19 जुलाई 2017 आज का पूरा दिन हमारे पास था और हमें दिल्ली पहुँचने की कोई जल्दी नहीं थी। मैंने सोच लिया था कि आज अपनी काँवड़ यात्रा के दिनों को पूरी तरह जीऊँगा। मैं चार बार हरिद्वार से मेरठ और एक बार हरिद्वार से पुरा महादेव तक पैदल काँवड़ ला चुका हूँ। तो मैं भावनात्मक रूप से इस यात्रा से जुड़ा हुआ हूँ। आप अगर कभी भी काँवड़ नहीं लाये हैं तो समझ लीजिये कि इस यात्रा की खामियों और खूबियों को मैं आपसे बेहतर जानता हूँ। आज का समय न्यूज चैनलों का है और वे बदमाशों को काँवड़ियों का नाम देकर आपको दिखा देते हैं और आप मान लेते हैं कि काँवड़िये बदमाश होते हैं। मेरे लिये केवल पैदल और साइकिल यात्री ही काँवड़िये हैं; बाकी बाइक वाले, डाक काँवड़ वाले केवल उत्पाती लोग हैं। और इन्हीं लोगों के कारण पवित्र काँवड़ यात्रा अपमानित होती है। चूँकि हम भी बाइक पर ही थे, इसलिये इस श्रेणी में हम भी आसानी से आ सकते हैं, लेकिन हमारा काँवड़ यात्रा से कोई संबंध नहीं था। न हम गंगाजल लिये थे, न हमें किसी शिवमंदिर में जाना था और न ही हम अपनी यात्राओं के लिये सावन के मोहताज़ थे। हमारी बाइक पर साइलेंसर भी लगा था, सिर पर हेलमेट भी था और ब
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग