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सफेद रन

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16 जनवरी 2015
बारह बज चुके थे और मैं भुज में था। अभी तक कुछ खाया भी नहीं था। सुबह पच्चीस-तीस रुपये की पूरी-सब्जी खाई थीं एक ठेले पर। ठेला समझकर यह मत सोचना कि मैं गन्दगी में जा घुसा। गन्दगी वाला ठेला होता तो दस रुपये में ही काम चल जाता। वह लडका पार्ट टाइम के तौर पर सुबह नाश्ते के लिये पूरी-सब्जी बेचता है, बाद में कुछ और काम करता है। सफाई अच्छी थी। दो तरह की आलू की सब्जियां थीं- सूखी और तरीदार। दोनों में फर्क बस इतना ही था कि एक में तेल कुछ कम था, दूसरी में तेल ही तेल था। गुजराती सब्जियों में लगता है पानी की बजाय तेल डाला जाता है। इतना तेल हो जाता है कि अगर आप एक कटोरी आलू की तरीदार सब्जी में से आलू खा जायें तो आधा कटोरी तेल बचा रहेगा। उधर हम दिल्ली वालों के लिये तेल का बडा परहेज होता है।
हां, तो मैं कह रहा था कि बारह बज गये थे। आज मुझे काला डूंगर जाना था जो यहां से करीब सौ किलोमीटर दूर है। अर्थात ढाई तीन घण्टे लगेंगे। रास्ते में कहीं रुककर खाना भी खाना था तो चार घण्टे लगेंगे। पांच बजे के बाद दिन छिपना शुरू हो जायेगा। हालांकि यह भारत का पश्चिमतम इलाका है, दिन यहां देर से छिपता है।
एक जगह एक होटल पर बाइक रोक दी। परांठे के लिये पूछा, मना कर दिया। समोसे थे, वही ले लिये। एक तसले में मावा रखा था। फिर भी मैंने जिज्ञासावश पूछ लिया- उसमें क्या है? बोला- मावा है जी। गुजराती डिश है, दूध से बनाई जाती है। दूध को इतना पकाया जाता है...। मावे का पूरा इतिहास-भूगोल बता डाला। मैं सुनता रहा। जब वो चुप हो गया तो मैं बोला- अच्छा, बडा गजब का स्वाद होता होगा। टेस्ट कराना थोडा। समोसे के साथ मावा फ्री में मिला।
दो बजे भिरंडीयाला पहुंच गया। यहां से सीधा रास्ता खावडा और काला डूंगर जाता है जबकि बायें वाला रास्ता धोरडो और सफेद रन। मुझे सफेद रन नहीं जाना था लेकिन यहां आकर गणित लगाने लगा। यहां से रन चालीस किलोमीटर है और दूसरी तरफ काला डूंगर भी चालीस ही है। सफेद रन देखकर वापस यहां भिरंडीयाला आना ही पडेगा। हिसाब लगाया कि अभी दो बजे हैं, एक घण्टे में सफेद रन, फिर एक घण्टे में वापस यहां और फिर एक घण्टे में काला डूंगर। अगर रन पर एक घण्टा भी लगाऊंगा तब भी आराम से छह बजे तक काला डूंगर पहुंच जाऊंगा। सूर्यास्त आज काला डूंगर में ही देखना है।
मेरी इस यात्रा लिस्ट में धोरडो और सफेद रन शामिल नहीं थे। इसका कारण था कि धोरडो में ही रन महोत्सव मनाया जा रहा है। वैसे तो यह कच्छ में पर्यटन को बढावा देने के लिये मनाया जाता है और यह बडा सफल आयोजन भी रहा है लेकिन पूरी तरह कृत्रिम आयोजन होता है। हर चीज बडी महंगी होती है। मेरे जैसे तो यहां एक रात भी नहीं रुक सकते। कई हजार रुपये से तो शुरूआत ही होती है।
धोरडो और सफेद रन जाने के लिये परमिट लेना होता है। परमिट जितना आसानी से और जितनी जल्दी यहां बनता है, उतना मैंने कहीं और नहीं देखा। यहीं गुजरात पुलिस के तम्बू लगे होते हैं। एक फार्म भरो, पहचान-पत्र दिखाओ, सौ रुपये परमिट शुल्क है, पच्चीस रुपये बाइक का शुल्क है और जरा ही देर में कम्प्यूटरीकृत तरीके से छपा-छपाया परमिट आपके हाथ में। और तो और, एसएमएस भी आता है। दस मिनट भी नहीं लगे।
यहां फलों की दुकानें थीं। चालीस रुपये के एक किलो केले लिये। खाकर ढाई बजे तक यहां से निकल लिया।
रास्ते में एक गांव पडता है होडको। बडा प्रसिद्ध गांव है। ठहरने के यहां भी आलीशान इंतजाम हैं। यह गांव हथकरघे के लिये ज्यादा जाना जाता है। मैं यहां नहीं रुका।
धोरडो गांव के बाहर ही बाहर रास्ता सफेद रन के लिये चला जाता है। धोरडो से एक किलोमीटर आगे टेंट सिटी है। टेंट सिटी अर्थात रन महोत्सव का स्थान। बिल्कुल वीराने में रन महोत्सव मनाकर इस स्थान को विशिष्ट बना दिया है। बडी चहल-पहल रहती है यहां। ठहरने के लग्जरी टेंट। मैं तो यहां से मुंह फेरकर सफेद रन की ओर बढ चला। यहीं बीएसएफ की जांच चौकी है जो परमिट चेक करती है। अगर आपके पास परमिट नहीं है तो कोई बात नहीं। यहां से भी बन जाता है।
छह किलोमीटर आगे सफेद रन है। पार्किंग में बाइक खडी करके मैं रन में घुस गया। बडी दूर तक रन में भी सडक बना रखी है जो ‘मॉल रोड’ की तरह है। इस पर कोई गाडी नहीं चलती। केवल पर्यटक ही पैदल घूमते हैं। दूर-दूर तक अनन्त नमक का रेगिस्तान। विचित्र!
कहानी तो आपको पिछली बार बता ही दी थी कि यह नमक का रेगिस्तान क्यों है। समुद्र का पानी चढ आता है। तो जब वह सूखता है तो पानी तो उड जाता है और बच जाता है नमक। लेकिन एक बात मुझे थोडी सी भ्रमित कर रही है। वो यह कि समुद्र का पानी किसी ज्वार-भाटे के कारण नहीं चढता बल्कि केवल मानसून में ही चढता है जो सर्दियों तक सूख जाता है। मानसून में पानी चढने का मतलब यह है कि यहां कोई नदी आकर मिलती होगी जो मानसून में अपने पूरे प्रवाह में रहती है। राजस्थान से आने वाली किसी नदी में इतना दम नहीं है कि इतने बडे इलाके को बाढग्रस्त कर दे। यह काम करती है सिन्धु नदी। सिन्धु भले ही पाकिस्तान में बहती हो लेकिन वह यहां से ज्यादा दूर नहीं है। यह इलाका सिन्धु के डेल्टा क्षेत्र में आता है।
लेकिन नदी समुद्र नहीं होती। सिन्धु में मीठा पानी होता है। अगर उस मीठे पानी से रन में बाढ आयेगी तो सूखने पर कभी भी नमक नहीं बन सकता। लेकिन चूंकि नमक बन रहा है तो इसका अर्थ यही है कि सिन्धु-जल के साथ साथ इसमें समुद्र-जल भी है। सामान्यतः समुद्र के पानी में नमक 3.5 प्रतिशत होता है। हो सकता है कि यहां इतनी सान्द्रता न होती हो, एक प्रतिशत नमक होता हो या आधा प्रतिशत नमक होता हो।
कुछ भी हो, लेकिन रन भारत के साथ साथ दुनिया का भी प्राकृतिक आश्चर्य है। उसी आश्चर्य को आज मैं निहार रहा था। बिल्कुल ऐसा लग रहा था जैसे बर्फ पडी हो। सीधी तेज धूप पड रही थी, फिर सफेद नमक से परावर्तित होकर और भी ज्यादा लग रही थी, इसलिये काले चश्मे निकालने पडे। बर्फ में भी ऐसा ही होता है। लेकिन बर्फ पर चलते समय चर्र-चर्र की आवाज आती है, यहां वो आवाज नहीं थी। बस यही अन्तर था।
रन में ‘मॉल रोड’ बडी दूर तक चली गई है। इसका दूसरा सिरा नहीं दिख रहा था। लेकिन इतना निश्चित था कि यह ज्यादा दूर तक नहीं गई है। जितनी दूर तक दिख रही है, उतनी ही दूर तक है। शायद दो या तीन किलोमीटर तक। मैं एक किलोमीटर तक ही गया, फिर लौट आया। समय सीमित था।
चार बजे यहां से वापस चल दिया। वैसे तो दो घण्टे बाद यहां भी सूर्यास्त होगा। बहुत से लोग इसे देखेंगे। अनंत तक फैले रन में सूर्यास्त का अलग आनन्द होगा लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकूंगा। मुझे यहां नहीं रुकना है। सूर्यास्त होते ही अन्धेरा होने लगेगा। मुझे यहां से भागना ही है। यहां से निकलकर मेरी पसन्द का अर्थात सस्ता ठिकाना कम से कम खावडा में मिलेगा। खावडा तक यानी डेढ घण्टे तक अन्धेरे में चलना पडेगा। इससे अच्छा है कि कच्छ की सबसे ऊंची पहाडी पर जाकर ही सूर्यास्त देखा जाये। काला डूंगर में सुना है कि ठहरने का इंतजाम भी है।





भिरंडीयारा

भिरंडीयारा से सीधी सडक खावडा और काला डूंगर जाती है और बायें वाली सडक होडको, धोरडो और सफेद रन।


रन महोत्सव का प्रवेश द्वार



सफेद रन की ओर जाता रास्ता


रन में

अनन्त तक फैला नमक का रेगिस्तान

यही वो ‘मॉल रोड’ है जो बडी दूर तक रन में चली जाती है।







सफेद रन से दूरियां



भिरंडीयारा में पुलिस चेक पोस्ट। यहीं पर परमिट बनता है।

काला डूंगर की ओर


सफेद रन की स्थिति को दर्शाता नक्शा। इसे छोटा बडा भी किया जा सकता है।



अगला भाग: काला डोंगर


कच्छ मोटरसाइकिल यात्रा
1. कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा
2. कच्छ यात्रा- जयपुर से अहमदाबाद
3. कच्छ की ओर- अहमदाबाद से भुज
4. भुज शहर के दर्शनीय स्थल
5. सफेद रन
6. काला डोंगर
7. इण्डिया ब्रिज, कच्छ
8. फॉसिल पार्क, कच्छ
9. थान मठ, कच्छ
10. लखपत में सूर्यास्त और गुरुद्वारा
11. लखपत-2
12. कोटेश्वर महादेव और नारायण सरोवर
13. पिंगलेश्वर महादेव और समुद्र तट
14. माण्डवी बीच पर सूर्यास्त
15. धोलावीरा- सिन्धु घाटी सभ्यता का एक नगर
16. धोलावीरा-2
17. कच्छ से दिल्ली वापस
18. कच्छ यात्रा का कुल खर्च




Comments

  1. Great information, excellent Photos

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  2. सफेद रन एक चमत्कार जैसा है....

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  3. Bhai ran van to thik hai yeh batao ke
    laaduo kab khila rahe ho

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    Replies
    1. गुप्ता जी, 23 फरवरी को गांव में पार्टी है। आप सपरिवार आमन्त्रित हैं। फिर मत कहना कि लड्डू कब खिलाओगे।
      पता है: गांव दबथुवा, जिला मेरठ।
      हमारे घर के गूगल मैप के को-ऑर्डिनेट हैं: 29.072918 E, 77.621812 N

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  4. Shandar photo & Vo ran vala aapka photo bahut fine he .

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  5. चालीस रुपये के एक किलो केले लिये.... क्या चक्कर है नीरज ...... शादी की बधाइ....

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  6. भाई नीरज जी प्लीज शादी पक्की होने की खबर सच है क्या ?

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  7. एक सप्रेम सविनय निवेदन है ..अगर यह खबर सच होतो एक पोस्ट लिखिए न प्लीज ...

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  8. रन का रण यात्रा किसी रण विजेता से कम नहीं है ।

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  9. Good Neeraj Photo Sunder h,Aur ha Sadi Ke liye Congratulation.

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  10. नीरज भाई जाटनी जी से एक परिचय - पर भी एक लघु पोस्ट हो जाये.
    ढेर सारी बधाईयाँ

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  11. रण की अच्छी जानकारी के लिये शुक्रिया और शादी पर ढेरों बधाईयां और अनन्त मंगल कामनाऐं।

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  12. NEERAJ YAR ..SHADI KI UPADTE KR BHI DO ..SABKO INTEZAR HAI OFFICIAL ANNOUNCEMENT KA

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  13. वह लडका पार्ट टाइम के तौर पर सुबह नाश्ते के लिये पूरी-सब्जी बेचता है, बाद में कुछ और काम करता है।
    ......................................................................................................................................................................
    इस लडके का फोटो बनता था ! .... खैर ये मै क्या बात सुन रहा हु ... आप दो से ४ होने जा रहे हो ढेर सारी बधाईयाँ ।

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  14. बढिया पोस्ट, धोरड़ा रण भी देख लिए।

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