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पहलगाम से पिस्सू घाटी

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चौदह जुलाई 2010 की सुबह हम पहलगाम से निकल पडे। ड्राइवर से बोल दिया कि तू यहां से बालटाल चला जा और हम परसों तुझे बालटाल में ही मिलेंगे। चाहे तो तू भी अमरनाथ दर्शन कर लेना। आज शाम तक बालटाल पहुंच जायेगा, कल चढाई करके परसों वापस आ जाना। ड्राइवर ने कहा कि हां, देखूंगा।
छह-साढे छह के करीब हमने पहलगाम से एक गाडी ली और चन्दनबाडी पहुंच गये। चन्दनबाडी (या चन्दनवाडी) के रास्ते में एक जगह पडती है – बेताब घाटी। इसी घाटी में बेताब फिल्म की शूटिंग हुई थी। लगभग पूरी फिल्म यही पर शूट की गयी थी। ऊपर सडक से देखने पर बेताब घाटी बडी मस्त लग रही थी।
चन्दनबाडी से एक-डेढ किलोमीटर पहले ही गाडियों की लाइनें लगी थी। असल में जाम लगा था। दूसरों की देखा-देखी हमारा दल भी गाडी से उतरकर पैदल ही चन्दनबाडी की ओर चल पडा। चन्दनबाडी में भी यात्रियों और सामान की तलाशी ली जाती है। हमने अपना भारी और गैरजरूरी सामान तो गाडी में ही छोड दिया था। अब केवल बेहद जरूरी सामान ही था। यहां से अमरनाथ की पैदल यात्रा शुरू होती है। चन्दनबाडी पहलगाम से सोलह किलोमीटर दूर है। यहां कई भण्डारे भी लगे थे। अमरनाथ यात्रा का एक आकर्षण भण्डारे भी होते हैं। करोडों का खर्चा करते हैं ये भण्डारे वाले।
यहां पर एक कागज हाथ लगा जिस पर यात्रा मार्ग की सभी दूरियां लिखी थीं- पिस्सू घाटी 3 किलोमीटर, फिर जोजपाल, शेषनाग, महागुनस, पौष पत्री, पंचतरणी, संगम और गुफा। इसमें पहला स्टेप है चन्दनबाडी से पिस्सू घाटी का। यह मार्ग तीन किलोमीटर का है लेकिन सबसे मुश्किल भी। ऊपर देखने पर जब सिर गर्दन को छूने लगे तो एक चोटी दिखती है, उसे पिस्सू टॉप कहते हैं। ध्यान से देखने पर वहां भी रंग-बिरंगी चींटियां सी चलती दिखती हैं। कई यात्री जो घर से सोचकर आते हैं कि हम पूरी यात्रा पैदल ही करेंगे, इस चोटी को देखते ही ढेर हो जाते हैं। जरा सा चढते ही खच्चर वालों से मोलभाव करते दिखते हैं।
कहते हैं कि कभी इस स्थान पर देवताओं का और राक्षसों का युद्ध हुआ था। देवता जीत गये। उन्होंने राक्षसों को पीस-पीसकर उनका ढेर लगा दिया। उस ढेर को ही पिस्सू टॉप कहते हैं। पिस-पिसकर लगे ढेर को पिस्सू नाम दे दिया।
यह रास्ता बेहद चढाई भरा है। ऊपर से पानी भी आता रहता है। खच्चर वाले भी सबसे ज्यादा इसी पर मिलते हैं, क्योंकि आगे का रास्ता अपेक्षाकृत आसान है। पथरीला पहाड है तो जाडों में बरफ पडने से बना बनाया रास्ता अगले सीजन तक टूट जाता है। इसलिये इसे पक्का भी नहीं बनाया जा सका। पैदल यात्री शॉर्ट कट से चलना पसन्द करते हैं। उनकी वजह से कभी कभी पत्थर भी गिर जाते हैं। जो पत्थर एक बार गिर गया, वो नीचे तक लोगों को घायल करता चला जाता है। भगदड भी मच जाती है, जान भी चली जाती है।
हमारे दल में सबसे तेज शहंशाह चल रहा था, फिर मैं। ऐसे पहाड पर चढने का मेरा अपना तरीका है। धीरे-धीरे केवल अपने पैरों को देखते हुए चलता हूं, थकान नहीं होती। जब मैं ऊपर पहुंचा तो शहंशाह वही बैठा मिला। धीरे-धीरे दल के सभी सदस्य आ गये। घण्टे भर तक यहां आराम किया। दो-तीन भण्डारे भी लगे थे। नीचे से यहां तक के रास्ते में क्या हुआ, उसे चित्रों के माध्यम से देखिये:

JAM NEAR CHANDANWARI
चन्दनवाडी से पहले लगा जाम

BHANDARA IN CHANDANWARI
चन्दनवाडी में लगा भण्डारा। पूरे मार्ग में जितने भी भण्डारे हैं, सभी मुफ्त में होते हैं। यात्रियों को कोई खर्चा नहीं करना होता।

CHANDANWARI
चन्दनवाडी का विहंगम दृश्य

MARKET IN CHANDANWARI
चन्दनवाडी का बाजार

SNOW BRIDGE
चन्दनवाडी के पास बरफ का पुल

AMARNATH YATRA
पिस्सू घाटी की चढाई

NEAR CHANDANWARI
शानदार झरना

AMARNATH YATRI
एक यात्री

PITTHOO
पिट्ठू, एक बच्चे और सामान को लादकर ले जा रहा है। सभी पिट्ठुओं के पहचान पत्र होते हैं।

AMARNATH YATRA 01
पिस्सू घाटी की चढाई

PISSU TOP
PISSU TOP CLIMBING
OM AT PISSU TOP
पिस्सू टॉप पर

AT PISSU TOP
यहां भी कई भण्डारे लगे थे।

NEERAJ JAAT JI
नीरज जाट पिस्सू टॉप पर

BHANDARA AT PISSU TOP
दिल्ली वालों का भण्डारा

AMBALA WALO KA BHANDARA
अम्बाला वालों का भण्डारा

MAP
यह चित्र मैने गूगल अर्थ से लिया है। इसमें नीचे चन्दनवाडी और ऊपर पिस्सू टॉप दिखाया गया है। गूगल अर्थ ने यह चित्र जाडों में लिया होगा। तभी तो हर तरफ बरफ ही बरफ दिख रही है। अब यात्रा के समय यहां पहाडों पर बरफ नहीं थी।

अगला भाग: अमरनाथ यात्रा - पिस्सू घाटी से शेषनाग

अमरनाथ यात्रा
1. अमरनाथ यात्रा
2. पहलगाम- अमरनाथ यात्रा का आधार स्थल
3. पहलगाम से पिस्सू घाटी
4. अमरनाथ यात्रा- पिस्सू घाटी से शेषनाग
5. शेषनाग झील
6. अमरनाथ यात्रा- महागुनस चोटी
7. पौषपत्री का शानदार भण्डारा
8. पंचतरणी- यात्रा की सुन्दरतम जगह
9. श्री अमरनाथ दर्शन
10. अमरनाथ से बालटाल
11. सोनामार्ग (सोनमर्ग) के नजारे
12. सोनमर्ग में खच्चरसवारी
13. सोनमर्ग से श्रीनगर तक
14. श्रीनगर में डल झील
15. पटनीटॉप में एक घण्टा

Comments

  1. धन्य भये...हम तो तस्वीर देख ही यह वाला जीवन साकार करेंगे...अतः आपका आभार.

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  2. पढ़ कर ही रोमांचित हूँ.. घूम कर कितना मजा आया होगा..

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  3. यहाँ पढ़ पढ़ कर आनन्द आ रहा है, आप तो भावातिरेक में होंगे।

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  4. बहुत दुर्गम यात्रा है .अमरनाथ की.बहुत सुंदर तस्वीरे.धन्यवाद

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  5. बडी हिम्मत का काम है ऐसी कठिन चढाई चढना. लेकिन बाबा के दर्शन की आस इस चढाई को नजरअंदाज कर देती है.

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  6. शानदार बोलते हुए से चित्र और रोमांचक वर्णन...वाह...धन्य हो गए हम तो...
    नीरज

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  7. वाह बाबा अमरनाथ! हम भी रोमांचित हैं लेकिन क्या करें इस जनम में तो अपने नसीब में नहीं है.

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  8. बहुत सुन्दर आकर्शक चित्रों के साथ यात्रा वृतान्त पढ कर आनन्द आ गया।
    मगर ये क्या आप तो अमरनाथ घूम रहे हैं और मै यहाँ इन्तजार कर रही हूँ। बेटा ये बात सही नही है क्या नैना देवी हो गये हो? शुभकामनायें

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  9. बहुत खूब नीरज जी, मजा आ गया !

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  10. बहुत मजा आ रहा है । आपके साथ साथ हम भी दर्शन कर लेगें । आप फोटोग्राफी अच्छी करते हैं ..............

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  11. बहुत जोरदार चित्र, आनंद आगया.

    रामराम.

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  12. वाह सुन्दर चित्रों व विवरण के साथ हमें भी घर बैठे आपने यात्रा का मजा दे दिया

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  13. मजा आ गया नीरज भाई आप की पहाड की यात्रा देख कर, सभी चित्र बहुत सूंदर लगे, ओर आप के संग हम ने भी अम नाथ की यात्रा कर ली धन्यवाद

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  14. neeraji namskar! Amarnathji ke yatra ke liye aapko bahut badhai. Photo bahut he shandar hai.

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  15. तसवीरें और विवरण दोनों ही जोरदार हैं।

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  16. नीरज भाई मजबूत , तस्वीरे और चित्र बहुत बढ़िया है. मुझे आपकी यह यात्रा बहुत काम में आएगी. मैं भी चंदनवाडी से चढाई करनेवाला हूँ इस जुलाई २६ २०१२ को. आगे पढता हूँ.
    धन्यवाद.

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  17. मुसाफिर चलता चल.....
    बहुत शानदार यात्रा वर्णन.

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