पता नहीं आपको पता है या नहीं, लेकिन पता होना चाहिए। दीप्ति ने इस साल कुछ यात्राएँ आयोजित करने की योजना बनाई है। इन्हीं के अंतर्गत वह जनवरी में रैथल और मार्च में जंजैहली की यात्रा करा चुकी है। और जून में योजना बनाई धराली, सात ताल, नेलांग और गंगोत्री की। उसकी ये यात्राएँ हमारी नियमित यात्राओं के उलट बेहद आसान होती हैं और हर आयुवर्ग के लिए सही हैं। लेकिन उसका फोकस एक पॉइंट पर है - हम अपने मित्रों को हमेशा अनसुनी, अनजानी जगहों पर ले जाया करेंगे और उन्हें घूमने का मतलब समझाया करेंगे। कहने का अर्थ यह है कि अगर आप वाकई घूमना चाहते हैं, प्रकृति के सानिध्य में रहना पसंद करते हैं, शहरी पर्यटन स्थलों की भीड़ से दूर कहीं एकांत में जाना चाहते हैं, तो ये यात्राएँ आपके लिए हैं। मात्र एक बार इनमें से किसी भी यात्रा पर जाकर आपको पता चलेगा कि शिमला, मसूरी के अलावा भी घूमा जा सकता है। अनजान, अनसुने स्थानों पर भी उतनी ही आसानी से जाया जा सकता है, जितना आसान नैनीताल जाना है। और इन अनजाने स्थानों पर जाकर आप अगर आनंदित नहीं हुए, तो समझिए कि आप शिमला, मसूरी के लिए ही बने हैं; प्रकृति के बीच जाने के लिए नहीं
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग