इसी साल फरवरी में हमारी योजना शिमला जाने की बनी। उम्मीद थी कि इन दिनों तक बर्फ पड जायेगी और हम छोटी ट्रेन में बर्फीले रास्तों का सफर तय करेंगे। साथ चलने वालों में नागटिब्बा यात्रा के साथी नरेंद्र, उसकी घरवाली पूनम और ग्वालियर से प्रशांत जी तैयार हुए। शिमला में रिटायरिंग रूम भी ऑनलाइन बुक कर लिये थे। एक दिन पहले प्रशांत जी ने आने में असमर्थता जता दी। उनके यहां एक देहांत हो गया था। लेकिन कमाल की बात यह रही कि 15 फरवरी की दोपहर 12:10 बजे कालका से चलने वाली छोटी ट्रेन का चार्ट 13 फरवरी को ही बन गया था। इस वजह से प्रशांत जी का आरक्षण भी रद्द नहीं हो सका। हाँ, शिमला में रिटायरिंग रूम अवश्य रद्द कर दिया था। मैं 15 की सुबह नाइट ड्यूटी करके आया। 07:40 बजे नई दिल्ली से शताब्दी में आरक्षण था। नरेंद्र और पूनम कल ही हमारे यहां आ गये थे। नहा-धोकर बिना नाश्ता किये जब घर से निकले तो 07:10 बज चुके थे। सुबह के समय मेट्रो भी देर-देर में आती है। जब नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन से बाहर निकले तो 07:40 हो चुके थे। कालका शताब्दी के लेट होने की संभावना तो थी ही नहीं। जब लंबी लाइन की सुरक्षा जांच के बाद पैदल-पार-पथ
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग