tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post972063661802017952..comments2024-03-11T15:32:30.331+05:30Comments on मुसाफिर हूँ यारों: गुजरात मीटरगेज ट्रेन यात्रा: जूनागढ़ से देलवाड़ानीरज मुसाफ़िरhttp://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-68344437463347353422017-04-29T15:00:29.838+05:302017-04-29T15:00:29.838+05:30
बेहतरीन ! अगर आप स्पष्ट न करते तो मैं तो ऊना (...<br />बेहतरीन ! अगर आप स्पष्ट न करते तो मैं तो ऊना (हिमाचल ) ही पहुँच जाता ! एक ट्रैन निकलती है इधर गाज़ियाबाद से होते हुए ऊना की ! कठिया -गठिया अच्छा लगा देखने में ! खाने का तो स्वाद खाकर ही पता चलेगा !! Yogi Saraswathttps://www.blogger.com/profile/17101659017154035233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-5145642024025994382017-04-27T16:51:23.711+05:302017-04-27T16:51:23.711+05:30Ek dum khaalis desi bhasha me likha gaya lekh. Ya...Ek dum khaalis desi bhasha me likha gaya lekh. Yahi aapki khasiyat hai Jo ki hume aap ko follow karne ko majboot kar deti hai.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00410302013239939572noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-17985703929838638152017-04-24T22:38:36.568+05:302017-04-24T22:38:36.568+05:30मैं भी कन्फ्यूज होता रहा कि गांठिया; काठिया कब से ...मैं भी कन्फ्यूज होता रहा कि गांठिया; काठिया कब से हो गया। फिर सोचा कि काठियावाड के कारण नीरज इसे काठिया समझ रहे होंगे। जहाँ तक अफ़्रीकी मूल के लोगों जैसा दिखने वाले यात्री की बात है। जूनागढ़ के तत्कालीन महाराजा ने अफ्रीका से बहुत सारे शेर लाये थे और उन शेरों की देख भाल के लिए वहां से अफ़्रीकी मूल के लोगों को भी लाये थे। तभी से ये लोग यहाँ बस गए और यहाँ के नागरिक हो गए। ऐसी ही कुछ मिलती जुलती बात भावनगर के महाराजा के लिए भी प्रचलित है। यह पोस्ट भी बाकी पोस्ट की तरह जानकारी भरा और रोचक है।VIMLESH CHANDRA - RAILWAY WRITERhttps://www.blogger.com/profile/05169901862711497657noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-56611150958386207852017-04-24T19:26:29.891+05:302017-04-24T19:26:29.891+05:30रोचक वृत्तांत। पढ़कर मजा आया। आपके वृत्तांत पढ़कर मे...रोचक वृत्तांत। पढ़कर मजा आया। आपके वृत्तांत पढ़कर मेरा मन भी रेलयात्रा करने का कर रहा है।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-43871152198316950162017-04-24T12:59:21.004+05:302017-04-24T12:59:21.004+05:30भूतों का कोई अस्तित्व नहीं होता है, ये सब दिमागी व...भूतों का कोई अस्तित्व नहीं होता है, ये सब दिमागी वहम है, चलो आप ही बताऔ आप ने कभी भूत देखा है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09983719126297076828noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-73580325263379739502017-04-24T11:55:37.069+05:302017-04-24T11:55:37.069+05:30लोट आया पुराना नीरज....
रंगत भी लोट आई...
और ये बे...लोट आया पुराना नीरज....<br />रंगत भी लोट आई...<br />और ये बेसन के फीके फीके पकोड़े का नाम काठिया नहीं गांठिया है...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00558987441220716238noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-62691794977588432172017-04-24T11:05:14.263+05:302017-04-24T11:05:14.263+05:30जिसे आप पल्ली कहते हैं उसे हम भक्कू कहते हैं। और म...जिसे आप पल्ली कहते हैं उसे हम भक्कू कहते हैं। और मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानता हूँ कि बचपन में पूरी खेती अकेले करने के बावजूद ये दो काम (भूसा ढोना और गेहूँ के पौधे थ्रेशर में डालना) मुझे नही करना पड़ा। कोई न कोई जुगाड़ भिड़ा ही लेता था। गुजरात में अफ्रीकी मूल के लोगों की काफी आबादी है जो यहाँ सैकड़ो सालों से है।अजीत रायhttps://www.blogger.com/profile/04378343612900974931noreply@blogger.com