता है। मैंने कहा - कुद्रेमुख। उन्होंने हाथ हिला दिया। यहाँ कुछ देर तक तो हिंदी, अंग्रेजी और कन्नड का लोचा पड़ा और आखिर में फोरेस्ट वालों ने किसी को आवाज लगाई। उसे बाकियों के मुकाबले हिंदी के कुछ शब्द ज्यादा आते थे। “ये ड्राइ सीजन है, फोरेस्ट में फायर लग जाती है, इसलिए 1 फरवरी से 31 मई तक कुद्रेमुख ट्रैक बंद रहता है।” यह तो बहुत गलत हुआ। हम इसी ट्रैक के कारण यहाँ इस क्षेत्र में आए थे। अगर पहले से पता होता, तो कुछ और प्लान करते। खैर, कोई बात नहीं। वो स्टेट हाइवे कुद्रेमुख नेशनल पार्क से होकर जाता है। 10-15 किलोमीटर उसी पर घूम आए। आज पहली बार हमें लगा कि हम गलत समय पर यहाँ घूम रहे हैं। यह पश्चिमी घाट और साउथ में घूमने का सही समय नहीं ह

बेलूर से कलश बाइक यात्रा और कर्नाटक की सबसे ऊँची चोटी मुल्लायनगिरी

26 फरवरी 2019 कुद्रेमुख ट्रैक कर्नाटक के सबसे प्रसिद्ध ट्रैकों में से एक है। यह पश्चिमी घाट की पहाड़ियों में है और हमारी इच्छा इस ट्रैक को करने की थी। हम अभी बेलूर में थे और कुद्रेमुख का ट्रैक मुल्लोडी नामक गाँव से शुरू होता है। बेलूर से इसकी दूरी तकरीबन 100 किलोमीटर है और इस दूरी को हम अधिकतम 3 घंटे में तय कर लेते। लेकिन तभी पता चला कि हम मुल्लायनगिरी चोटी के भी काफी नजदीक हैं। यह चोटी कर्नाटक की सबसे ऊँची चोटी है और इसकी ऊँचाई लगभग 1900 मीटर है। मुल्लायनगिरी तक पक्की सड़क बनी है। आखिर में 200-250 सीढियाँ चढ़नी होती हैं। यहाँ से चिकमगलूर शहर का शानदार विहंगम नजारा दिखता है। मुल्लायनगिरी से मुल्लोडी की ओर चलते हैं तो लगभग पूरा रास्ता कॉफी के बागानों से होकर जाता है। असल में चिकमगलूर जिला कॉफी के लिए जाना जाता है।

बेलूर और हालेबीडू: मूर्तिकला के महातीर्थ - 2

होयसलेश्वर मंदिर, हालेबीडू 24 फरवरी 2019 बेलूर से 15-16 किलोमीटर दूर हालेबीडू भी अपने मंदिरों और मूर्तिकला के लिए विख्यात है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका निर्माण सन 1221 में करवाया गया था। मंदिर के बारे में और अपने यात्रा-वृत्तांत के बारे में हम कभी बाद में डिसकस करेंगे, फिलहाल फोटो के माध्यम से यहाँ की यात्रा कीजिए। मंदिर के द्वारपाल

बेलूर और हालेबीडू: मूर्तिकला के महातीर्थ - 1

24 फरवरी 2019 अगर आप कर्नाटक घूमने जा रहे हैं, तो इन दो स्थानों को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें। एक तो बेलूर और दूसरा हालेबीडू। दोनों ही स्थान एक-दूसरे से 16 किलोमीटर की दूरी पर हैं और हासन जिले में आते हैं। बंगलौर से इनकी दूरी लगभग 200 किलोमीटर है। 11वीं से 13वीं शताब्दी तक इस क्षेत्र में होयसला राजवंश ने शासन किया और ये मंदिर उसी दौरान बने। पहले हम बात करेंगे बेलूर की। यहाँ चन्नाकेशव मंदिर है। चन्ना यानी सुंदर और केशव विष्णु को कहा जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। 300 रुपये तो जरूर खर्च होंगे, लेकिन मेरी सलाह है कि आप एक गाइड अवश्य ले लें। गाइड आपको वे-वे चीजें दिखाएँगे, जिन पर आपका ध्यान जाना मुश्किल होता।