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288 रेलवे स्टेशन हैं मुंबई और हावड़ा के बीच में

पिछले दिनों मैंने महाराष्ट्र में कुछ रेलमार्गों पर पैसेंजर ट्रेनों में यात्रा की थी। उनमें से अकोला से नागपुर का रेलमार्ग भी शामिल था। इस पर यात्रा करने के साथ ही मेरे पैसेंजर नक्शे में मुंबई और हावड़ा भी जुड़ गये। यानी मैं मुंबई-हावड़ा संपूर्ण रेलमार्ग पर पैसेंजर ट्रेनों में यात्रा कर चुका हूँ। ये यात्राएँ कई चरणों और कई वर्षों में हुईं। 
1. छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस मुंबई से भुसावल (20 फरवरी, 2012)
2. भुसावल से अकोला (18 फरवरी 2012)
3. अकोला से बडनेरा (26 अगस्त 2017)
4. बडनेरा से नागपुर (23 अगस्त 2017)
5. नागपुर से गोंदिया (5 अक्टूबर 2008)
6. गोंदिया से बिलासपुर (11 सितंबर 2014)
7. बिलासपुर से झारसुगुड़ा (25 अगस्त 2011)
8. झारसुगुड़ा से टाटानगर (10 सितंबर 2014)
9. टाटानगर से खड़गपुर (9 सितंबर 2014)
10. खड़गपुर से हावड़ा (22 अगस्त 2011)

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ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे (GIPR) की स्थापना 1 अगस्त 1849 को हुई। इसी ने बोरी बंदर (मुंबई छत्रपति महाराज टर्मिनस के पास) से ठाणे की लाइन 16 अप्रैल 1853 को शुरू की। यह भारत की पहली यात्री रेल लाइन भी थी। इसके बाद यह लाइन आगे बढ़ती गयी और ठाणे से कल्याण 1 मई 1854 को, कल्याण से वसिंद 1855 में, वसिंद से आसनगाँव 1860 में, आसनगाँव से कसारा 1 जनवरी 1861 को और थल घाट पार करके कसारा से ईगतपुरी लाइन 1 जनवरी 1865 को खुली।
एक बार रेलवे पश्चिमी घाट के पहाड़ों को पार कर गयी तो कब भुसावल तक पहुँच गयी, पता ही नहीं चला। भुसावल से इसे दो भागों में बाँट दिया गया। एक भाग खंड़वा, इटारसी होते हुए जून 1867 में जबलपुर पहुँचा; जहाँ ईस्ट इंडियन रेलवे की लाइन भी हावड़ा से इलाहाबाद होते हुए आ चुकी थी। इस प्रकार बंबई और कलकत्ता का पहली बार रेल संपर्क इधर से हुआ अर्थात जबलपुर, इलाहाबाद होते हुए।
भुसावल से दूसरा भाग नागपुर के लिये बनाया गया। 1867 में ही भुसावल और नागपुर जुड़ गये। अर्थात बंबई और नागपुर 1867 में रेलमार्ग से जुड़ चुके थे। यह पूरी लाइन GIPR की ही थी।
फिर कुछ साल मामला शांत रहा। 1878 में अकाल पड़ा और फिर बनी नागपुर-छत्तीसगढ़ रेलवे कंपनी। इसने नागपुर से तुमसर रोड़ की मीटरगेज लाइन अप्रैल 1880 में और तुमसर रोड़ से राजनांदगाँव की मीटरगेज लाइन दिसंबर 1880 में खोल दी। उस समय अलग-अलग रेलवे कंपनियाँ अपनी मर्जी से ब्रॉड़गेज, मीटरगेज या नैरोगेज लाइनें बिछाया करती थीं। बड़ी कंपनियाँ ब्रॉड़गेज को वरीयता देती थीं, जबकि छोटी कंपनियाँ छोटी लाइनों को। 
फिर 1887 में बंगाल-नागपुर रेलवे कंपनी (BNR) का गठन हुआ। यह एक बड़ी कंपनी थी। इसने सबसे पहले नागपुर-छत्तीसगढ़ रेलवे कंपनी का अधिग्रहण किया और नागपुर-राजनांदगाँव मीटरगेज लाइन को ब्रॉड़गेज में परिवर्तित कर दिया। 1891 तक नागपुर से बिलासपुर व टाटानगर जुड़ चुके थे। टाटानगर से खड़गपुर 1898 में और आख़िरकार 19 अप्रैल 1900 को खड़गपुर व हावड़ा भी जुड़ गये। भारत में पहली रेलगाड़ी चलने के 47 वर्षों बाद।
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इतिहास हो गया तो थोड़ा-सा भूगोल भी हो जाये। नीचे आप देखेंगे, तो पायेंगे कि स्टेशनों के नाम के साथ ऊँचाई भी लिखी है। आप जानते ही हैं कि पश्चिमी समुद्र तट के साथ-साथ पच्चीस-तीस किलोमीटर चौड़ी एक समतल पट्टी गुजरात से केरल तक गयी है। इसके बाद पहाड़ हैं। इस समतल पट्टी को पश्चिमी समुद्रतटीय मैदान कहते हैं और पहाड़ों को पश्चिमी घाट। मुंबई से कल्याण तक रेलवे लाइन इसी मैदान से होकर गुजरती है। फिर पश्चिमी घाट की चढ़ाई आरंभ हो जाती है। कसारा 308 मीटर पर है और इससे अगला ही स्टेशन ईगतपुरी 600 मीटर पर। बड़ी ही मदहोश कर देने वाली होती है इस मार्ग पर रेलयात्रा। 
पश्चिमी घाट पार कर लेने के बाद दक्कन का पठार आरंभ हो जाता है, जो नागपुर से भी आगे छत्तीसगढ़ तक चला जाता है। दक्कन के पठार और अरब सागर के बीच में पश्चिमी घाट की खड़ी दीवार है। इस दीवार के कारण पठार में बारिश नहीं होती। मानसून में ही होती है थोड़ी-बहुत। महाराष्ट्र का पूरा विदर्भ इलाका इसी पठार में स्थित है। विदर्भ और लातूर के सूखे जगत-प्रसिद्ध हैं। हर साल यहाँ सूखा पड़ता है और खबरें समाचार-पत्रों व टी.वी. चैनलों की सुर्खियाँ बनती हैं।
छत्तीसगढ़ में महानदी की घाटी में चलते हैं। हालाँकि इस मार्ग में कहीं भी महानदी पार नहीं करनी पड़ती, लेकिन रायपुर से झारसुगुड़ा तक हम महानदी के साथ-साथ ही चलते हैं। राउरकेला के आसपास हम छोटा नागपुर के पठार का एक छोटा-सा हिस्सा पार करते हैं। छोटा नागपुर का पठार लगभग पूरे झारखंड़, उत्तरी छत्तीसगढ़ व ओडिशा के थोड़े-से इलाके में फैला है। चक्रधरपुर के बाद जब टाटानगर पहुँचते हैं तो हावड़ा तक मैदान ही मिलता है। इसे पूर्वतटीय मैदान कहते हैं। 
यह था इस लाइन का भूगोल। पहले पश्चिमी तटीय मैदान, फिर पश्चिमी घाट के पहाड़, फिर दक्कन का पठार, फिर महानदी की घाटी, फिर छोटा नागपुर का पठार और आख़िर में पूर्वतटीय मैदान। याद हो गया ना?
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और इसी मार्ग पर मैंने टुकड़ों में पैसेंजर ट्रेनों में यात्राएँ कीं। अब प्रस्तुत हैं इन सभी स्टेशनों के नाम व उनकी समुद्र तल से ऊँचाई। इसमें केवल मेनलाइन के स्टेशन ही दिये गये हैं। मेनलाइन से हटकर जो स्टेशन हैं, उन्हें शामिल नहीं किया गया है; जैसे लोकमान्य तिलक और शालीमार। 
अब आपको करना ये है कि इन स्टेशनों के नामों को बोलकर पढ़ना है। उचित होगा किसी मित्र या परिजन को सुनाएँ। फिर देखना कितना आनंद आयेगा।
1. छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस मुंबई
2. मस्जिद
3. सैंडहर्स्ट रोड
4. भायखला
5. चिंचपोकली
6. करी रोड (4.60 मीटर)
7. परेल (5.935 मीटर)
8. दादर (6.61 मीटर)
9. माटुंगा
10. शीव
11. कुर्ला (5.30 मीटर)
12. विद्याविहार (5.35 मीटर)
13. घाटकोपर
14. विक्रोली
15. कांजुर मार्ग (5.59 मीटर)
16. भांडूप (4.785 मीटर)
17. नाहुर
18. मुलुंड (6.40 मीटर)
19. ठाणे (7.10 मीटर)
20. कलवा (6.65 मीटर)
21. मुंब्रा
22. दिवा जंक्शन
23. कोपर (7.13 मीटर)
24. डोंबिवली
25. ठाकुर्ली
26. कल्याण जंक्शन (8.84 मीटर)
27. शहद
28. आंबिवली
29. टिटवाला (15.54 मीटर)
30. खडवली (25.90 मीटर)
31. वासिंद (29.52 मीटर)
32. आसनगाँव (75.54 मीटर)
33. आटगाँव (174 मीटर))
34. थानसिट
35. खर्डी (238.52 मीटर)
36. उमरमाली
37. कसारा (308.42 मीटर)
38. इगतपुरी (599.40 मीटर)
39. घोटी (572.11 मीटर)
40. पाडली
41. अस्वली (575 मीटर)
42. लहाविट (566.71 मीटर)
43. देवलाली (556.52 मीटर)
44. नासिक रोड (560.01 मीटर)
45. ओढा
46. खेरवाडी (551.07 मीटर)
47. कसबे सुकेने (545.91 मीटर)
48. निफाड़ (548.60 मीटर)
49. उगाँव (566.88 मीटर)
50. लासलगाँव (590.46 मीटर)
51. समिट
52. मनमाड़ जंक्शन (557.84 मीटर)
53. पानेवाडी
54. हिसवहल
55. पांझन (516.19 मीटर)
56. नांदगाँव (464.64 मीटर)
57. पिंपरखेड़ (484.77 मीटर)
58. नायडोंगरी (422.44 मीटर)
59. रोहीनी (418.03 मीटर)



60. हीरापुर (421 मीटर)
61. चालीसगाँव जंक्शन (345.72 मीटर)
62. वाघली (328.75 मीटर)
63. कजगाँव (286.28 मीटर)
64. नगरदेवला
65. गालन
66. पाचोरा जंक्शन (257.86 मीटर)
67. परधाडे (236.75 मीटर)
68. माहेजी (240.80 मीटर)
69. म्हसावद (216.48 मीटर)
70. शिरसौली (206.87 मीटर)
71. जलगाँव जंक्शन (208.51 मीटर)
72. भादली
73. भुसावल जंक्शन (205.03 मीटर)
74. वरणगाँव (219.20 मीटर)
75. आचेगाँव (230.25 मीटर)
76. बोदवड (219.15 मीटर)
77. कोल्हाडी
78. खामखेड़ (252.90 मीटर)
79. मलकापुर (247.58 मीटर)
80. वडोदा
81. बिस्वा ब्रिज
82. खुमगाँव बुर्ती
83. नांदुरा (265.34 मीटर)
84. जलंब जंक्शन (268.27 मीटर)
85. शेगाँव (276.336 मीटर)
86. श्री क्षेत्र नागझरी (269.39 मीटर)
87. पारस
88. गायगाँव (322.72 मीटर)
89. अकोला जंक्शन (278.62 मीटर)
90. येउलखेड़ (299.23 मीटर)
91. बोरगाँव (292.89 मीटर)
92. काटेपूर्णा (289.87 मीटर)
93. मुर्तिजापुर जंक्शन (326 मीटर)
94. माना (316 मीटर)
95. मंडुरा (325 मीटर)
96. कुरम (330 मीटर)
97. टाकली (350 मीटर)
98. बडनेरा जंक्शन (300.80 मीटर)
99. टिमटाला (349.86 मीटर)
100. मालखेड़ (343.10 मीटर)
101.चांदुर (329.24 मीटर)
102. दीपोरी
103. धामनगाँव (297.93 मीटर)
104. तलनी (247.34 मीटर)
105. पुलगाँव (272.32 मीटर)
106. कवठा (282.55 मीटर)
107. दहेगाँव (271.22 मीटर)
108. वर्धा जंक्शन (246.90 मीटर)
109. सेवाग्राम (277.73 मीटर)
110. वरुड़ (278.73 मीटर)
111. सेलू रोड़ (253.03 मीटर)
112. तुलजापुर (256.83 मीटर)
113. सिंदी (246.50 मीटर)
114. बोरखेड़ी (272.80 मीटर)
115. बुटी बोरी (373.33 मीटर)
116. गुमगाँव (304.28 मीटर)
117. खापरी (307.55 मीटर)
118. अजनी (304.29 मीटर)
119. नागपुर जंक्शन (308.66 मीटर)
120. इतवारी जंक्शन (322.48 मीटर)
121. कलमना (316.69 मीटर)
122. कामटी (308.70 मीटर)
123. कन्हान जंक्शन (306.52 मीटर)
124. सालवा (310.89 मीटर)
125. चाचेर
126. तारसा
127. रेवराल
128. खात
129. भंडारा रोड़ (284.99 मीटर)




130. कोका (278.806 मीटर)
131. तुमसर रोड़ जंक्शन (284.98 मीटर)
132. मुंडिकोटा (287.43 मीटर)
133. तिरोडा (299.62 मीटर)
134. काचेवानी
135. गंगाझरी (329.548 मीटर)
136. गोंदिया जंक्शन (311.16 मीटर)
137. गुदमा (333.45 मीटर)
138. आमगाँव (333.40 मीटर)
139. धानौली (329.87 मीटर)
140. सालेकसा (342.52 मीटर)
141. दारेकसा (389.90 मीटर) - महाराष्ट्र का आख़िरी स्टेशन
142. बोरतलाव (424.80 मीटर) - छत्तीसगढ़ का पहला स्टेशन
143. पनियाजोब
144. डोंगरगढ़ (369.69 मीटर)
145. जटकन्हार (348.28 मीटर)
146. मुसरा (342.80 मीटर)
147. बाकल (338.33 मीटर)
148. राजनांदगाँव (330.71 मीटर)
149. परमालकसा (322 मीटर)
150. मुडहीपार (335.28 मीटर)
151. रसमडा (310.29 मीटर)
152. दुर्ग जंक्शन
153. भिलाई नगर
154. भिलाई पावर हाउस
155. भिलाई (327.89 मीटर)
156. देवबलोदा चरोदा
157. डी-केबिन (320.43 मीटर)
158. ए-केबिन
159. कुम्हारी (304.57 मीटर)
160. सरोना (304.57 मीटर)
161. सरस्वती नगर
162. रायपुर जंक्शन (314.35 मीटर)
163. डब्ल्यू आर एस कालोनी हाल्ट
164. उरकुरा
165. मांढर
166. सिलयारी (300.40 मीटर)
167. बैकुंठ
168. तिल्दा (300.40 मीटर)
169. हथबंध (285.35 मीटर)
170. भाटापारा
171. निपनिया (281.19 मीटर)
172. दगोरी (278.185 मीटर)
173. बिल्हा (288.92 मीटर)
174. चकरभाठा हाल्ट (278.80 मीटर)
175. दाधापारा (292.377 मीटर)
176. बिलासपुर जंक्शन (292.30 मीटर)
177. गतौरा (285 मीटर)
178. जयरामनगर (288.98 मीटर)
179. कोतमी सोनार
180. अकलतरा (303.78 मीटर)
181. कापन (285.68 मीटर)
182. जांजगीर नैला (294.40 मीटर)
183. चाँपा जंक्शन (282.80 मीटर)
184. सारागाँव रोड़
185. बाराद्वार (278.03 मीटर)
186. जेठा
187. सक्ती
188. झाराडीह (266.2 मीटर)
189. खरसिया (279.8 मीटर)
190. राबर्टसन (256.28 मीटर)
191. भूपदेवपुर (261.50 मीटर)
192. किरोडीमल नगर (253.90 मीटर)
193. रायगढ़ (237.10 मीटर)
194. कोतरलिया (248 मीटर)
195. जामगा (282.2 मीटर) - छत्तीसगढ़ का आख़िरी स्टेशन
196. दाघोरा (267 मीटर) - ओडिशा का पहला स्टेशन
197. हिमगिर (293.50 मीटर)
198. बेलपहाड़ (255.1 मीटर)
199. ब्रजराजनगर (227.10 मीटर)
200. ईब (253.30 मीटर)
201. झारसुगुड़ा जंक्शन (231.085 मीटर)
202. धुतरा (314.872 मीटर)
203. पानपालि हाल्ट
204. बागडीही (306.655 मीटर)
205. धारुआडीही (302.699 मीटर)
206. बामडा (269.734 मीटर)
207. टांगरमुंडा
208. गारपोस (275.155 मीटर)
209. सागरा
210. सोनाखान (279.691 मीटर)




211. राजगांगपुर (286.699 मीटर)
212. कांसबहाल (269.372 मीटर)
213. कलुंगा
214. पानपोष
215. राउरकेला जंक्शन (218.23 मीटर)
216. बंडामुंडा
217. बिश्रा (239.02 मीटर)
218. भालुलता (255.18 मीटर)
219. जराइकेला (232.01 मीटर) - ओडिशा का आख़िरी स्टेशन
220. मनोहरपुर (248.29 मीटर) - झारखंड़ का पहला स्टेशन
221. घाघरा
222. पोसैता (301.98 मीटर)
223. डेरोवां
224. महादेवसाल
225. गोइलकेरा (347.56 मीटर)
226. टुनिया (316.83 मीटर)
227. सोनुआ (304.87 मीटर)
228. लोटापहाड़ (269.13 मीटर)
229. चक्रधरपुर (250.85 मीटर)
230. बडाबाम्बो (230.72 मीटर)
231. राजखरसावां जंक्शन (209 मीटर)
232. महालिमोरुप (198.73 मीटर)
233. सीनी जंक्शन (174.94 मीटर)
234. वीरबाँस (166.17 मीटर)
235. गामहारिया जंक्शन (157.40 मीटर)
236. आदित्यपुर (157.80 मीटर)
237. टाटानगर जंक्शन (159 मीटर)
238. सलगा झरी
239. गोविंदपुर हाल्ट
240. आसनबोनी
241. राखा माइन्स
242. गालुडीही
243. घाटशिला (100.30 मीटर)
244. धलभूमगढ़ (109 मीटर)
245. कोकपाडा (102.11 मीटर)
246. चाकुलिया (123.48 मीटर)
247. कानिमहुली - झारखंड़ का आख़िरी स्टेशन
248. गिधनी - पश्चिमी बंगाल का पहला स्टेशन
249. खाटकुरा हाल्ट
250. झाड़ग्राम (78.77 मीटर)
251. बांशतोला (70 मीटर)
252. सरडिहा (66.42 मीटर)
253. खेमा शुलि
254. कलाईकुंडा (56.39 मीटर)
255. खड़गपुर जंक्शन (39 मीटर)
256. जकपुर (24.99 मीटर)
257. मादपुर (23.52 मीटर)
258. श्यामचक (17.98 मीटर)
259. बालिचक (15.11 मीटर)




260. डुंया
261. राधामोहनपुर (10.13 मीटर)
262. हाउर (7.01 मीटर)
263. क्षीराई (8.66 मीटर)
264. पांशकुडा जंक्शन (5.41 मीटर)
265. नारायण पाकुडिया मुडाइल (4.87 मीटर)
266. भोगपुर (4.26 मीटर)
267. नन्दाईगाजन
268. मेचेदा (4.50 मीटर)
269. कोलाघाट (12.50 मीटर)
270. देउलटि (5.60 मीटर)
271. घोडाघटा
272. बागनान (5.334 मीटर)
273. कुलगाछिया
274. बीरशिबपुर (4.572 मीटर)
275. उलुवेडिया
276. फुलेश्वर (4.908 मीटर)
277. चेंगाइल
278. बाउडिया (4.877 मीटर)
279. नलपुर (4.877 मीटर)
280. आबादा (4.877 मीटर)
281. सांकराइल (4.877 मीटर)
282. आन्दुल (4.877 मीटर)
283. मौडीग्राम (4.877 मीटर)
284. सांतरागाछी जंक्शन (4.572 मीटर)
285. रामराजातला
286. दासनगर
287. टिकियापाडा
288. हावडा




Comments

  1. इतने सारे स्टेशन....मैने पढ़े ही नही😂

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  2. भूगोल का जबरदस्त ज्ञान करवा दिया। बहुत बहुत धन्यवाद।

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  3. क्या बात है मैं केवल मुंबई से चक्रधरपूर तक यात्रा की है इसलीये कुछ स्टेशन याद आ रहे है

    ReplyDelete

  4. इस पोस्ट में रेलवे के इतिहास और उसके भूगोल के बारे में रोचक और सटीक जानकारी तो दिए ही है। साथ ही साथ स्टेशनों के ऊंचाई के बारे में गणित से जुडी जानकारी दिए हैं। गेज परिवर्तन और रेल लाइन निर्माण से जुडी जानकारी जिसे इंजिनियरिंग की जानकारी कह सकते हैं। इस प्रकार किसी कक्षा में पढाये जाने वाले सभी मुख्य विषय को शामिल कर लिए हैं। समुद्र के किनारे किनारे बने रेल लाइन के स्टेशनों की ऊंचाई कम होती ही है। कुल मिला कर यह बढ़िया पोस्ट है।

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एक बार मैं गोरखपुर से लखनऊ जा रहा था। ट्रेन थी वैशाली एक्सप्रेस, जनरल डिब्बा। जाहिर है कि ज्यादातर यात्री बिहारी ही थे। उतनी भीड नहीं थी, जितनी अक्सर होती है। मैं ऊपर वाली बर्थ पर बैठ गया। नीचे कुछ यात्री बैठे थे जो दिल्ली जा रहे थे। ये लोग मजदूर थे और दिल्ली एयरपोर्ट के आसपास काम करते थे। इनके साथ कुछ ऐसे भी थे, जो दिल्ली जाकर मजदूर कम्पनी में नये नये भर्ती होने वाले थे। तभी एक ने पूछा कि दिल्ली में कितने रेलवे स्टेशन हैं। दूसरे ने कहा कि एक। तीसरा बोला कि नहीं, तीन हैं, नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और निजामुद्दीन। तभी चौथे की आवाज आई कि सराय रोहिल्ला भी तो है। यह बात करीब चार साढे चार साल पुरानी है, उस समय आनन्द विहार की पहचान नहीं थी। आनन्द विहार टर्मिनल तो बाद में बना। उनकी गिनती किसी तरह पांच तक पहुंच गई। इस गिनती को मैं आगे बढा सकता था लेकिन आदतन चुप रहा।

जिम कार्बेट की हिंदी किताबें

इन पुस्तकों का परिचय यह है कि इन्हें जिम कार्बेट ने लिखा है। और जिम कार्बेट का परिचय देने की अक्ल मुझमें नहीं। उनकी तारीफ करने में मैं असमर्थ हूँ क्योंकि मुझे लगता है कि उनकी तारीफ करने में कहीं कोई भूल-चूक न हो जाए। जो भी शब्द उनके लिये प्रयुक्त करूंगा, वे अपर्याप्त होंगे। बस, यह समझ लीजिए कि लिखते समय वे आपके सामने अपना कलेजा निकालकर रख देते हैं। आप उनका लेखन नहीं, सीधे हृदय पढ़ते हैं। लेखन में तो भूल-चूक हो जाती है, हृदय में कोई भूल-चूक नहीं हो सकती। आप उनकी किताबें पढ़िए। कोई भी किताब। वे बचपन से ही जंगलों में रहे हैं। आदमी से ज्यादा जानवरों को जानते थे। उनकी भाषा-बोली समझते थे। कोई जानवर या पक्षी बोल रहा है तो क्या कह रहा है, चल रहा है तो क्या कह रहा है; वे सब समझते थे। वे नरभक्षी तेंदुए से आतंकित जंगल में खुले में एक पेड़ के नीचे सो जाते थे, क्योंकि उन्हें पता था कि इस पेड़ पर लंगूर हैं और जब तक लंगूर चुप रहेंगे, इसका अर्थ होगा कि तेंदुआ आसपास कहीं नहीं है। कभी वे जंगल में भैंसों के एक खुले बाड़े में भैंसों के बीच में ही सो जाते, कि अगर नरभक्षी आएगा तो भैंसे अपने-आप जगा देंगी।

ट्रेन में बाइक कैसे बुक करें?

अक्सर हमें ट्रेनों में बाइक की बुकिंग करने की आवश्यकता पड़ती है। इस बार मुझे भी पड़ी तो कुछ जानकारियाँ इंटरनेट के माध्यम से जुटायीं। पता चला कि टंकी एकदम खाली होनी चाहिये और बाइक पैक होनी चाहिये - अंग्रेजी में ‘गनी बैग’ कहते हैं और हिंदी में टाट। तो तमाम तरह की परेशानियों के बाद आज आख़िरकार मैं भी अपनी बाइक ट्रेन में बुक करने में सफल रहा। अपना अनुभव और जानकारी आपको भी शेयर कर रहा हूँ। हमारे सामने मुख्य परेशानी यही होती है कि हमें चीजों की जानकारी नहीं होती। ट्रेनों में दो तरह से बाइक बुक की जा सकती है: लगेज के तौर पर और पार्सल के तौर पर। पहले बात करते हैं लगेज के तौर पर बाइक बुक करने का क्या प्रोसीजर है। इसमें आपके पास ट्रेन का आरक्षित टिकट होना चाहिये। यदि आपने रेलवे काउंटर से टिकट लिया है, तब तो वेटिंग टिकट भी चल जायेगा। और अगर आपके पास ऑनलाइन टिकट है, तब या तो कन्फर्म टिकट होना चाहिये या आर.ए.सी.। यानी जब आप स्वयं यात्रा कर रहे हों, और बाइक भी उसी ट्रेन में ले जाना चाहते हों, तो आरक्षित टिकट तो होना ही चाहिये। इसके अलावा बाइक की आर.सी. व आपका कोई पहचान-पत्र भी ज़रूरी है। मतलब