नागटिब्बा जाना तो अपने घर की बात लगती थी। वो रहा देहरादून, वो रहा मसूरी और वो रहा नागटिब्बा। फिर भी कई सालों तक बस सोचते ही रहे, लेकिन जाना नहीं हो पाया। लेकिन इस बार कमर कस ली। नागटिब्बा समुद्र तल से 3000 मीटर से भी ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है, इसलिये सर्दियों में अच्छी-खासी बर्फ गिर जाती है। कम दूरी का ट्रैक होने के कारण यह विण्टर ट्रैकों में भी अहम स्थान रखता है। यही सोचकर दिसम्बर में यहां जाने की योजना बनी। मेरी बडे दिनों से इच्छा थी कि किसी ग्रुप को ट्रैकिंग पर लेकर जाऊं। एक बार इस बारे में अपने फेसबुक पेज पर भी लिखा था। इस बार की योजना थी कि क्रिसमस की छुट्टियों में एक ग्रुप को तो अवश्य तैयार कर लेना है। शुक्रवार का क्रिसमस था, उसके बाद शनिवार और फिर रविवार। किसी भी नौकरीपेशा के लिये यह एक शानदार संयोग होता है। इसलिये कोई सन्देह नहीं था कि ग्रुप नहीं बनेगा। खर्चे का अन्दाजा लगाया और आखिरकार तय हुआ कि दिल्ली से दिल्ली तक प्रति व्यक्ति 5000 रुपये और देहरादून से देहरादून तक 4000 रुपये लगेंगे। इसमें आना-जाना, रहना और खाना-पीना सब शामिल था। ग्रुप बडा हुआ तो दिल्ली से ही गाडी कर लें
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग